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18 हजार फार्मासिस्टों का फरमान, इसलिए 15 अगस्त को केंद्र व राज्य को भेजेंगे ज्ञापन

राजकीय फार्मासिस्ट महासंघ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष सुनील यादव ने बुधवार को कहा कि आज देश में कर्मचारियों की स्थिति गुलामों जैसी है

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Published on: 12 Aug 2020 6:39 PM GMT
18 हजार फार्मासिस्टों का फरमान, इसलिए 15 अगस्त को केंद्र व राज्य को भेजेंगे ज्ञापन
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18 हजार फार्मासिस्ट प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन

मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के करीब 18000 फार्मेसिस्ट स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर अपने अधिकार की मांग को लेकर देश के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन ईमेल के माध्यम से भेज कर फार्मेसिस्टो के वेतन, पदों का सृजन, मानक का निर्धारण आदि बिंदुओं पर सरकार द्वारा सकारात्मक निर्णय लिया जाने की मांग करेंगे। महासंघ का कहना है कि जब प्रधानमंत्री पूरे देश में एक समान विधान लागू करने की बात कह रहे हैं तो देश में एक समान वेतनमान और भत्ते क्यों नहीं होने चाहिए ?

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गुलामों जैसी है कर्मचारियों की स्थिति

राजकीय फार्मासिस्ट महासंघ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष सुनील यादव ने बुधवार को कहा कि आज देश में कर्मचारियों की स्थिति गुलामों जैसी है विभिन्न प्रदेशों में कर्मचारी आचरण नियमावली अंग्रेजों के समय की बनी हुई है, जिसे आज तक संशोधित नहीं किया गया। इसी प्रकार ज्यादातर नियमावलियां उसी समय की बनी हुई है, जबकि वर्तमान में लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुरूप उसमें अब तक परिवर्तन किया जाना अत्यंत आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को संविधान के द्वारा प्रदत्त मूल अधिकारों से भी वंचित होना पड़ रहा है । अभी भी देश में फार्मेसी एक्ट का परिपालन पूरी तरीके से नहीं हो रहा है, फार्मेसिस्ट दोयम दर्जे का कर्मचारी बनकर रह गया है जबकि तमाम विकसित देशों में फार्मेसिस्ट को महत्वपूर्ण दर्जा हासिल है लेकिन यूपी में अभी तक इनको उनके मूल अधिकार तक प्राप्त नहीं हो सके हैं।

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महासंघ अध्यक्ष ने कहा कि वेतनमान के मामले में प्रदेश के फार्मेसिस्ट अपने समकक्ष कर्मचारियों से पीछे होते जा रहे हैं वही डब्ल्यूएचओ और अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुरूप पदों का सृजन नहीं हो पा रहा है। हॉस्पिटल फार्मेसी लगभग समाप्त होती जा रही है जिससे रेडीमेड फार्मेसी के कारण जनता को नुकसान पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को अभी तक राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं है ना ही ट्रेड यूनियन के अधिकार मिल सके हैं। वर्ष 2005 के बाद पुरानी पेंशन प्रणाली समाप्त कर नई पेंशन प्रणाली प्रारंभ कर दी गई है जो असुरक्षित है। कर्मचारियों का धन अभी तक सुरक्षित नहीं है और कर्मचारियों के मन में अविश्वास की भावना है ।

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