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‘यशभारती‘ समाप्त करना योगी सरकार का अपयशपूर्ण फैसला: अखिलेश

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सपा सरकार के ‘यशभारती‘ सम्मान को समाप्त किए जाने को योगी सरकार का अपयशपूर्ण निर्णय करार दिया है।

Deepak Raj
Published on: 14 Feb 2020 9:09 PM IST
‘यशभारती‘ समाप्त करना योगी सरकार का अपयशपूर्ण फैसला: अखिलेश
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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सपा सरकार के ‘यशभारती‘ सम्मान को समाप्त किए जाने को योगी सरकार का अपयशपूर्ण निर्णय करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय ‘यशभारती‘ का ही अपमान नहीं है बल्कि विद्धानों और अपने अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों का भी अपमान है। अखिलेश ने कहा कि सपा सरकार आने पर पहले से भी अधिक सम्मान किया जाएगा।

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सपा प्रदेश मुख्यालय पर शुक्रवार को शायरों और कवियों से बातचीत कर रहे सपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा अपसंस्कृति का वाहक राजनीतिक संगठन है और आरएसएस तथाकथित सांस्कृतिक संगठन है।

भाजपा राज में सरकार कम्पनी बन गई है

इनकी विचार धारा लोगों को जोड़ने के बजाय तोड़ने वाली है। इनका स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों से कुछ लेना देना नहीं है। भाजपा राज में सरकार कम्पनी बन गई है।

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अखिलेश ने सीएए के विरोध में आवाज उठाने वाली महिलाओं को अपमानित किए जाने के प्रति आक्रोश जताते हुए कहा कि औरतो को भी आजादी का परचम उठाने का हक है। संघर्ष कभी हिन्दू-मुसलमान नहीं हो सकता हैं भाजपा बदले और विद्वेष की भावना से विपक्ष पर हमलावर है। उसे अपनी कुनीतियों का विरोध ‘देशद्रोह‘ लगता है।

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उन्होंने कहा कि भाजपा की रणनीति धोखा देना है, वह कभी नहीं बदलेगी। उसने पूरा सामाजिक तानाबाना तोड़ दिया है। आपसी भाईचारे में जहर घोलने का काम किया है और धर्म तथा जाति की राजनीति का प्रदूषण फैलाया हैं।

इस अपराधिक सियासत से मुल्क को बचाना है। सियासत में अच्छे लोग आएंगे तो सियासत स्वस्थ होगी और तब ही नफरत की पराजय सुनिश्चित होगी। साहित्यकारों ने कहा कि जो सपना कवि या शायर देखते हैं उसे राजनेता लागू करते हैं। गंगा-यमुनी संस्कृति से ही समाज बच सकता है।

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उन्होंने सपा और अखिलेश यादव का साथ निभाने का वादा किया और कहा कि वे उन्हें वर्ष 2022 के चुनावों में उन्हे मुख्यमंत्री बनाएंगे। इस मौके पर एक शायर ने शेर पढ़ा ‘तुम्हारे जैसा या हूबहू अच्छा नहीं लगता। कोई भी अब तुम्हारा जैसा अच्छा नहीं लगता।

लौट भी आओ अब तुम्हारे बिना लखनऊ अच्छा नहीं लगता। हिंदी संस्थान के पूर्व अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह ने शेर पढ़ा-‘‘बूंद में अटकी हवा है, बुलबुला कुछ भी नहीं। किस कदर मगरूर है जैसे खुदा कुछ भी नहीं तथा ‘‘ना मेरा है न तेरा है, ये हिन्दुस्तान सबका है।

सपा मुखिया से मिलने वाले में कई शायर

नहीं समझी गई ये बात तो नुकसान सबका है‘‘ शेर पढ़ा तो एमएलसी व मशहूर शायर वसीम बरेलवी ने ‘‘आसमां इतनी बुलंदी पर इतराता है। भूल जाता है जमीं से ही नजर आता है‘‘ शेर पढ़ा।

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सपा मुखिया से मिलने वालों में जो कवि एवं शायर पहुंचे उनमें सर्वेश अस्थाना, कलीम कैसर, जौहर कानपुरी, जमील खैराबादी, अज्म शाकिरी, सरदार चरन सिंह बशर, हसन काजमी, सलीम बाराबंकी, अर्शी पिहानवी, नवल टण्डन (सेवता) शहरयार जलालपुरी, यासिर यास, शबीना अदीब, रामप्रसाद बेखुद, शहबाज तालिब, मुख्तार तिलहरी, सरवर झांसी, शादमा बेगम, अजहर हुसैन रौनक, शिव शरन बंधु, शहजादा कलीम, अमिल सुल्तानपुरी, कमर सिद्दीकी, रहमतउल्ला अचानक, आशीष महजिदिया, डा. वारिस अंसारी, फलक सुल्तानपुरी, हर्षित मिश्रा, आदर्श बाराबंकवी, तूबा जौहर शामिल थे।



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