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हर साल लगभग 12 बिलियन मासिक धर्म, भारत में निपटने का तरीका नहीं

यदि प्रति महिला हर माह 8 पैड का प्रयोग करने का अनुमान लगाया जाए तो लगभग हर माह 100 करोड़ से अधिक अपशिष्ट पैड एकत्रित होते हैं।

Aradhya Tripathi
Published on: 4 Jun 2020 6:58 AM GMT
हर साल लगभग 12 बिलियन मासिक धर्म, भारत में निपटने का तरीका नहीं
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मऊ: भारत में लगभग 33 करोड़ से अधिक महिलाएं माहवारी से होती हैं। जिसमें से 36 प्रतिशत यानि लगभग 12 करोड़ से अधिक सैनेटरी पैड का इस्तेमाल करती हैं। यदि प्रति महिला हर माह 8 पैड का प्रयोग करने का अनुमान लगाया जाए तो लगभग हर माह 100 करोड़ से अधिक अपशिष्ट पैड एकत्रित होते हैं। यहीं आंकड़ा बढ़कर साल में करीब 12 सौ करोड़ पर पहुँच जाता है।

एमएचएआई की रिपोर्ट में खुलासा

मेनस्ट्रअल हेल्थ अलायन्स इंडिया (एमएचएआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार अपशिष्ट प्रबंधन की सही तरीके की जानकारी या उपलब्धता न होने की वजह से ग्रामीण स्तर पर और कई जगह शहरी क्षेत्र में इस्तेमाल किए गए पैड या कपड़े को ऐसे ही खुले में फेक देती हैं जो पर्यावरण के हित में नहीं है।

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वही कुछ लड़कियां सही जगह न मिल पाने के कारण कई समय तक पैड या कपड़े को प्रयोग करती हैजिससे उनमें संक्रमण का खतरा बना रहता है। मासिक धर्म के दौरान प्रयोग किए जाने वाले साधन- मासिक धर्म एक दौरान तीन तरह साधन प्रयोग किए जाते। पुनः प्रयोग किए जाने वाले साधन जैसे कि कपड़ा, मासिक धर्म कप। एक बार प्रयोग में लाये जाने वाले पैड, टैंपोन्स- इन साधनों में केमिकल, सुपर शोषक पॉलीमर (एसएपी) होता है।

अपना सकते हैं ये उपाय

भारत में अपशिष्टसे निपटने के लिए कोई आदर्श तरीका नही है, लेकिन कुछ उपायों से हम अपशिष्ट के भार को कम कर सकते है -

· अपशिष्ट को कम करना- इसके लिए मासिक धर्म के दौरान ऐसे उत्पादों को अपनाना होगा जो पुनः प्रयोग में लाये जा सकते है।

· अपशिष्ट को निष्फल करना-प्रयोग किए जा रहे पैड को रासायनिक उपचार एवं अन्यतकनीक से इसके हानिकारक कारकों को निष्फल कर सकते है।

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· अपशिष्ट की भौतिक प्रकृति को बदलना- अपशिष्ट को जलाकर, गहरे गद्दे में गाढ़ कर खाद रूप में बनाकर कचरे की संरचना को बदल सकते है।

रिपोर्ट- आसिफ रिज़वी

Aradhya Tripathi

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