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धर्म के साथ अर्थ में दखल रखते है आचार्य प्रमोद कृष्णम

राजनीति के दुनिया में कदम रख चुके आचार्य प्रमोद कृष्णम का पहचान एक संत के रूप में है। परन्तु उनका सांस्कारिक और आर्थिक पक्ष में भी अच्छा खासा दखल है। पहले भी संभल से लोकसभा चुनाव लड़ चुके आचार्य प्रमोद कृष्णम का अखिलेश सरकार में भी अच्छा खासा रसूख था। वह कांग्रेसी नेताओ के साथ ही मुलायम परिवार के काफी करीबी रहे है। अखिलेश सरकार में 2014 के मुज़्ज़फरनगर दंगे में बनी भाई चारा कमेटी की अध्यक्षता प्रमोद कृष्णम ने किया था। इस बार वह दुबारा कांग्रेस के टिकट पर लखनऊ संसदीय सीट से किस्मत आजमा रहे है।

Dhananjay Singh
Published on: 19 April 2019 6:44 PM IST
धर्म के साथ अर्थ में दखल रखते है आचार्य प्रमोद कृष्णम
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धनंजय सिंह

लखनऊ: राजनीति के दुनिया में कदम रख चुके आचार्य प्रमोद कृष्णम का पहचान एक संत के रूप में है। परन्तु उनका सांस्कारिक और आर्थिक पक्ष में भी अच्छा खासा दखल है। पहले भी संभल से लोकसभा चुनाव लड़ चुके आचार्य प्रमोद कृष्णम का अखिलेश सरकार में भी अच्छा खासा रसूख था। वह कांग्रेसी नेताओ के साथ ही मुलायम परिवार के काफी करीबी रहे है। अखिलेश सरकार में 2014 के मुज़्ज़फरनगर दंगे में बनी भाई चारा कमेटी की अध्यक्षता प्रमोद कृष्णम ने किया था। इस बार वह दुबारा कांग्रेस के टिकट पर लखनऊ संसदीय सीट से किस्मत आजमा रहे है।

कहां जन्में

प्रमोद कृष्णम जो आचार्य प्रमोद के नाम से भी जाने जाते हैं। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के संभल जनपद के एंचोड़ा कम्बोह गाँव में 2 जुलाई 1962 को हुआ था। इनकी शुरुवाती शिक्षा-दीक्षा अपने गांव में हुई, उन्होंने स्नातक करने मेरठ स्थित चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से किया। उसके बाद वह अध्यात्म की दिशा में कदम रख दिए। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अपने गांव में ही कल्कि मंदिर की स्थापना की। उसके बाद दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में कल्कि मंदिर की स्थापना की। बाद में उसको मठ के रूप परिवर्तित कर दिया। मठ के साथ प्रमोद कृष्णम ने राजनीति में भी कदम रखा।

कल्कि पीठाधीश्वर से अलंकृत

अखिल भारतीय संत समिति के उत्तर भारत अध्यक्ष और कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम को संतों ने राष्ट्रीय संत की उपाधि से अलंकृत किया है। सम्भल के ऐंचौड़ा कम्बोह में गुरुवार को कल्कि महोत्सव के तीसरे दिन आध्यात्मिक सभा में कल्कि पीठाधीश्वर को राष्ट्रीय संत की उपाधि से अलंकृत करते हुए अखिल भारतीय हिंदू महासभा/अखिल भारतीय संत महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने स्वर्ण पत्र में जडि़त उपाधि सौंपी।

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स्वामी चक्रपाणि ने उपाधि देते समय कहा कि संत महासभा ने आचार्य प्रमोद की राष्ट्र रक्षा, धर्म रक्षा, गोरक्षा, संस्कृति रक्षा एवं संवर्धन के प्रयासों को देखते हुए राष्ट्र संत की उपाधि देने का निर्णय लिया। सियासत से धर्म की दुनिया में आए आचार्य ने जात, पात से हटकर राष्ट्रहित के लिए कार्य किया। इससे पूर्व कल्कि पीठाधीश्वर ने अपने को छोटा सा संत बताते हुए कहा कि कल्कि पीठ की स्थापना और कलियुग में अवतरित होने वाले भगवान कल्कि का गुणगान करना ही उनका जीवन का लक्ष्य है।

खेती से कमाई

देश में किसानों की आय बीते पांच वर्ष में भले ही दोगुनी न हो पाई हो, लेकिन खेती से कांग्रेस प्रत्याशी आचार्य प्रमोद कृष्णम की आय बीते पांच वर्ष में करीब दोगुनी जरूर हो गई है। आश्चर्य की बात है कि जमीन के दाम जहां आसमान छू रहे हैं। वहीं बीते पांच वर्षों में कांग्रेस प्रत्याशी आचार्य की गांव खेत, मकान और गाजियाबाद के घर की कीमत में भी कोई इजाफा नहीं हुआ है।

लखनऊ लोकसभा सीट से पर्चा दाखिल करने वाले कांग्रेस प्रत्याशी आचार्य प्रमोद कृष्णम की ओर से 2014 में संभल से चुनाव लड़ने के दौरान दिए गए शपथ पत्र से तो यही तस्वीर सामने आ रही है। आचार्य ने अपने शपथ पत्र में दिखाया है कि मौजूदा समय में उनके पास नगद, सोना, बैंक में जमा पैसा आदि मिलाकर 31.17 लाख की चल सम्पत्ति है। जबकि 2014 में आचार्य ने चल सम्पत्ति में करीब 17.89लाख दिखाए थे।

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अचल सम्पत्ति में आचार्य ने संभल के एजोड़ा कम्बोह में खेती लायक 10.56 एकड़ जमीन का वर्तमान बाजार भाव 2014 में एक करोड़ दिखाया था वही मूल्य आज भी बरकरार है। वहीं गाजियाबाद और संभल के मकान की कीमत में भी कोई इजाफा नहीं हुआ। पांच साल पहले यह सम्पत्ति दो करोड़ की थी और आज भी बाजार भाव उतना ही दिखाया गया है। जबकि 2014 में खेत और मकान की कीमत का टोटल तीन करोड़ था। 2019 में यह दो करोड़ ही बचा है। वहीं पत्नी की चल -अचल सम्पत्ति करीब 90 लाख दिखाई है।

आचार्य प्रमोद कृष्णन फर्जी बाबा घोषित

पिछले दिनों प्रयागराज में अर्धकुम्भ की बैठक में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की ओर से दो बाबाओं को फर्जी करार देने का प्रस्ताव भी पारित हुआ। इसमें दिल्ली के चक्रपाणि महाराज और सम्भल के आचार्य प्रमोद कृष्णन शामिल हैं। परिषद ने दोनों बाबा किसी संन्यासी परंपरा से नहीं आते हैं। इसके पहले परिषद 17 बाबा को फर्जी घोषित कर चुका है।

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