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BHU पर बड़ी कार्यवाई: प्रशासन ने भेजा नोटिस, लगातार हो रही थी लापरवाही
बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल को पूर्वांचल का एम्स कहा जाता है। बनारस और उसके आसपास के 9 जिलों के अलावा बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों के लगभग 5 करोड़ लोग इलाज के लिए बीएचयू पर निर्भर रहते हैं।
वाराणसी: बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल को पूर्वांचल का एम्स कहा जाता है। बनारस और उसके आसपास के 9 जिलों के अलावा बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों के लगभग 5 करोड़ लोग इलाज के लिए बीएचयू पर निर्भर रहते हैं। लिहाजा बीएचयू की जिम्मेदारी भी बड़ी है। लेकिन कोरोना काल में बीएचयू के अंदर से लापरवाही और बदइंतजामी की तस्वीरें अब आम हो चुकी हैं। पिछले 24 घंटे के दौरान BHU के कोविड सेंटर में 2 मरीजों की संदिग्ध मौत के बाद अस्पताल प्रशासन बैकफुट पर है। लापरवाही पर पर्दा डालने के लिए बीएचयू प्रशासन ने अब एक नया फंडा अख्तियार किया है। बीएचयू प्रशासन मरने वाले दोनों मरीजों को मानसिक रोगी बता रहा है।
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गले नहीं उतर रहा एमएस का बयान
सर सुन्दरलाल अस्पताल के चिकित्साधिक्षक एमएस माथुर ने दोनों की घटनाओं पर अपना पक्ष रखा। दोनों घटनाओं के बाबत एमएस ने जो तर्क दिए, वो आहत करने वाले हैं। एमएस के अनुसार मरने वाले दोनों पेशेंट की मानसिक हालत ठीक नहीं थी। एमएस माथुर का ये बयान किसी के गले नहीं उतर रहा है। सवाल उठता है की
-क्या इलाज शुरु होने से पहले दोनों मरीजों की जांच कराई गई थी ?
-अगर जांच में दोनों मानसिक रोगी पाये गये तो मरीजों के लिये अस्पताल में कोई अलग व्यवस्था दी गई ?
- कोविड वार्ड में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं किये गये ?
-कोरोना पेशेंट की निगरानी में गार्ड क्या मौके पर मौजूद नहीं थे ?
लापरवाही पर घिरता अस्पताल प्रशासन
कोरोना काल में बीएचयू पर लापरवाही के आरोपों की फेहरिश्त बढ़ती जा रही है। लिहाजा बीएचयू भी इन आरोपों से बचने के नये-नये तरीके ढूंढ रहा है। कुछ दिन पहले जब शवों की अदला-बदली हुई तो अस्पताल प्रशासन ने जिम्मेदार कर्मचारियों पर कारवाई करने के बजाय इसे तकनीकि गड़बड़ी बताकर मामले को रफा-दफा कर दिया। इसी तरह अस्पताल के अन्दर भर्ती मरीजों ने वीडियो और ओडियो के जरिये अपना दर्द बयां किया। उनके इस वीडियो पर लोगों ने खूब प्रतिक्रिया दी, लेकिन बीएचयू प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेंगा।
बीएचयू के कोविड सेंटर का नाम सुनते ही भागे मरीज
अब हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि बीएचयू का नाम सुनते ही कोरोना मरीज कांपने लग जा रहे हैं। कोई भी यह मरी नहीं चाहता कि उसका इलाज बीएचयू के कोरोना सेंटर में हो। सूत्रों की माने तो लगातार को भी मरीजों के इलाज में हो रही लापरवाही के कारण अब मरीजों की संख्या घटने लगी है। हफ्ते भर में जो संख्या करीब 20 थी अब वह 10 से 12 पर आ गई है, जबकि पहले कोरोना मरीजों की प्राथमिकता बीएचयू ही होती थी।
वार्ड में इलाज की लापरवाही का एक और नतीजा यह भी है कि पहले 15 से 20 दिन तक वार्ड में रखे जाने के बाद भी लोग होम आईसोलेशन की मांग नहीं करते थे लेकिन अब तो वह हफ्ते भर में ही घर जाने की गुहार लगा रहे हैं। खौफ का आलम ये है कि ट्रामा सेंटर में भर्ती 2 मरीजों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद,दोनों अचानक लापता हो गए। दोनों यह नहीं चाहते थे उनका इलाज को कोविड सेंटर में हो। जैसे ही दोनों को कोविड सेंटर में भर्ती कराने बात मालूम चली, दोनों भाग खड़े हुए।
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लापरवाही पर सख्त हुआ जिला प्रशासन
दिनों-दिनों दिन बढ़ती बीएचयू की लापरवाही को जिला प्रशासन ने भी संज्ञान में लिया है। जिलाधिकारी ने पत्र जारी करते हुये मरीजों की मौत की घटना की उच्च स्तरीय जांच कराने को निर्देशित किया है। साथ ही कुछ दिनों पहले शवों के अदला-बदली प्रकरण की भी जानकारी मांगी है।
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