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खत्म मुलायम परिवार का दबदबा, वर्षों की मेहनत पर BJP ने फेरा पानी
यूपी की राजनीति में सहकारिता के चुनाव पर सदैव समाजवादी पार्टी का ही कब्जा रहा करता था पर जब से सहकारी बैंको के चुनाव शुरू हुए तब से यह पहला अवसर है
लखनऊ: यूपी की राजनीति में सहकारिता के चुनाव पर सदैव समाजवादी पार्टी का ही कब्जा रहा करता था पर जब से सहकारी बैंको के चुनाव शुरू हुए तब से यह पहला अवसर है कि समाजवादी पार्टी के कब्जे से यानी की मुलायम सिंह यादव के परिवार का दबदबा इस चुनाव में खत्म हो गया और भाजपा ने अधिकतर शाखाओं पर अपना कब्जा बना लिया है।
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mulayam singh yadav, akhliesh yadav and cm yogi (file photo)
विपक्ष को ग्रामीण बैंक की सिर्फ 19 सीटें मिली हैं
उत्तर प्रदेश सहकारी ग्रामीण विकास बैंकों के चुनाव में बीजेपी ने 323 शाखाओं में 293 पर जीत दर्ज कर सपा के तीन दशक के राजनीतिक वर्चस्व को तोड़ दिया है। विपक्ष को ग्रामीण बैंक की सिर्फ 19 सीटें मिली हैं। जबकि 11 सीटों पर चुनाव नहीं हो सके हैं। 1991 से अब तक सहकारिता के क्षेत्र में सपा और खासकर श्यादव परिवार का कब्जा हुआ करता था। यहीं नही जब इस बीच मायावती की भी सरकार आई तब भी मुलायम परिवार का ही कब्जा बना रहा। लेकिन पहली बार भाजपा ने अपनी जीत के साथ इस परिवार के दबदबे को खत्म करने का काम किया है।
1991 में मुलायम सिंह यादव परिवार ने इस क्षेत्र में अपना कदम रखा
उत्तर प्रदेश के सहकारी ग्रामीण बैंक के 1960 में पहले सभापति जगन सिंह रावत निर्वाचित हुए थे। इसके बाद रऊफ जाफरी और शिवमंगल सिंह 1971 तक सभापति रहे। इसके बाद बैंक की कमान प्रशासक के तौर पर अधिकारियों के हाथ में आ गई। साल 1991 में मुलायम सिंह यादव परिवार ने इस क्षेत्र में अपना कदम रखा और मुलायम सिंह यादव के भाई षिवपाल सिंह यादव के हाथ में पूरी कमान आ गयी। पहले हाकिम सिंह करीब तीन माह के लिए सभापति बने और 1994 में शिवपाल यादव सभापति बने। केवल भाजपाकाल में तत्कालीन सहकारिता मंत्री रामकुमार वर्मा के भाई सुरजनलाल वर्मा अगस्त 1999 में सभापति निर्वाचित हुए थे। पिछली अखिलेश सरकार के दौरान शिवपाल सिंह यादव के बेटे आदित्य यादव को सभापति बनाया गया था।
mulayam singh yadav, shivpal yadav and cm yogi (file photo)
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यहां यह बताना जरूरी है कि प्रदेश में सहकारी ग्रामीण विकास बैंक की 323 शाखाएं हैं। प्रत्येक शाखा से एक-एक प्रतिनिधि चुना जाता है। यह निर्वाचित प्रतिनिधि सूबे में अब 14 निदेषकों का चुनाव करेंगे। जिसमें से एक सभापति और उपसभापति चुना जाएगा। इन जीते हुए शाखा प्रतिनिधियों द्वारा बैंक की प्रबंध कमेटी के सदस्यों का निर्वाचन 22 और 23 सितंबर को किया जाएगा.। इस चुनाव के बाद अब बैंक के प्रबंध कमेटी पर भाजपा का कब्जा हो जाएगा और 23 सितंबर को बैंक के सभापति, उप सभापति और अन्य समितियों में भेजे जाने वाले प्रतिनिधियों का चुनाव होना है।
श्रीधर अग्निहोत्री
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