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राज्यपाल के अभिभाषण पर अखिलेश ने कही बड़ी बात, सरकार को भी घेरा
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उप्र. विधानसभा के बजट सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण को दिशाहीन, सत्य को मारने वाला बताते हुए कहा है कि...
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उप्र. विधानसभा के बजट सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण को दिशाहीन, सत्य को मारने वाला बताते हुए कहा है कि इसमें प्रदेश के विकास का कोई रोडमैप नहीं दिखाई देता है।
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उन्होंने कहा कि तीन साल में विकास के नाम पर भाजपा अपनी एक भी योजना लागू नहीं कर सकी और सपा सरकार के कामों पर ही अपना नाम लगाना उसका एक मात्र विकास कार्य है। सपा अध्यक्ष ने गुरुवार को कहा कि कौन नहीं जानता कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के समय-अपराध बढ़े है।
अपराधियों की साठगांठ के चलते प्रदेश में भय का वातावरण है-अखिलेश
हत्या, बलात्कार की घटनाओं की बाढ़ आ गई है। फर्जी एनकाउण्टरों पर सरकार को जवाब देना पड़ रहा है। मानवाधिकार उल्लंघन पर राज्य सरकार को नोटिसें मिल रही हैं। भाजपा नेताओं और अपराधियों की साठगांठ के चलते प्रदेश में भय का वातावरण है। अभिभाषण के दौरान ही राजधानी की एक अदालत में देशी बम से हड़कम्प मच गया।
सपा मुखिया ने कहा कि भाजपा सरकार की जिन उपलब्धियों का राज्यपाल ने जिक्र किया है वे सिर्फ आंकड़ो में हैं। भाजपा सरकार के विरूद्ध हर तरफ आक्रोश और निराशा है। राज्य में जनता बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में बदतर हालत है। बिजली संकट है।
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निवेश के नाम पर सिर्फ समझौता पत्रों पर ही हस्ताक्षर होते हैं। एक भी उद्योग भाजपा राज में नही लगा है। बिजली का एक यूनिट भी उत्पादन नहीं हुआ है। सड़के गड्ढे से भरी हैं। छात्र-छात्राओं को जूते-मोजे-स्वेटर तथा किताबें तक समय से मुहैया नहीं कराई जा सकी हैं।
अखिलेश ने कहा कि अच्छा होता राज्यपाल प्रदेश में सीएए के विरोध में उतरी महिलाओं पर भाजपा सरकार द्वारा बर्बर उत्पीड़न का भी जिक्र कर लेती और बच्चियों के साथ बढ़ती दुष्कर्म की घटनाओं पर अपना रोष भी व्यक्त कर देती।
एनआरसी के बहाने समाज में नफरत फैलाने की कुचेष्टा क्यों हो रही है- अखिलेश
उन्होंने कहा कि सरकारी अभिभाषण में किसानों, नौजवानों के लिए किए गए तमाम दावों में तनिक भी दम है तो किसान बदहाली में आत्महत्या क्यों करते, नौजवान बेरोजगारी की मुसीबत में क्यों होते? पिछड़ों, दलितों के साथ हमदर्दी होती तो आरक्षण खत्म करने की साजिश क्यों हो रही है? सीएए, एनपीआर, और एनआरसी के बहाने समाज में नफरत फैलाने की कुचेष्टा क्यों हो रही है? क्या सबका विश्वास ऐसे ही हासिल होगा?