×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

बिजली महकमे में उठी अभियंताओं को विभाग की कमान देने की मांग

फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर कहा है कि पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया जाना विगत 50 वर्षों से लंबित था किन्तु दृढ राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए योगी आदित्यनाथ ने इसे लागू किया जो अत्यंत सराहनीय कदम है।

SK Gautam
Published on: 14 Jan 2020 8:16 PM IST
बिजली महकमे में उठी अभियंताओं को विभाग की कमान देने की मांग
X

लखनऊ: यूपी के दो जिलों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होते ही अब बिजली महकमें में भी विद्युत निगमों के एकीकरण और योग्य व अनुभवी अभियंताओं को प्रमुख सचिव व सीएमडी बनाने की मांग उठने लगी है।

आल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने मंगलवार को यूपी के दो जिलों में पुलिस कमिश्नर की तैनाती का स्वागत तथा मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद देते हुए मांग की है कि विद्युत् परिषद् के विघटन के 20 वर्षों की समीक्षा कर विद्युत् निगमों का एकीकरण किया जाये और विशेषज्ञ सेवाओं को समुचित सम्मान देने की दिशा में ऊर्जा सहित सभी इन्जीनियरिंग विभागों में भी योग्य व् अनुभवी अभियन्ताओं को प्रमुख सचिव व सीएमडी बनाया जाये।

ये भी देखें : विधानसभा चुनाव: AAP ने जारी की कैंडिडेट्स की लिस्ट, जानें कहां से कौन लड़ेगा

फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर कहा है कि पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया जाना विगत 50 वर्षों से लंबित था किन्तु दृढ राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए योगी आदित्यनाथ ने इसे लागू किया जो अत्यंत सराहनीय कदम है। उन्होंने इसे उप्र. की सरकारी सेवाओं में लीक से हटकर विषय के जानकार प्रोफेशनल सेवाओं को समुचित महत्त्व दिए जाने की पहल करार देते हुए मुख्यमंत्री से मांग की है कि इसी क्रम में ऊर्जा सहित सभी इन्जीनियरिंग विभागों में सीएमडी व् प्रमुख सचिव के पदों पर भी योग्य व् अनुभवी अभियंताओं को तैनात कर सार्थक पहल की जाये।

उन्होंने कहा कि 20 साल पहले 14 जनवरी को घाटे के नाम पर उप्र. राज्य विद्युत् परिषद् का विघटन कर कई निगमों का गठन किया गया था जो प्रयोग पूरी तरह विफल रहा है। इसलिए विद्युत् परिषद् के विघटन के 20 वर्षों की समीक्षा कर निगमों का एकीकरण करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 में जब विघटन किया गया था तब विद्युत् परिषद् का वार्षिक घाटा मात्र 77 करोड़ रुपये था जो विगत बीस वर्षों में बढ़कर 85 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। विद्युत् परिषद् के विघटन के बाद बने निगमों का प्रशासनिक खर्च कई गुना बढ़ गया है जो एक अलग बोझ है।

ये भी देखें : एक गलती पड़ जाएगी भारी: अगर गलती से भीड़े इस बाहुबली से

उन्होने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट वर्ष 2003 में बना जिसमे विद्युत् परिषद् को विघटित करने की बात कहीं नहीं लिखी है। एक्ट में विद्युत् परिषद् के निगमीकरण की बात लिखी है विघटन की नहीं। इसी एक्ट के आधार पर केरल में केएसईबी लिमिटेड और हिमाचल प्रदेश में एचपीएसईबी लिमिटेड बनाया गया है जिसमे विद्युत् उत्पादन, पारेषण और वितरण एक साथ हैं।

उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 बनने के चार साल पहले विश्व बैंक व् नौकरशाही के दबाव में विद्युत् परिषद् का विघटन कर कई निगम बना दिए गए जिसके दुष्परिणाम आज बीस साल बाद बढे प्रशासनिक खर्च और निरंतर बढ़ते घाटे के एवज में आम जनता को टैरिफ बढ़ोत्तरी के रूप में चुकाना पड़ रहा है।

ये भी देखें : पाकिस्तान में आर्मी चीफ बाजवा ने PM इमरान का किया तख्तापलट! ये है बड़ा सबूत

उन्होंने कहा कि विघटन के बाद वितरण ,उत्पादन और पारेषण की कम्पनिया अलग अलग हो गई है, नतीजा यह कि एक ओर उत्पादन और पारेषण कम्पनियों को मुनाफे पर अरबों रुपये का इनकम टैक्स देना पड़ रहा है तो वितरण कम्पनियों को घाटे का बोझ उठाना पड़ रहा है और इस सबकी भरपाई आम उपभोक्ता को बढे हुए टैरिफ से चुकानी पड़ती है। दुबे ने कहा कि अगर बिजली कंपनियों का एकीकरण कर दिया जाये तो इनकम टैक्स की अरबों रुपये की बचत होगी, प्रशासनिक खर्चों में भारी बचत होगी और एकीकृत कंपनी का घाटा भी काफी कम हो जायेगा।



\
SK Gautam

SK Gautam

Next Story