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अनिवार्य शिक्षा कानून: शिक्षा से इन्कार करने पर शीर्ष अधिकारियों से हलफनामा तलब
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अनिवार्य शिक्षा कानून के तहत बच्चों के शिक्षा अधिकार से इंकार पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा, प्रमुख सचिव विधि एवं न्याय व सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज से 6 अगस्त तक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा है।
प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अनिवार्य शिक्षा कानून के तहत बच्चों के शिक्षा अधिकार से इंकार पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा, प्रमुख सचिव विधि एवं न्याय व सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज से 6 अगस्त तक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा है। कोर्ट ने यह आदेश बीएसए के वकील द्वारा जिलाधिकारी के आदेश से स्वयं को अलग करने पर दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि बीएसए राज्य सरकार का कर्मचारी है। वह अलग से वकील रखकर सरकार के रुख से अलग रुख कैसे अपना सकता है।
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यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने कार्तिक व अन्य की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 21-ए के तहत 6 से 14 साल के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा का मूल अधिकार दिया गया है। इसे लागू करने का दायित्व राज्य सरकार का है। वह अपने दायित्व को दूसरे पर शिफ्ट नहीं कर सकती। 2009 में अनिवार्य शिक्षा कानून के तहत सभी बच्चों को शिक्षा देना अनिवार्य कर दिया गया है। बेसिक शिक्षा अधिकारी पर राज्य के दायित्व को लागू करने का भार है। वह इससे स्वयं को अलग नहीं कर सकता।
वह बेसिक शिक्षा परिषद का एजेंट नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए एल आर मैनुअल के तहत सरकारी वकीलों की नियुक्ति की है। परिषद या कोई संस्था अपना वकील रख सकती है। सरकार अपना दायित्व बोर्ड पर शिफ्ट नहीं कर सकती और बोर्ड का वकील बेसिक शिक्षा अधिकारी की तरफ से सरकार से अलग पक्ष नहीं रख सकता। वह सरकार का अधिकारी है और सरकार के लिए कार्य करता है। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव से पूछा है कि किस अधिकार से उसने सरकारी अधिकारी का पक्ष रखने के लिए अपना वकील रखा है।
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बीएसए के वकील ने कहा कि जिलाधिकारी के आदेश से उसका सरोकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि बीएसए ने अपनी जिम्मेदारियों से हाथ खींच लिया जबकि अनिवार्य शिक्षा कानून लागू करने की उसकी जिम्मेदारी है। वह अपनी जिम्मेदारी शिफ्ट कर अलग वकील के मार्फत सरकार से भिन्न रुख नहीं अपना सकता। सरकारी वकील को ही बीएसए का भी पक्ष रखना चाहिए। कोर्ट ने कानून को लागू करने सहित सरकार के अधिकारियां के विरोधाभाषी रुख पर शीर्ष अधिकारियों से हलफनामा माँगा है। याचिका की सुनवाई 6 अगस्त को होगी।