×

जनता का काम न करने वाले जनप्रतिनिधियों को कुर्सी पर रहने का हक नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

हाईकोर्ट के इस आदेश के अनुसार यदि कोई जन प्रतिनिधि जनता की इच्छानुसार या भरोसे वाला काम करने में समर्थ नहीं है तो उसे पावर में रहने का अधिकार एक सेकेण्ड के लिए भी नहीं है।

Newstrack
Published on: 14 Sept 2020 12:22 PM IST
जनता का काम न करने वाले जनप्रतिनिधियों को कुर्सी पर रहने का हक नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
X
हाईकोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में जनता सम्राट होती है। जनता ही सबसे बड़ी अथॉरिटी होती है और सरकार लोगों की इच्छा शक्ति पर आधारित होती है।

नई दिल्ली: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान ऐसा आदेश जारी कर दिया। जो किसी भी जन प्रतिनिधि की नींद उड़ा सकता है। हाईकोर्ट के इस आदेश के अनुसार यदि कोई जन प्रतिनिधि जनता की इच्छानुसार या भरोसे वाला काम करने में समर्थ नहीं है तो उसे पावर में रहने का अधिकार एक सेकेण्ड के लिए भी नहीं है।

हाईकोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में जनता सम्राट होती है। जनता ही सबसे बड़ी अथॉरिटी होती है और सरकार लोगों की इच्छा शक्ति पर आधारित होती है।

जनता को जन प्रतिनिधि की आलोचना का अधिकार

लोकतंत्र सरकार का वह हिस्सा है, जिसमें देश के राजनेता जनता द्वारा ईमानदारी से इलेक्शन में चुने जाते हैं। लोकतंत्र में जनता के पास सत्ता में लाने के लिए उम्मीदवारों और दलों का ऑप्शन होता है।

कोर्ट ने ये भी कहा कि जनता जब अपने प्रतिनिधि को चुनती है तो उसकी आलोचना भी कर सकती है और अगर वे ठीक से काम न करें तो उन्हें हटा भी सकती है।

कोर्ट का ये भी कहना है कि स्था‍नीय और राष्ट्रीय स्तैर पर चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों को लोगों की आवाज जरूर सुननी चाहिए। साथ ही उनकी जरूरत पूरी करने का भी काम करना चाहिए।

ये भी पढ़ेंः हरदोई के नये SP बने अनुराग वत्स: संभाला अपना चार्ज, बोले- जल्द सुधरेंगे हालात

Court कोर्ट की प्रतीकात्मक फोटो(सोशल मीडिया)

ये भी पढ़ेंः UP Police में बड़ा बदलाव: योगी सरकार ने लिया फैसला, स्वतंत्र हुई पुलिस

ये है पूरा मामला

यहां आपको बता दें कि ये आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शशिकांत गुप्ता और पीयूष अग्रवाल की पीठ ने एक केस की सुनवाई के वक्त दिया।

जो बिजनौर के कोतवाली क्षेत्र पंचायत के प्रमुख से जुड़ा हुआ मामला है। पंचायत प्रमुख ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

मामला कुछ यूं है याचिकाकर्ता पंचायत प्रमुख ने 29 जुलाई 2019 को चार्ज लिया था।

लेकिन तभी 21 अगस्त 2020 को उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत औरजिला पंचायत एक्ट 1961 के सेक्श न 15 के अंतर्गत अविश्वास मत ला दिया गया। जिसे लेकर उन्हें कोर्ट में जाना पड़ा।

Court File Photo कोर्ट की प्रतीकात्मक फोटो(सोशल मीडिया)

ये भी पढ़ेंः सावधान यूपी पुलिस: अब चलेगी योगी सरकार की तलवार, सीधे होगी छुट्टी

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

न्यूजट्रैक के नए ऐप से खुद को रक्खें लेटेस्ट खबरों से अपडेटेड । हमारा ऐप एंड्राइड प्लेस्टोर से डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें - Newstrack App

Newstrack

Newstrack

Next Story