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हाईकोर्ट पर कोरोना का प्रकोप, 6 अप्रैल तक इन सभी मामलों में कार्रवाई पर लगी रोक
देशभर में फैले कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर इलाहाबाद हाईकोर्ट को सैनेटाइजेशन के लिए तीन दिन बंद रखा जाएगा। इसके एवज में 1 व 2 जून और अप्रैल में एक शनिवार को कोर्ट खोला जाएगा। खबरों के अनुसार, इलाहाबाद हाईकोर्ट का एक कर्मचारी बीते दिनों इंडोनेशिया से लौटा है
इलाहाबाद :देशभर में फैले कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर इलाहाबाद हाईकोर्ट को सैनेटाइजेशन के लिए तीन दिन बंद रखा जाएगा। इसके एवज में 1 व 2 जून और अप्रैल में एक शनिवार को कोर्ट खोला जाएगा। खबरों के अनुसार, इलाहाबाद हाईकोर्ट का एक कर्मचारी बीते दिनों इंडोनेशिया से लौटा है, उसे बुखार होने पर जांच के लिए भेजा गया है। हाईकोर्ट ने इसके मद्देनजर एक अर्जेंट बैठक बुलाई थी।
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वहीं कोरोना के एक संदिग्ध मरीज को एसआरएन अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है। वह 9 मार्च को इटली से लौटा है। उसे जुकाम और खांसी की शिकायत है। सीएमओ समेत कई बड़े मेडिकल अफसर जांच में जुटे हैं। बताया जा रहा है कि संदिग्ध की बहन दिल्ली में रहती है। वो भी कोरोना पॉजिटिव है। फिलहाल अभी कोई भी अधिकारी इस पर ज्यादा बोलने को तैयार नहीं है।
कोर्ट ने कहा
कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए किए जा उपायों की वजह से आम जनता को कोई परेशानी न हो, इसके मद्देनजर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अगले दो सप्ताह यानि छह अप्रैल 2020 तक सभी बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और सरकारी संस्थाओं की ओर से किसी भी प्रकार की वसूली कार्रवाई पर रोक लगा दी है । कोर्ट ने कहा है कि कोई भी नीलामी प्रक्रिया इस दौरान नहीं होगी। किसी के भी मकान का ध्वस्तीकरण नहीं किया जाएगा, न ही किसी को भी उसके मकान से बेदखल किया जाएगा ।
जिला प्रशासन एवं अर्द्धंन्यायिक संस्थाएं किसी भी अधिकारी को पेशी के लिए तलब नहीं करेंगी । कोर्ट ने यह कदम कोरोना वायरस की भयावहता को देखते हुए दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा तथा न्यायमूर्ति अजीत कुमार की खंडपीठ ने दर्पन साहू की बैंक वसूली के खिलाफ दाखिल याचिका की सुनवाई के बाद दिया है।
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कोर्ट ने राज्य सरकार व सभी वित्तीय संस्थाओं, अधिकारियों को अगले दो सप्ताह तक वसूली मामले में व्यक्तिगत उत्पीड़न नहीं करने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट का मानना है कि इस प्रकार की कार्रवाई की वजह से लोग अदालत की शरण में आने को विवश होते हैं तथा निजी तौर पर उनकी परेशानी बढ़ती है। इन हालात में किसी को विवश नहीं किया जाएगा कि उसे कोर्ट की शरण में आना पड़े।