Aloo ki Kheti: शुरू हुई यूपी से विदेशों में आलू निर्यात, किसानों के पास आया बंपर कमाई का मौका, ऐसे करें इसकी खेती

Aloo ki Kheti Kaise Karen: अगेती फसल की बुआई मध्य सितंबर से अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में होती है, जबकि मुख्य फसल की बुआई मध्य अक्टूबर के बाद हो जानी चाहिए। फसल का कंद बनाने के लिए अच्छा तापमान 18-20 डिग्री माना गया है।

Viren Singh
Published on: 6 Sep 2023 1:58 AM GMT
Aloo ki Kheti: शुरू हुई यूपी से विदेशों में आलू निर्यात, किसानों के पास आया बंपर कमाई का मौका, ऐसे करें इसकी खेती
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Aloo ki Kheti Kaise Karen (सोशल मीडिया)

Aloo ki Kheti Kaise Karen: यूपी की योगी सरकार ने राज्य से विदेशों में आलू निर्यात करना शुरू कर दिया है। इस कदम से आने वाले दिनों में दो फायदे मिलने वाले हैं। पहला फायदा सूबे में आलू की खेती का रकबा बढ़ेगा। दूसरा फायदा किसानों को आलू की फसल पर अच्छा दाम मिलेगा, जिससे उनकी आय दोगुनी होगी। ऐसे में जो किसान आलू की खेती में लगे हुए हैं, आने वाले दिनों उनकी बल्ले-बल्ले होने वाली है। वहीं, जो नए किसान इसकी खेती करना चाहते हैं तो उन्हें भी लाभ मिलेगा। ऐसे में अगर किसान हैं और खेती किसानी से जुड़े होते हुए आय के लिए संघर्ष कर रहे हैं तो आलू की खेती ऐसे किसानों के वरदान साबित हो सकती है। ऐसे में अगर किसान भाई आलू की इन किस्मों की खेती करते हैं, उनके पास कमाई का शानदार मौका बनने वाला है।

इन किस्मों की आलू करती हैं अधिक कमाई

हमारे देश मे आलू की कई किस्मों की पैदावारी की जाती है। इसमें कुफरी अशोक, कुफरी पुखराज और कुफरी सूर्या आलू की उन्नत किस्में हैं। यह इन किस्मों की आलू जल्दी तैयार हो जाती है। आलू को अकाल नाशक फसल भी कहते हैं,क्योंकि यह अन्य फसल की तुलना में अधिक तैयार होती है। आलू की मंडी में पूरे साल मांग रहती है। अगेती फसल की बुवाई का समय भी आ गया है। अक्टूबर में आलू की फसल की बुवाई शुरू हो जाती है। ऐसे में किसान भाई इस फसल के माध्मय से बढ़िया कमाई कर सकते हैं।

कैसे करें आलू की बुआई

अगेती फसल की बुआई मध्य सितंबर से अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में होती है, जबकि मुख्य फसल की बुआई मध्य अक्टूबर के बाद हो जानी चाहिए। फसल का कंद बनाने के लिए अच्छा तापमान 18-20 डिग्री माना गया है। आलू की फसल विभिन्न प्रकार की भूमि में तैयार की जा सकती है। इसके लिए बलुई दोमट, दोमट मिट्टी अच्छी मानी गई है। साथ ही, खेत तैयार करते हुए जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि सिंचाई और बारिश का पानी खेत में न भर पाए। इसकी खेती के लिए भूमि का पीएम मान 6-8 अच्छा रहता है। खेती में आलू का कंद लगाने के बाद 10 से 20 दिन के अंदर पहली सिंचाई करनी चाहिए। दो सिंचाई के बीच में 20 दिन का अंतर रखना चाहिए। खुदाई करने के 10 दिन पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए। ऐसा करने से खुदाई के समय कंद स्वच्छ निकलेंगे। रिपाई के 60 दिन आलू की खुदाई करनी चाहिए।

यहां से हुआ आलू निर्यात

उत्तर प्रदेश सरकार ने पहली बार अलीगढ़ से 29 मीट्रिक टन (एमटी) आलू एफपीओ के माध्यम से दक्षिण अमेरिका के गुयाना को निर्यात किया है। एपीडा के वाराणसी स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के उप महाप्रबंधक सी.बी. सिंह ने बताया कि पहली बार समुद्री मार्ग से अलीगढ़ से 29 मीट्रिक टन आलू दक्षिण अमेरिका के गुयाना को निर्यात किया गया है। इस खेप के लिए आलू अलीगढ के स्थानीय एफपीओ से खरीदकर कोल्ड स्टोरेज में पैक किया गया है. इस क्षेत्र में आलू उत्पादन की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए एपीडा आलू के लिए एक कृषि निर्यात केंद्र स्थापित करने की पहल कर रहा है, जिससे अलीगढ़ और आसपास के क्षेत्रों के किसानों के लिए रोजगार के अवसर खुलेंगे।

होगी इतनी कमाई

किसान भाई आलू की खेती से अच्छी कमाई कर सकते हैं। एक हेक्टेयर में करीब 350 क्विंटल से लेकर 400 क्विंटल तक आलू पैदा किया जा सकता है। यदि बाजार में इसका भाव 20-30 रुपए प्रति किलो रहता है तो इस हिसाब से यदि 5 हेक्टेयर में इसकी बुवाई की जाए और न्यूनतम भाव 20 रुपए किलो मान कर चले तो भी आप इसकी एक फसल से करीब 8 लाख रुपए विक्रय करके प्राप्त कर सकते हैं। और यदि आपने अपनी खेती की आलू को निर्यात कर दिया तो यह कमाई और बढ़ सकती है।

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