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हाथरस पर बड़ी खबर: दो डॉक्टरों को हटाया गया, पीड़िता का किया था इलाज
हालांकि इस बारे में जेएनयू प्रशासन का कहना है कि दोनों चिकित्साधिकारियों की सेवा अवधि समाप्त हो गई थी, इसलिए उनकों हटा दिया गया है।
लखनऊ: हाथरस में दलित युवती के साथ कथित दुष्कर्म-मौत और बिना मंजूरी अंतिम संस्कार मामलें की जांच कर रही सीबीआई के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कालेज के दौरे के बाद विश्वविद्यालय के कुलपति तारिक मंसूर ने लीव वैकेंसी के आधार पर काम कर रहे दो चिकित्साधिकारियों को हटा दिया है।
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इस बारे में जेएनयू प्रशासन का कहना है
हालांकि इस बारे में जेएनयू प्रशासन का कहना है कि दोनों चिकित्साधिकारियों की सेवा अवधि समाप्त हो गई थी, इसलिए उनकों हटा दिया गया है। ये दोनों चिकित्सक हाथरस पीड़िता के इलाज व मेडिकल जांच करने में शामिल बताये जा रहे है। बताया जा रहा है कि बीते सोमवार को सीबीआई ने इन चिकित्साधिकारियों तथा अन्य स्टाफ से पूछताछ की थी।
उन्हे लीव वैकेंसी के तहत ड्यूटी के लिए बुलाया गया था
इनमें से एक चिकित्सक डा. अजीमुद्दीन मलिक का कहना है कि उन्हे लीव वैकेंसी के तहत ड्यूटी के लिए बुलाया गया था। इसी बीच हाथरस का मामला भी आया था। जिसमे वह युवती भी आयी थी। उन्होंने कहा कि इसके बाद भी वह अपनी ड्यूटी कर रहे थे और आज उन्हे एक पत्र मिला है, जिसमे उनसे हटने के लिए कहा गया है लेकिन इसका कोई कारण नहीं बताया गया है। जबकि दूसरे चिकित्सक डा. ओबैद का कहना है कि उन्हे भी ऐसा ही एक पत्र मिला है, जिसमे बगैर किसी कारण को बताये कहा गया है कि उनकी नियुक्ति रद्द की जा रही है।
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बता दे कि हाथरस में दलित युवती के साथ दुष्कर्म और मारपीट के बाद उसे हाथरस के संयुक्त जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां उसकी हालत ज्यादा खराब होने पर उसे जेएन मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया था।
मनीष श्रीवास्तव
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