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जमीन से निकला मंदिर! काशी नागरी में हुआ ऐसा चमत्कार, संत समाज ने की ये मांग
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण कार्य जैसे-जैसे आगे बढ़ता जा रहा है, मंदिरों और मूर्तियों के मिलने का सिलसिला जारी है। कॉरिडोर के लिए खुदाई के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के पास 16 वीं शताब्दी का एक प्राचीन मंदिर मिला है।
वाराणसी: काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण कार्य जैसे-जैसे आगे बढ़ता जा रहा है, मंदिरों और मूर्तियों के मिलने का सिलसिला जारी है। कॉरिडोर के लिए खुदाई के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के पास 16 वीं शताब्दी का एक प्राचीन मंदिर मिला है। खुदाई के दौरान एक सुरंग का भी पता चला है। खुदाई में मिले ये अवशेष 16वीं शताब्दी के बताए जा रहे हैं। मंदिर के अवशेष मिलने की खबर मिलते ही मंदिर प्रशासन के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे, लेकिन अभी किसी ने आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। मंदिर प्रशासन का कहना है कि जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
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स्थापत्य शैली में बने हैं मंदिर
ज्ञानव्यापी मैदान में श्रंगार गौरी मंदिर के करीब बुलडोजर से खुदाई का काम चल रहा था। इसी दौरान मस्जिद की ओर जाने वाला सुरंगनुमा रास्ता और मंदिर के अवशेष मिला तो खुदाई का काम रोक दिया गया। इसके बाद मंदिर प्रशासन से जुड़े अधिकारियों को इसकी जानकारी दी गई। क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ. सुभाष यादव का कहना है कि प्रथमदृष्टया यह किसी मंदिर का ही अवशेष है। निर्माण शैली के आधार पर इसको 16वीं शताब्दी के आसपास का माना जा सकता है। मौके पर निरीक्षण के बाद ही आगे की स्थिति स्पष्ट होगी।
Kashi Vishwanath Corridor (social media)
संत समाज ने की ये मांग ?
दूसरी ओर संत समाज इस मुद्दे को हवा देने में जुट गया है। अखिल भारतीय संत समिति राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने एएसआई से खुदाई कराने की मांग की है। मंदिर परिसर में मिले अवशेष के बाद बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्ण रूप की मांग उठी है। स्वामी जितेन्द्रानंद ने कहा अगर विश्वनाथ मंदिर है तो हिंदुओ को वापस मिलना चाहिए। अयोध्या, काशी और मथुरा पर समझौते का कोई सवाल ही नहीं उठता है। उन्होंने कहा कि संत समाज इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त करती है कि अचानक खुदाई के दौरान इस प्रकार के मंदिर और सुरंगों का प्राप्त होने का मतलब बाबा विश्वनाथ खुद चाहते हैं कि सच्चाई दुनिया के सामने आए।
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पहले भी कई मन्दिर आ चुके हैं सामने
विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के दौरान पहले भी कई ऐतिहासिक मंदिर मिल चुके है। इन मंदिरों के बारे में विश्वनाथ मंदिर प्रशासन, बीएचयू और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम जांच कर रही है। कार्बन डेटिंग के जरिए इन मंदिरों का इतिहास संजोने में टीम जुटी है।
आशुतोष सिंह
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