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अब सीधे फांसी: रेप के आरोपियों की खैर नहीं, आ गया कानून
देश में बढ़ते रेप और हत्या के मामलों को देखते हुए आंध्रप्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए राज्य में नये कानून को पारित कर दिया गया। विधेयक के पास हो जाने के बाद अब आंध्रा में माहिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध से जुड़े मामलो का निपटारा 21 दिन के भीतर करने की बात कही गयी हैं,
नई दिल्ली: देश में बढ़ते रेप और हत्या के मामलों को देखते हुए आंध्रप्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए राज्य में नये कानून को पारित कर दिया गया। विधेयक के पास हो जाने के बाद अब आंध्रा में माहिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध से जुड़े मामलो का निपटारा 21 दिन के भीतर करने की बात कही गयी हैं, साथ ही यदि दोषी के खिलाफ दोष सिद्ध पाए जाते हैं तो उसे फांसी देने का प्रावधान भी सुनिश्चित किया गया है।
इस प्रस्तावित नए कानून का नाम ‘आंध्र प्रदेश दिशा अधिनियम आपराधिक कानून (आंध्र प्रदेश संशोधन) अधिनियम, 2019 दिया गया है।भाषायी आधार पर अलग हुए पड़ोसी राज्य तेलंगाना के हैदराबाद में एक पशु चिकित्सक से बलात्कार के बाद उसको जिंदा जला देने का मामला सामने आया था जिसने सबको को झकझोर कर रखा दिया था। आंध्र प्रदेश के द्वारा यह विधेयक पीड़िता को दी गई सच्ची श्रद्धांजलि बताया जा रहा है। आंध्रा की गृह राज्य मंत्री एम सुचरिता ने यह विधेयक विधानसभा में पेश किया जिसे सत्तारूढ़ पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने ‘क्रांतिकारी’ बताया।
क्या है इस कानून में
नये कानून के तहत यौन अपराध के मामलों की जांच दर्ज होने के सात कामकाजी दिन के भीतर पूरी होगी और आरोपपत्र दाखिल किए जाने के 14 कामकाजी दिन के भीतर मुकदमे की सुनवाई पूरी करनी होगी। नए कानून के तहत दी गयी सजा के खिलाफ अपील का निपटारा छह महीने के भीतर करना होगा । आईपीसी में तीन नयी धाराएं 354 ई, 354 एफ और 354 जी शामिल की जाएंगी। इन धाराओं के तहत क्रमश: महिलाओं के उत्पीड़न, बच्चों के यौन उत्पीड़न और बच्चों पर बढ़ रहे यौन हमले की व्याख्या की गयी है|
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धारा 376 (बलात्कार), 376D (अस्पताल के किसी भी महिला के प्रबंधन या स्टाफ के किसी भी सदस्य द्वारा संभोग) और 376DA (16 साल से कम उम्र की महिला से सामूहिक बलात्कार) को सूचीबद्ध अपराधों के लिए मृत्युदंड में शामिल किया जाएगा।
पुलिस ने पीड़िता का नाम दिशा रखा जिसके नाम पर यह विधेयक बनाया गया
रेप से जुड़े मामलों में पीड़िता का नाम प्रकाशित या प्रसारित करना प्रतिबंधित है। मीडिया में पीड़िताओं का बदला हुआ नाम इस्तेमाल होता है। इसके अलावा पीड़िता की फोटो भी नहीं लगाई जाती। हालांकि पिछले कुछ दिनों से आम लोग न्याय के लिए चलाए जा रहे मुहिम में उनका असली नाम का ही इस्तेमाल कर रहे थे। इसके बाद पुलिस ने सबसे अनुरोध किया है कि वो 'जस्टिस फॉर दिशा' नाम से कैंपेन चलाये। पुलिस ने पीड़िता का नाम दिशा रखा जिसके नाम पर यह विधेयक बनाया गया।
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आरोपियों का एनकाउंटर हैदराबाद में पशु चिकित्सक के साथ हुए रेप और फिर जला कर मारने की घटना के बाद देश भर में ऐसी घटनाओं के खिलाफ आक्रोश था। इस मामले में चार आरोपी गिरफ्तार किये गए थे हालांकि जब पुलिस उन्हें सीन रिक्रिएशन के लिए मौका-ए-वारदात पर ले गई तो वह भागने की कोशिश करने लगे।
उन्होंने साथ गए पुलिसवालों के हथियार भी छीनने की कोशिश की और उन पर पत्थर बरसाए। पुलिस ने दावा किया कि आरोपियों ने इस दौरान गोली भी चलाई। अपने बचाव में उन्हें आरोपियों का एनकाउंटर करना पड़ा। तेलंगाना पुलिस की ओर से की गई इस कार्रवाई की देश के कई हिस्सों में प्रशंसा हुई तो कई ने इसकी भर्त्सना की।फिलहाल एनकाउंटर का मामले पर सुप्रीम कोर्ट समेत राज्य सरकार ने अपनी जांच कमेटी बनाई है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया था।