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अन्नू टंडन की विदाई: बांगरमऊ उपचुनाव से क्या है रिश्ता, उठ रहे बड़े सवाल
कांग्रेस की राजनीति में अन्नू टंडन को कारपोरेट कल्चर का प्रतिनिधि माना जाता रहा है। उनका राजनीतिक प्रवेश भी कुछ इसी अंदाज में हुआ। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सलमान खुर्शीद को उनके कांग्रेस प्रवेश का श्रेय दिया जाता है।
लखनऊ। उन्नाव से कांग्रेस की सांसद रही अन्नू टंडन के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस के कार्यकर्ता खुश क्यों हैं। उनके पार्टी से बाहर जाने का क्या कोई रिश्ता उन्नाव की बांगरमऊ सीट पर हो रहा उपचुनाव से भी है। उपचुनाव के लिए मतदान से ऐन पहले उनका कांग्रेस से नाता तोड़ना अहम है तो क्या इसका असर उपचुनाव पर पड़ेगा?
कारपोरेट कल्चर का प्रतिनिधि थीं अन्नू टंडन
कांग्रेस की राजनीति में अन्नू टंडन को कारपोरेट कल्चर का प्रतिनिधि माना जाता रहा है। उनका राजनीतिक प्रवेश भी कुछ इसी अंदाज में हुआ। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सलमान खुर्शीद को उनके कांग्रेस प्रवेश का श्रेय दिया जाता है। अन्नू टंडन के पति मुकेश अंबानी की रिलायंस में अधिकारी हैं। कांग्रेस का टिकट मिलने के बाद वह उन्नाव से सांसद बनीं लेकिन बाद में लगातार तीन चुनाव हारने का सेहरा भी उनके माथे पर बंध गया।
कांग्रेस के अंदर इसकी अलग ही कहानी है
अन्नू टंडन ने बृहस्पतिवार को पार्टी से नाता तोड़ने के वक्त पर एक लंबी चिठठी में कारण भी गिनाए हैं लेकिन कांग्रेस के अंदर इसकी अलग ही कहानी है। कारपोरेट कल्चर की राजनीति की वजह से उनका कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ कभी अच्छा तालमेल नहीं रहा। बताया जाता है कि जब वह प्रदेश कांग्रेस की मीडिया इंचार्ज रहीं तब कांग्रेस प्रवक्ता सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव के साथ उनका झगडा हुआ जो हाईकमान तक पहुंचा।
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उन्नाव के कांग्रेसियों के साथ भी विवाद बढ़ने लगा
पता चला है कि वह रिलायंस के कारोबार को बढ़ाने के लिए कांग्रेस के विधायकों व पार्टी के प्रभाव का इस्तेमाल उत्तर प्रदेश में करना चाहती थीं लेकिन सिद्धार्थ प्रिय उनके रास्ते में बाधा बनकर अड़ गए। बाद में उनका उन्नाव के कांग्रेसियों के साथ भी विवाद बढ़ने लगा। स्थानीय राजनीति में उनके दखल की वजह से कई कांग्रेसी नेता पार्टी का साथ छोड़कर चले गए। जिसमें एमएच खान, अशोक बेबी जैसे नेता भी हैं जिनसे उन्नाव की राजनीति में कांग्रेस को ताकत मिलती रही है।
बांगरमऊ चुनाव भी बना वजह
बताया जाता है कि बांगरमऊ उपचुनाव के लिए प्रत्याशी चयन भी अन्नू टंडन के कांग्रेस से अलग होने की बड़ी वजह है। बांगरमऊ से चुनाव लड़ रही आरती वाजपेयी के पिता और बाबा पुराने कांग्रेसी हैं और नेहरू परिवार के साथ उनके बेहद करीबी रिश्ते रहे लेकिन जब अन्नू टंडन का प्रभाव बढ़ा तो उन्होंने आरती वाजपेयी को चुनाव लड़ने से रोक दिया। इससे नाराज होकर आरती वाजपेयी ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और कांग्रेस को नुकसान हुआ।
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प्रदेश कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद प्रियंका गांधी ने उन्नाव के जिलाध्यक्षों के बारे में अन्नू टंडन की एक रिपोर्ट को लेकर पार्टी मीटिंग में उन्हें सबके सामने बेनकाब कर दिया। गलत रिपोर्ट करने की वजह से प्रियंका ने उन पर नाराजगी भी जताई। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस से दूरी बनानी शुरू कर दी।
इस लिए तोड़ा कांग्रेस से नाता
बांगरमऊ उपचुनाव में भी वह अपना प्रत्याशी चाहती थीं लेकिन जब कामयाब नहीं हुईं तो आखिरकार पार्टी से नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया। कांग्रेस के युवा नेता जीशान हैदर ने कहा कि चलो अच्छा हुआ अन्नू टंडन ने अपनी दुकान समेट ली। कारपोरेट राजनीति करने वाले टिक भी कैसे सकते हैं। तीन बार चुनाव हारकर पहले ही कांग्रेस का काफी नुकसान कर चुकी हैं।
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रिपोर्ट-अखिलेश तिवारी
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