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बाराबंकी प्रशासन का उदासीन रवैया, आज तक नहीं बना शहीद का स्मारक

जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा सेक्टर में देश की रक्षा करते-करते आतंकवादियों की गोली का शिकार होने के बाद इस शहीद की याद में स्मारक बनाने के लिए जिला प्रशासन की तरफ से भूमि दी गई थी

Roshni Khan
Published on: 5 Feb 2021 12:28 PM IST
बाराबंकी प्रशासन का उदासीन रवैया, आज तक नहीं बना शहीद का स्मारक
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प्रशासन का उदासीन रवैया, मंजूरी मिलने के बाद भी नहीं बना शहीद का स्मारक (PC: social media)

बाराबंकी: शहीदों की मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा। यह पक्तियां किसी भी शहीद के स्मारक को देखकर अचानक जहन में आ जाती हैं। मगर अफसोस यह है कि जिले के एक मामले में यह पंक्तियां फलीभूत नहीं हो पाई। क्योंकि यहां शहीद की मजार ही नहीं, तो कैसे लगे इस पर हर बरस मेले। दरअसल सालों पहले बाराबंकी जिले का एक रणबांकुरा देश के लिए अपनी शहादत देने के बाद अब अपनी पहचान के लिए आज भी देश के अंदर जंग लड़ रहा है।

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शहीद के दोनों बेटे भी इस समय आर्मी में ही तैनात हैं

जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा सेक्टर में देश की रक्षा करते-करते आतंकवादियों की गोली का शिकार होने के बाद इस शहीद की याद में स्मारक बनाने के लिए जिला प्रशासन की तरफ से भूमि दी गई थी, लेकिन आज तक इस जमीन पर न तो शहीद की स्मारक बनी और न ही परिवार की इस मामले में कोई मदद की गई। जबकि शहीद के दोनों बेटे भी इस समय आर्मी में ही तैनात हैं। इस मामंले को लेकर आज भी जिले में आयोजित चौरी चौरा महोत्‍सव के दौरान शहीद की पत्नी ने मुख्य अतिथि और जिले के प्रभारी मंत्री से मिलकर मदद की गुहार लगाई है।

पूरा मामला बाराबंकी में दरियाबाद थाना क्षेत्र के तेलमा गांव का है। जहां जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा सेक्टर में शहीद हुए मोहम्मद शरीफ के स्मारक की भूमि को लेकर विवाद चल रहा है। तेलमा गांव के निवासी सेना में नायब सूबेदार मोहम्मद शरीफ कुपवाड़ा सेक्टर में साल 2002 में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गये थे।

शहीद स्मारक के लिए गांव के बाहर जमीन ने भूमि दी थी

शहीद स्मारक के लिए गांव के बाहर जमीन ने भूमि दी थी। लेकिन उस जमीन पर गांव के दूसरे लोग आज तक कब्जा जमाए हैं और जिसके चलते शहीद का न तो स्मारक ही वहीं बन सका और न ही उसके परिवार की ही कोई मदद की जा रही है। इसी को लेकर आज जिले में आयोजित चौरी-चौरी महोत्सव के दौरान कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और जिले के प्रभारी मंत्री दारा सिंह चैहान से भी मिलकर शहीद की पत्नी ने मिलकर मदद मांगी है। जिसपर मंत्री ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। आपको बता दें कि शहीद के दोनों बेटे भी आर्मी में ही तैनात हैं।

barabanki-matter barabanki-matter (PC: social media)

18 सालों से स्मारक की दी गई भूमि पर अतिक्रमण है

शहीद के बेटे और आर्मी में ही तैनात सरताज अंजुम और शहीद की पत्नी आशिया बेगम के मुताबिक 18 सालों से स्मारक की दी गई भूमि पर अतिक्रमण है। उसको खाली कराने के लिए कई बार प्रशासन से मिला और उन्हें जानकारी दी गई। जिसके बाद तहसील प्रशासन के अधिकारी भूमि की पैमाइश कर चिन्हित कर लौट गये। शहीद के बेटे का आरोप है कि उसकी मां आशिया बेगम सहित पांच लोगों के खिलाफ ही बंजर की भूमि पर कब्जा करने का आरोप लगाते हुए दीवानी न्यायालय में केस दायर किया है।

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वहीं इस मामले में बाराबंकी जिले के प्रभारी मंत्री दारा सिंह चौहान ने कहा कि वह इस मामले को दिखवाएंगे। योगी सरकार में किसी भी जमीन पर अवैध कब्जा नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि यह मामला अब मेरे संज्ञान में आया है और शहीद के परिवार की पूरी मदद की जाएगी।

रिपोर्ट- सरफराज वारसी

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