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एक जिला-एक उत्पाद सिर्फ छलावा! यहां लकड़ी के खिलौने बनाने वाले कारीगर निराश
जब इस बारे में उपायुक्त,उद्योग एवं उत्साहन केंद्र एसके केशरवानी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कुछ समस्याये तो आ रही हैं लेकिन धीरे धीरे कारीगरों को सभी सरकारी योजनाओं की सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसकी व्यापकता बढाने की जरूरत है तभी इससे जुड़े लोगों को फायदा मिलेगा।
अनुज हनुमत
चित्रकूट: यूं तो एक जिला एक उत्पाद के तहत चित्रकूट में लकड़ी के खिलौने को चुना गया है। लेकिन इस उत्पाद से जुड़े शिल्पियों और कारीगरों को भारी समस्यायों का सामना करना पड़ रहा है। धर्मनगरी में लकड़ी के खिलौने बनाने के कुटीर उद्योग को प्रदेश सरकार ने बढ़ावा देने की घोषणा की थी जिसके तहत इसे वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट में शामिल किया गया था। जिसके बाद कारीगरों को उम्मीद की किरण नजर आ रही थी लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद भी इस काम मे कोई बदलाव न होने से कारीगरों में निराशा है। न तो बैंक से लोन मिल रहा है और न ही सरकार मार्केट उपलब्ध करा रही है।
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ऐसे में उद्योग में ज्यादा कुछ फायदा नहीं हो रहा है। पहले शुरू में ज्यादातर लोगों का मानना था कि कई साल से इस उद्योग की उपेक्षा होने से कारखाने बंद हो गए थे लेकिन जब प्रदेश सरकार ने यहां के प्राचीन कुटीर उद्योग की सुध ली तो लगा कि इसे भी पंख लग जाएंगे, इससे फिर से इनके दिन बहुरने की उम्मीद थी। लेकिन उड़ान का इंतजार अभी भी इस काम से जुड़े लोगों को है।
कई कारखाने बंद हो गए
धर्मनगरी में आजादी के समय से लकड़ी के खिलौने बनाने का कुटीर उद्योग फलफूल रहा था लेकिन इस कुटीर उद्योग को सरकार द्वारा प्रोत्साहन नहीं दिया जाता था। कई कारखाने बंद हो गए। वहीं खिलौने बनाने के लिए प्रयुक्त की जाने वाली दूधिया (कोरमा) लकड़ी की कीमत 120 रुपये क्विंटल से 500 रुपये क्विंटल हो गई। यह लकड़ी वन विभाग से मिलती थी। इधर, प्लास्टिक के खिलौने व चाइनीज खिलौने बाजार में आ जाने से भी कारोबार में खासा प्रभाव पड़ा है। जब प्रदेश की योगी सरकार ने चित्रकूट जिले में लकड़ी के खिलौने बनाने के कारोबार को बढ़ावा देने की घोषणा की थी तो सबने इसका स्वागत किया था और इसे बनाने वाले कारीगरों में तो मानो खुशी का ठिकाना न रह था । जिसके बाद लकड़ी के खिलौना कारोबार के फलने फूलने की आशा लगाई जा रही थी।
चित्रकूट जिले के लोगों को रोजगार मिलेगा
कुछ समय पहले ही प्रदेश सरकार ने एक जिला एक उत्पादन (ओडीओपी) योजना से चित्रकूट जिले में लकड़ी के खिलौने बनाने के कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने की घोषणा की थी। खिलौने बनाने का कारोबार करने वाले संजय सिंह, व बलराम सिंह, धीरज द्विवेदी ने बताया कि प्रदेश सरकार ने चित्रकूट जिले मेें लकड़ी के कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदारी ली थी लेकिन कोई खास मदद निहि की जा रही है। इस योजना से हमे फिलहाल कोई फायदा नहीं मिल रहा है। अगर हमें पूरा सहयोग मिले तो हमको आज भी भरोसा है कि फिर से इस उद्योग के दिन बहुरेंगे। चित्रकूट जिले के लोगों को रोजगार मिलेगा।
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इन शिल्पियों के दिन आज तक नही सुधरे
खिलौने बनाने के लिए वस्तु उद्योग विभाग सहित कई अन्य विभागों की तरफ से खिलौना बनाने वाले कारीगरों को पुरस्कार भी मिला है, जिसमें रामघाट स्थित खिलौना बनाने में बलराम राजपूत को राज्य प्रदेश स्तरीय हस्तशिल्प पुरस्कार लघु उद्योग निर्यात प्रोत्साहन उद्योग की तरफ से 1996- 97 में मिल चुका है। इनके पिता स्व. गोरेलाल को 2007 में नेशनल एवार्ड मिल चुका है। इन्हें शिल्प गुरु अवार्ड मिला था जो कि खिलौने के क्षेत्र में अब तक सिर्फ इन्ही को मिला है। यह परिवार लकड़ी के खिलौने बनाने के साथ खाने वाली सुपाड़ी से भी खिलौने बनाता है। इसमेें भी इनको इनाम मिल चुका है। लेकिन बावजूद इसके इन शिल्पियों के दिन आज तक नही सुधरे।
वही जब इस बारे में उपायुक्त,उद्योग एवं उत्साहन केंद्र एसके केशरवानी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कुछ समस्याये तो आ रही हैं लेकिन धीरे धीरे कारीगरों को सभी सरकारी योजनाओं की सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसकी व्यापकता बढाने की जरूरत है तभी इससे जुड़े लोगों को फायदा मिलेगा। बैंकों से लोन में जो समस्याएं आ रही है उसे भी दूर की जायेगा जल्द ही।