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UP विधानसभा चुनाव: जनता दल (यू) फिर से जमाएगा अपनी जड़ें, होगा तगड़ा मुकाबला

चुनावी तैयारियों के लिए महासचिव केसी त्यागी ने लखनऊ में अपना डेरा जमा रखा है। उन्होंने बताया कि हमें भाजपा की ओर से उत्तर प्रदेश में साथ चुनाव लड़ने का कोई प्रस्ताव नहीं मिला है।

Roshni Khan
Published on: 25 Jan 2021 8:41 AM GMT
UP विधानसभा चुनाव: जनता दल (यू) फिर से जमाएगा अपनी जड़ें, होगा तगड़ा मुकाबला
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UP विधानसभा चुनाव: जनता दल (यू) फिर से जमाएगा अपनी जड़ें, होगा तगड़ा मुकाबला (PC: social media)

लखनऊ: विधानसभा चुनाव की आहट होते ही दूसरे राज्य के दलों का यूपी में आना शुरू हो गया है जहां आम आदमी पार्टी, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन और शिवसेना चुनाव में उतरने को तैयार है वहीं बिहार में भाजपा का सहयोगी दल जनता दल (यू) एक बार फिर यूपी विधानसभा चुनाव में उतरने को तैयार हो रहा है।

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हम पार्टी के संगठन को मजबूत करने का काम करेंगे

चुनावी तैयारियों के लिए महासचिव केसी त्यागी ने लखनऊ में अपना डेरा जमा रखा है। उन्होंने बताया कि हमें भाजपा की ओर से उत्तर प्रदेश में साथ चुनाव लड़ने का कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। फिलहाल, हम पार्टी के संगठन को मजबूत करने का काम करेंगे।

जनता दल (यू) पहले भी विधानसभा चुनावों में यूपी में अपनी किस्मत आजमाता रहा है। भाजपा के सहयोग से उसने चुनाव भी लड़ा और उसे इसका लाभ भी मिला पर बनते बिगड़ते सम्बन्धों के चलते दोनो दलों ने अलग-अलग राह चुन ली जिसके कारण भाजपा को तो कोई नुकसान नहीं हुआ पर जनता दल (यू) का वजूद खत्म हो गया।

पिछला विधानसभा चुनाव पार्टी की आपसी कलह की भेंट चढ़ गया था

पिछला विधानसभा चुनाव पार्टी की आपसी कलह की भेंट चढ़ गया था। पार्टी की स्थापना के बाद से यह पहला चुनाव नहीं है जिसमें पार्टी का कोई भी प्रत्याशी नहीं उतर सका। विवादों के बीच जनता दल (यू) का राष्ट्रीय लोकदल और बीएस फोर से गठजोड़ तय हो गया लेकिन बाद में आपसी बात बिगड़ गयी।

इसके अलावा जनता दल (यू) की प्रदेश यूनिट में कई बार आपसी विवाद हुआ। 2012 के चुनाव में भी आपसी विवाद होने के कारण प्रत्याशियों की सूची काफी देर से जारी हुई। जद (यू) ने यह चुनाव भी अपने बूते पर लडा था। जिसका परिणाम यह रहा कि अधिकतर स्थानों पर इनके प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा सके पार्टी की हालत बेहद दयनीय रही थी। केवल बांसडीह ऐसी विधानसभा सीट थी जहां पर जनता दल (यू) का प्रत्याशी पांचवे स्थान पर आ सका था। जबकि चुनाव में शरद यादव ने 135 जनसभाएं की थी लेकिन भाजपा से अलग होने का उसे बहुत अधिक नुकसान उठाना पड़ा था।

कहीं कहीं तो प्रत्याशियों की हालत निर्दलीय प्रत्याशियों से भी बदत्तर रही थी

2012 का चुनाव जनता दल (यू) ने बिहार में गठबन्धन टूटने के बाद अपने दम 219 प्रत्याशी उतारे तो अधिकतर स्थानों पर उसे 100 से 1000 तक ही मत मिल सके। जनता दल (यू) को मात्र 0,36 प्रतिशत मत ही मिल सके थें। कहीं कहीं तो प्रत्याशियों की हालत निर्दलीय प्रत्याशियों से भी बदत्तर रही थी। आंवला में पार्टी उम्मीदवार नेपाल सिंह को को मात्र 191 मत ही मिले थे। पार्टी के आपसी विवाद के चलते ही गठबन्धन पर बात नहीं बन सकी थी। जनता दल (यू) 53 सीटों की मांग कर रहा था जबकि भाजपा नेतृत्व इसपर तैयार नहीं था।

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जबकि इसके पहले के चुनाव में जनता दल (यू) भाजपा के साथ चुनाव लडा था तो भाजपा नेतृत्व ने उसे 16 सीटे दी थी। इस चुनाव में रारी सीट जनता दल (यू) के धनंजय सिंह ने जीती थी। जबकि 12 सीटों पर उसकी जमानत जब्त हुई थी। इसी तरह 2002 में भाजपा ने उसे 13 सीट दी थी तो जनता दल (यू) केवल एक सीट ही जीत सका था।

रिपोर्ट- श्रीधर अग्निहोत्री

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