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UP STF: अतीक के बेटे असद को ढ़ेर करने वाली एसटीएफ का ये है इतिहास, कई खूंखार अपराधियों का कर चुकी खात्मा
UP STF: इस ऑपरेशन के बाद एकबार फिर एसटीएफ चर्चाओं में है। पुलिस विभाग का यह संगठन प्रदेश के एक से एक खतरनाक और खूंखार अपराधियों और माफियाओं को निपटाने के लिए जाना जाता है।
UP STF: प्रयागराज के बहुचर्चित उमेश पाल हत्याकांड के आरोपियों में शामिल कुख्यात माफिया अतीक अहमद का बेटा असद अहमद को एसटीएफ ने ढ़ेर कर दिया है। असद के साथ-साथ एक अन्य शूटर गुलाम मोहम्मद भी मारा गया है। इन दोनों पर यूपी पुलिस ने 5-5 लाख का इनाम घोषित कर रखा था। इन दोनों का एनकाउंटर एसटीएफ ने झांसी में किया है। पुलिस ने इनके पास से विदेशी हथियार भी बरामद किए हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक, एसटीएफ लगातार इन्हें ट्रेस कर रही थी, जैसे ही इनके झांसी में छिपे होने की जानकारी मिली, डीएसपी नवेंदु और डीएसपी विमल के नेतृत्व में यूपीएसटीएफ की एक टीम को इन्हें दबोचने भेज दिया गया। जहां एनकाउंटर में दोनों फरार शूटर्स मारे गए। इस पूरे ऑपरेशन को ADG STF अमिताभ यश लीड कर रहे थे। उन्होंने इस कामयाबी के लिए टीम के बाकी सदस्यों को बधाई दी। इस अभियान में शामिल टीम में दो डिप्टी एसपी के अलावा 12 पुलिसकर्मी भी शामिल थे।
क्या है एसटीएफ का इतिहास ?
24 फरवरी से फरार चल रहे माफिया अतीक का तीसरा बेटा असद अहमद और एक अन्य शूटर गुलाम को आखिरकार यूपी एसटीएफ ने ढ़ेर कर दिया। इस ऑपरेशन के बाद एकबार फिर एसटीएफ चर्चाओं में है। पुलिस विभाग का यह संगठन प्रदेश के एक से एक खतरनाक और खूंखार अपराधियों और माफियाओं को निपटाने के लिए जाना जाता है। इसका इतिहास भी बेहद दिलचस्प है। आज हम आपको बताएंगे कि आखिर किन परिस्थितियों में इसकी नींव पड़ी।
ये दौर था 1990 के दशक का। पूर्वांचल के गोरखपुर का एक लड़का देखते ही देखते जरायम की दुनिया का सबसे खूंखार अपराधी बन बैठा था। उसके आंतक से यूपी से लेकर बिहार तक की पुलिस परेशान रहती थी लेकिन उसे दबोच नहीं पाती थी। किडनैपिंग, कत्ल, उगाही, डकैती जैसे कई मामले उसपर चल रहे थे। उसने बिहार के एक कैबिनेट मंत्री को सरेआम गोलियों से उड़ा दिया था। यूपी पुलिस इस शैतान से निपटने में बेबस नजर आ रही थी। इस कुख्यात अपराधी का नाम था श्रीप्रकाश शुक्ला।
21 सितंबर 1997 को कल्याण सिंह ने जब यूपी की बागडोर संभाली तो उन्होंने अपराधियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था। जानकार बताते हैं कि इस दौरान श्रीप्रकाश शुक्ला ने मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को मारने की सुपारी ले ली थी। जिसकी जानकारी मिलते ही पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया था। शुक्ला जैसे अपराधी जो पुलिस के कंट्रोल से बाहर हो चुका था, उससे निपटने के लिए लखनऊ स्थित सचिवालय में एक दिन उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई, जिसमें मुख्यमंत्री, गृहमंत्री और डीजीपी शामिल हुए। बैठक में अपराधियों से निपटने के लिए स्पेशल फोर्स बनाने की योजना तैयार हुई। 4 मई 1998 को यूपी पुलिस के तत्कालीन एडीजी अजयराज शर्मा ने राज्य पुलिस के बेहतरीन 50 जवानों को छांटकर स्पेशल टास्क फोर्स यानी एसटीएफ बनाई। इस फोर्स का पहला टास्क था, श्रीप्रकाश शुक्ला जिंदा या मुर्दा।
कई खूंखार अपराधियों को किया ढ़ेर
अपने 25 साल के सफर में यूपी एसटीएफ ने प्रदेश से कई खूंखार एवं दूर्दांत अपराधियों का सफाया किया है। इसकी शुरूआत उसने कुख्यात माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला से की थी, जिसने दिवंगत सीएम कल्याण सिंह की 6 करोड़ में सुपारी ली थी। 23 सितंबर 1998 को गाजियाबाद में एसटीएफ ने एनकाउंटर में शुक्ला को मार गिराया था। श्रीप्रकाश शुक्ला के बाद इसने निर्भय गुर्जर, ददुआ और ठोकिया जैसे नामी अपराधियों और डकैतों का सफाया किया।
इसके अलावा एसटीएफ ने कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे, उसका सहयोगी अमर दुबे, झांसी का वांछित अपराधी पुष्पेंद्र यादव, गैंगस्टर श्याम सिंह और इनामी बदमाश सुनील कुमार जैसे अपराधियों को भी ठिकाने लगाया है। एसटीएफ को वीरता के लिए राष्ट्रपति से कई पदक भी मिल चुके हैं।
एसटीएफ का ढांचा क्या है ?
एसटीएफ का नेतृत्व अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) रैंक का आईपीएस अधिकारी करता है। जिसके सहायता के लिए एक पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) होता है। एसटीएफ कई टीमों के रूप में काम करता है। प्रत्येक टीम का नेतृत्व डीएसपी रैंक के अधिकारी करते हैं। एसटीएफ को राज्य के अंदर सभी स्थानों पर कार्रवाई करने के अधिकार होते हैं। इसकी टीमें राज्य से बाहर जाकर भी कार्रवाई कर सकती है लेकिन इसके लिए संबंधित राज्य की अनुमति जरूरी होती है।