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Atiq Ahmed: साबरमती जेल में अतीक अब कैदी नंबर 17052, माफिया को पहननी होगी कैदियों वाली ड्रेस
Atiq Ahmed: सजायाफ्ता कैदी होने के कारण अब अतीक अहमद को अपने कपड़ों की जगह कैदियों वाली ड्रेस भी पहननी होगी और जेल में काम भी करना होगा।
Atiq Ahmed: प्रयागराज के उमेश पाल अपहरण केस में उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद माफिया अतीक अहमद को अब साबरमती जेल में कैदी नंबर जारी कर दिया गया है। अतीक अहमद अब कैदी नंबर 17052 के रूप में जाना जाएगा।
सजायाफ्ता कैदी होने के कारण अब अतीक अहमद को अपने कपड़ों की जगह कैदियों वाली ड्रेस भी पहननी होगी और जेल में काम भी करना होगा। साबरमती जेल प्रशासन की ओर से जेल मैनुअल के मुताबिक अतीक अहमद को विभिन्न कामों की सूची सौंपी जा चुकी है। अब अतीक को यह फैसला करना है कि वह कौन सा काम करना पसंद करेगा।
अतीक को सुनाई गई थी उम्रकैद की सजा
माफिया अतीक अहमद को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद 2019 से ही गुजरात की साबरमती जेल में रखा गया है। अतीक को पिछले दिनों साबरमती जेल से लाकर प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट में पेश किया गया था। एमपी-एमएलए कोर्ट की ओर से अतीक अहमद को राजू पाल हत्याकांड के गवाह रहे उमेश पाल के अपहरण के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। अतीक के साथ ही उसके दो और साथियों दिनेश पासी व हनीफ को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। अदालत ने सबूतों के अभाव में अतीक के भाई अशरफ समेत सात आरोपियों को बरी कर दिया था।
उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद अतीक को काफी देर तक नैनी सेंट्रल जेल के बाहर रखा गया था और फिर उसे गुजरात की साबरमती जेल भेज दिया गया। अतीक को साबरमती जेल लेकर पहुंची पुलिस टीम ने जेल प्रशासन को अतीक अहमद को सुनाई गई उम्रकैद की सजा के संबंध में प्रपत्र सौंपे थे।
जेल में अब माफिया को करना होगा काम
अब साबरमती के जेल अधिकारियों ने अतीक अहमद को सजायाफ्ता कैदी के रूप में बैरक आवंटित कर दी है। इसके साथ ही उसे कैदी नंबर 17052 का बिल्ला भी दिया गया है। अब साबरमती जेल में अतीक अहमद को कैदी नंबर 17052 के रूप में जाना जाएगा। जेल मैनुअल के मुताबिक सजायाफ्ता कैदियों को जेल में काम भी करना पड़ता है और इसीलिए अतीक को विभिन्न कामों की सूची भी सौंपी गई है। अब इन कामों में से अतीक जो भी काम चुनेगा, वह काम भी उसे करना होगा।
अब अशरफ पर रखी जाएगी कड़ी निगाह
अतीक के भाई अशरफ को उमेश पाल अपहरण केस में राहत मिली है और उसे बरी कर दिया गया है मगर उसके खिलाफ कई अन्य मामले भी दर्ज हैं। इस कारण अशरफ को एक बार फिर बरेली जेल पहुंचा दिया गया है। बरेली जेल में अशरफ अभी तक कई सुख सुविधाओं का उपभोग करता रहा है और उसके ताजा बयान ने जेल की व्यवस्था की कलई खोल दी थी। उसने बरेली जिला जेल को महफूज ठिकाना बताया था। इस कारण बरेली जेल में ड्यूटी करने वाले खुफिया महकमे के लोग भी अब शक के दायरे में आ गए हैं। पुलिस और जिला प्रशासन की ओर से अब अशरफ पर कड़ी निगाह रखने की तैयारी है।
अतीक के शूटरों तक नहीं पहुंचे पुलिस के हाथ
इस बीच उत्तर प्रदेश पुलिस और एसटीएफ की तमाम कोशिशों के बावजूद अभी तक उमेश हत्याकांड के शूटरों का कोई सुराग नहीं मिल सका है। प्रदेश के कई तेजतर्रार अफसरों की टीम इन शूटरों का पता लगाने की कोशिश में जुटी हुई है मगर अभी तक पुलिस से अपने मिशन में फेल साबित हुई है।
शूटरों पर इनामी राशि बढ़ाए जाने के बावजूद उत्तर प्रदेश पुलिस के हाथ अभी तक खाली हैं। हालांकि गोपनीय सूचनाओं के आधार पर एसटीएफ और पुलिस की टीमों ने प्रदेश के कई स्थानों पर छापेमारी की है मगर अभी तक शूटर पुलिस के हाथ नहीं लगे हैं। इसे लेकर भी अब सवाल खड़े किए जा रहे हैं।