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Atiq-Ashraf Murder Case: क्या खुल पाएगा अतीक-अशरफ की हत्या का राज? जांच कमेटी पेश करेगी अपनी रिपोर्ट
Atiq-Ashraf Murder Case: अतीक-अशरफ हत्या केस में न्यायिक जांच कमेटी ने अपनी जांच पूरी कर ली है। संभवता: आज प्रदेश सरकार को रिपोर्ट सौंप कर कोई बड़ी खुलासा कर सकती है।
Atiq-Ashraf Murder Case: कुख्यात माफिया ब्रदर्स अतीक अहमद और अशरफ की हत्या हुए दो माह से अधिक हो गया है। जिस प्रयागराज की धरती से दोनों भाई जरायम की दुनिया पर राज किया करते थे, उसी शहर की एक रात दोनों के लिए मौत बनकर आई। किसी को अंदाजा नहीं था कि अपने टारगेट को दिनदहाड़े मौत के घाट उतारने के लिए कुख्यात माफिया बंधुओं की हत्या भी कमोबेश उसी प्रकार सरेआम हो जाएगा। पुलिस अभिरक्षा में हुए इस हत्याकांड की गूंज पूरे देश में सुनी गई।
योगी आदित्यनाथ सरकार ने वारदात के अगले ही दिन इसकी जांच के लिए एक न्यायिक आयोग का गठन कर दिया और 60 दिनों में रिपोर्ट पेश करने को कहा। यूपी सरकार द्वारा गठित न्यायिक जांच आयोग की समय-सीमा आज यानी शुक्रवार 16 जून को समाप्त हो रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि आयोग आज अपनी जांच रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंप सकती है। रिपोर्ट में इस बहुचर्चित हत्याकांड को लेकर कई बड़े खुलासे होने की उम्मीद की जा रही है।
आयोग में कितने सदस्य ?
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योगी सरकार द्वारा माफिया अतीक अहमद और अशरफ की हत्याकांड की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग में पांच सदस्य शामिल हैं। शुरू में तीन सदस्यीय आयोग का गठन किया गया था। बाद में इसमें दो ओर सदस्यों को शामिल किया गया। इस न्यायिक जांच आयोग में इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दिलीप बाबा साहेब भोंसले, झारखंड हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस वीरेंद्र सिंह, जस्टिस अरविंद कुमार त्रिपाठी, जिला जज बृजेश कुमार सोना और रिटायर आईपीएस सुबेश कुमार सिंह शामिल हैं। गृह विभाग ने जांच आयोग अधिनियम, 1952 के तहत इस आयोग का गठन किया था।
पांच सदस्यों वाली न्यायिक जांच कमेटी ने पहली बार 20 अप्रैल को प्रयागराज का दौरा किया था। जहां पर अस्पताल के बाहर इस दोहरे हत्याकांड के सीन का रिक्रिएशन भी करावाया गया था। आयोग ने अस्पातल में मौजूद स्वास्थयकर्मियों, डॉक्टर्स और वारदात के दौरान घटनास्थल पर मौजूद रहे पत्रकारों से भी सवाल – जवाब कर चुकी है। न्यायिक जांच आयोग की टीम अब तक तीन बार लखनऊ से प्रयागराज आकर तहकीकात कर चुकी है।
पुलिसकर्मियों से लखनऊ में पूछताछ
पुलिस कस्टडी में माफिया बंधुओं की हत्या से सबसे अधिक दागदार यूपी पुलिस हुई। यूपी पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर गंभीर सवाल उठे और विपक्ष ने जमकर निशाना साधा था। उस दौरान कुछ पुलिसकर्मियों पर शासन ने गाज भी गिराई थी। वारदात के दौरान घटनास्थल पर मौजूद रहे पुलिसकर्मियों को लखनऊ बुलाकर पूछताछ की गई। जानकारी के मुताबिक, न्यायिक जांच कमेटी अपनी तहकीकात पूरी कर चुकी है और रिपोर्ट है। बताया जा रहा है कि उसे किसी भी वक्त शासन को सौंपा जा सकता है।
एसआईटी भी कर रही है जांच
न्यायिक जांच आयोग के अलावा अतीक-अशरफ हत्याकांड की जांच स्पेशल इन्वस्टिगेशन टीम (एसआईटी) भी कर रही है। एसआईटी भी अब तक इस मामले में मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों, पत्रकारों और स्वास्थयकर्मियों से पूछताछ कर चुकी है। विशेष जांच दल की टीम हत्याकांड में शामिल तीनों हत्यारों से भी लंबी पूछताछ कर चुकी है। प्रयागराज के पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा के आदेश पर बनी इस एसआईटी में तीन सदस्य शामिल हैं। विशेष जांच दल की अगुवाई एसपी क्राइम सतीश चंद्र कर रहे हैं। वहीं, टीम में शामिल दो अन्य सदस्यों में सहायक पुलिस आयुक्त कोतवाली सतेंद्र प्रसाद तिवारी और निरीक्षक ओम प्रकाश शामिल हैं।
15 अप्रैल को हुई थी माफिया भाईयों की हत्या
फरवरी 2023 में प्रयागराज में हुए चर्चित उमेश पाल हत्याकांड मामले में माफिया अतीक अहमद को गुजरात की साबरमती जेल से और उसके भाई अशरफ को बरेली जेल से प्रयागराज लाया गया था। 15 अप्रैल की रात माफिया भाईयों को पुलिस कॉल्विन अस्पताल मेडिकल चेकअप के लिए ले जा रही थी। पुलिस की जीप से उतरकर दोनों जब अस्पताल की ओर जा रहे थे, तभी उन्हें मीडियाकर्मियों ने घेर लिया। मीडियाकर्मियों की इसी भीड़ में तीन हमलावर हत्यारों से लैस होकर उनका इंतजार कर रहे थे।
मौके मिलते ही तीनों ने ताबड़तोड़ अतीक अहमद और अशरफ पर गोलियां दागनी शुरू कर दी। कई राउंड फायरिंग करने के बाद उन्होंने खुद को वहीं पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। अतीक और अशरफ वहीं ढेर हो चुके थे। हमलावरों की शिनाख्त लवलेश तिवारी, अरूण मौर्य और सनी सिंह के रूप में हुई। तीनों फिलहाल प्रतापगढ़ की जेल में बंद हैं।