25 करोड़ रुपए खर्च कर बना भवन, फिर भी नहीं शुरू हो सका अध्ययन कार्य

जिसका विशाल भवन शरीर से अपंग छात्र छात्राओं को शिक्षित करने के लिए सन  2012 में इसको बनाने का निर्णय प्रदेश सरकार ने लिया था।

Suman  Mishra
Published on: 30 Sept 2020 9:52 PM IST
25 करोड़ रुपए खर्च कर बना भवन, फिर भी नहीं शुरू हो सका अध्ययन कार्य
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दिव्यांग जन मूक बधिर विकलांग विशेष माध्यमिक विद्यालय वर्षो से  सूना पड़ा

औरैया सरकार दिव्यांगों के लिए कई योजनाएं संचालित कर रही है मगर सही मानिटरिंग न के कारण वह व्यवस्थाएं सार्थक रूप से सामने नहीं आ पा रही। ऐसा ही एक मामला कंचौसी क्षेत्र में प्रकाश में आया जिसमें 25 करोड़ से बना विद्यालय छात्रों के आने का इंतजार कर रहा है।

मूक बधिर विकलांग विशेष

कंचौसी के पास हीरानगर गांव मे सार्वजनिक भूमि पर बन कर तैयार जिले का एक मात्र दिव्यांग जन मूक बधिर विकलांग विशेष माध्यमिक विद्यालय वर्षो से सूना पड़ा है। जिसका विशाल भवन शरीर से अपंग छात्र छात्राओं को शिक्षित करने के लिए सन 2012 में इसको बनाने का निर्णय प्रदेश सरकार ने लिया था। जिसको बनाने और निगरानी और संचालन की जिम्मेदारी समाज कल्याण विभाग की थी।

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काफी बडे परिषर मे छात्र छात्राओ के बड़े क्लास रूम के साथ साथ अलग अलग छात्रावास, चार दीबारी, खेल मैदान, पानी की टंकी, सीढ़ी रेपदार, जीना, बिजली, रगाई, पुताई आदि काम पहले ही कराया जा चुका है। लेकिन दिव्यांगजनो को शिक्षा का काम अभी तक चालू नही हुआ है।

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निशुल्क वितरण कैम्प

साल मे एक दो बार समाज कल्याण विभाग अंपगजनों को ट्राई साइकिल, छड़ी, एव नेहरू युवक मंगल दल के सदस्यो को खेल के सामान आदि निशुल्क वितरण कैम्प लगा कर पूरे जिले से लाभार्थीयो को बुला कर आयोजन करता है लेकिन अभी कोरोना के समय कोई आयोजन नही हुआ है। जिस पर 25 करोड से अधिक रूपये सरकार द्वारा खर्च किये गए है। परिषर मे केवल दो गार्ड रखवाली कर रहे है लेकिन शिक्षा की शुरुआत होती अभी नही दिखाई दे रही है।

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रिपोर्टर प्रवेश चतुर्वेदी, औरैया

Suman  Mishra

Suman Mishra

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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