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टीबी का इलाजः औरैया के निजी अस्पतालों की तैयारी, इस काम पर मिलेंगे 500 रूपए
टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए सरकारी के साथ प्राइवेट चिकित्सकों की भी मदद ली जा रही है। इसके अलावा क्षय रोगियों को जागरुक करने के लिए टीबी चैंपियन, ट्रीटमेंट सप्पोर्टर के साथ कई सामाजिक संस्थाएं भी काम कर रही है।
औरैया: टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए सरकारी के साथ प्राइवेट चिकित्सकों की भी मदद ली जा रही है। इसके अलावा क्षय रोगियों को जागरुक करने के लिए टीबी चैंपियन, ट्रीटमेंट सप्पोर्टर के साथ कई सामाजिक संस्थाएं भी काम कर रही है।
मरीजों का इलाज और दवाएं
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. एके राय ने बताया कि क्षय रोगियों के इलाज और जांच के लिए सरकारी स्तर पर जिला क्षय रोग अस्पताल के अलावा 50 व 100 शैय्या संयुक्त जिला चिकित्सालय, सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, समस्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र समेत एक प्राथमिक नगरीय स्वास्थ्य केंद्र में सुविधा दी गई है। इसके अलावा टीबी के मरीजों के इलाज के लिए 96 प्राइवेट चिकित्सकों को निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण कराया गया है। प्राइवेट चिकित्सकों में डॉ उदय प्रताप (बिधूना) , डॉ महेंद्रा , डॉ शिवम् अग्रवाल , डॉ जीएन अग्रवाल, डॉ एके शर्मा , डॉ सलीम (अजीतमल ), डॉ श्याम सिंह (दिबियापुर) सहित अन्य प्राइवेट चिकित्सक सक्रिय रुप से मरीजों का इलाज और दवाएं दे रहे है।
टीबी मरीजों को घर के नज़दीक इलाज
जिला कार्यक्रम समन्वयक श्याम कुमार ने बताया कि सरकार की योजना है कि टीबी मरीजों को उनके घर के नजदीक ही इलाज और जांच मुहैया कराई जाए। इसके लिए सरकारी के साथ प्राइवेट चिकित्सकों को भी टीबी मुक्त भारत बनाने के अभियान में शामिल किया गया है। इस अभियान के अंतर्गत टीबी रोगी का चिह्निीकरण करने वाले प्राइवेट डाक्टर को प्रोत्साहन राशि के रुप में प्रति रोगी पांच सौ रुपये दिए जाते हैं।
टीबी रोगी चाहे वह सरकारी अस्पताल में इलाज कराए या प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराए। अगर उसका निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण है तो उसे पांच सौ रुपये की पोषण राशि हर महीने दी जाती है। हालांकि यह राशि दो महीने में एक बार उसके खाते में भेजी जाती है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में जिले में सबसे ज्यादा बिधूना ब्लॉक के डॉ उदय प्रताप टीबी मरीजों का चिह्नीकरण किया है।
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यहां लापरवाही पड़ सकती है भारी
अगर किसी घर में टीबी का एक रोगी है और उसका इलाज नहीं करवाते तो अन्य सदस्य भी चपेट में आ सकते हैं। इसलिए व्यक्ति को दो हफ़्ते से ज्यादा खांसी है, सांस लेने और बलगम की दिक्कत है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। निजी अस्पताल हो या सरकारी, अब टेस्ट की सुविधा भी नि:शुल्क है।
जिले में टीबी मरीजों की स्थिति
वर्ष 2020 में सरकारी अस्पताल में इलाज लेने वाले मरीज - 1382
वर्ष 2020 में प्राइवेट अस्पताल में इलाज लेने वाले मरीज - 366
रिपोर्ट- प्रवेश चतुर्वेदी
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