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24 जूनः आज के ही दिन क्रांतिकारियों ने लूटी थी औरैया तहसील

औरैया का इतिहास तो पहले से ही क्रांतिकारी धरती के नाम से मशहूर रहा है। यहां पर अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए यूनियन जैक का झंडा उतार कर औरैया के 6 क्रांतिकारियों ने अपना बलिदान देकर यह साबित कर दिया था कि औरैया की धरती क्रांति की धरती है और यहीं से आजादी का बिगुल बजाया गया था।

Rahul Joy
Published on: 24 Jun 2020 6:06 AM GMT
24 जूनः आज के ही दिन क्रांतिकारियों ने लूटी थी औरैया तहसील
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auraiyaa tehseel

औरैया। उत्तर प्रदेश के औरैया जिले का इतिहास को कभी भुलाया नहीं जा सकता। साल दर साल इतिहास एक अनोखी पहचान लेकर आपके सामने हर बार खड़ा हो जाता है। वर्ष 1857 से शुरू हुई आजादी की जंग में जनपद औरैया के भी क्रांतिकारी किसी भी क्षेत्र में किसी से कम नहीं रहे थे।

ये है औरैया का इतिहास

औरैया का इतिहास तो पहले से ही क्रांतिकारी धरती के नाम से मशहूर रहा है। यहां पर अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए यूनियन जैक का झंडा उतार कर औरैया के 6 क्रांतिकारियों ने अपना बलिदान देकर यह साबित कर दिया था कि औरैया की धरती क्रांति की धरती है और यहीं से आजादी का बिगुल बजाया गया था।

24 जून 1857 को जनपद औरैया के वीर सपूतों ने अंग्रेजी सरकार की नाक के नीचे से उनका खजाना लूट लिया और तहसील औरैया को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। मगर यह आजादी ज्यादा दिन नहीं चल सकी और फिर अंग्रेजी सरकार ने तहसील में हुकूमत जमा ली।

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अंग्रेजों को दी थी खुली चुनौती

इतिहास के पन्नों में दर्ज कहानी के अनुसार औरैया जनपद में अंग्रेजी सरकार द्वारा तहसील में खजाना रखा गया था। इसकी जानकारी भरेह और चकरनगर के राजाओं ने कर ली और उन्होंने झांसी की रानी का समर्थन लेकर अंग्रेजों को खुली चुनौती दी। चकरनगर के राजा कुंवर निरंजन सिंह और भरेह के राजा रूप सिंह ने 1857 की क्रांति में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। अंग्रेजों की बढ़ती गतिविधियों पर सिकरोली के राव हरेंद्र सिंह से मिलकर इटावा में अंग्रेजों के वफादार रहे जोर सिंह व सरकारी अधिकारियों की को हटाने की मुहिम छेड़ दी थी।

इस कार्य में चकरनगर के राजा कुंवर निरंजन सिंह ने जनपद के क्रांतिकारियों और जमीदारों से मिलकर एक योजना बनाई और औरैया वह जालौन व औरैया की सीमा को बांटने वाली यमुना नदी के शेरगढ़ घाट पर नदी पार करने के लिए एक पीपे का पुल बनाया। यहां से यह क्रांतिकारी 24 जून 1857 में चोरी से घुसे और उन्होंने औरैया तहसील को अपना निशाना बना कर लूट लिया। खजाना लूटने के बाद अंग्रेजी सेना व औरैया के वीर सपूतों को बीच में जमकर संघर्ष हुआ। जिसमें वीर सपूतों ने विजय हासिल की।

क्रांतिकारियों ने बेला तहसील पर कब्जा जमाया

इसके बाद औरैया के क्रांतिकारी वीर सपूत एक रात औरैया में ही रुककर बेला तहसील की ओर बढ़ चले और उन्होंने वहां पर भी धावा बोल दिया। क्रांतिकारियों ने तत्कालीन अंग्रेज भक्त तहसीलदार की पीट-पीटकर हत्या कर दी और बेला तहसील पर भी कब्जा जमा लिया। औरैया तहसील पर कुंवर रूप सिंह ने कब्जा करते हुए स्वतंत्रता की घोषणा कर दी थी।

मगर आजादी की लड़ाई में शामिल हुए क्रांतिकारियों को यह पता नहीं था कि उनकी यह खुशी ज्यादा दिन की नहीं है और अंग्रेजी हुकूमत ने कुछ सप्ताह बाद ही औरैया व बेला तहसील पर अपना कब्जा पुनः कर लिया।

रिपोर्टर- प्रवेश चतुर्वेदी, औरैया

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