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दिल्ली चुनाव: 'ऑटोवाला' किसको करवाएगा सवारी और किसको करेगा 'पैदल'

साल 2015 के चुनावों से पहले अरविंद केजरीवाल ने 70 पॉइंट का एक्शन प्लान पेश किया था जिसमें ऑटोवाला, ट्रैफिक और अर्थव्यवस्था जैसे सभी मुद्दों को शामिल किया गया था।ऐसे में ये वादे ऑटो वालों को कितना लुभा पाएं हैं इसके लिए हमने दिल्ली के कुछ जगहों पर ऑटो वालों से बात की।

Shivakant Shukla
Published on: 19 Jan 2020 2:33 PM IST
दिल्ली चुनाव: ऑटोवाला किसको करवाएगा सवारी और किसको करेगा पैदल
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नई दिल्ली: यहां चुनाव आने वाले हैं और हर बार की तरह इस बार भी दिल्ली का ऑटोवाला चुनाव में बड़ी भूमिका निभाएगा। कांग्रेस, बीजेपी ने शायद इनकी तरफ इतना ध्यान ना दिया हो लेकिन केजरीवाल ने ऑटो को अपना साथी चुनकर दिल्ली इलेक्शन में इनका दिल जीत लिया था।

साल 2015 के चुनावों से पहले अरविंद केजरीवाल ने 70 पॉइंट का एक्शन प्लान पेश किया था जिसमें ऑटोवाला, ट्रैफिक और अर्थव्यवस्था जैसे सभी मुद्दों को शामिल किया गया था।ऐसे में ये वादे ऑटो वालों को कितना लुभा पाएं हैं इसके लिए हमने दिल्ली के कुछ जगहों पर ऑटो वालों से बात की।

क्या बोले दिल्ली के ऑटोवाले?

दिल्ली में हमने सबसे पहले मंडी हाउस पर कुछ ऑटोवालों से बात की। केजरीवाल का नाम लेते ही ये बरस पड़े। लेकिन इनकी नाराजगी केजरीवाल से नहीं बल्कि ओला-उबर से थी। उन्होंने कहा कि इन कैब की वजह से उनका काम ही खत्म हो गया है और वो मजबूर हैं। कुछ का कहना था कि केजरीवाल ने चुनाव आने पर ऑटोवालों के लिए काम किया है इससे पहले कुछ नहीं किया। मंडी हाउस के ये ऑटोवाले काम ना होने के कारण परेशान थे|

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उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने काम तो सही किया है लेकिन कैब के कारण उनका काम खत्म हो गया है। मंडी हाउस के बाद हम पहुंचे इंडिया गेट। इंडिया गेट पर ऑटोवाले केजरीवाल के समर्थन में भी नज़र आए तो विरोध में भी। दिल्ली सरकार के कुछ शुल्क माफ किए जाने के कारण ये खुश थे लेकिन कुछ काम ना होने के कारण गुस्से में भी थे।

क्या चाहते हैं दिल्ली के ऑटोवाले

आपको बता दें कि कुछ समय पहले ही केजरीवाल सरकार ने राजधानी में ऑटो किराए में बढ़ोतरी से लेकर तमाम घोषणाएं की थी। राजधानी में ऑटो किराए में बढ़ोतरी के बाद दिल्ली सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए ऑटो वालों के लिए फिटनेस, जीपीएस और दूसरे शुल्क पूरी तरह माफ करने का ऐलान किया था। पहले दिल्ली में ऑटो रिक्शा चालकों और मालिकों को फिटनेस चार्ज के रूप में 600 रुपये देने पड़ते थे।

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ऑटो की रजिस्ट्रेशन फीस पहले के मुकाबले आधे से भी कम कर दी गई है।ऑटो के फिटनेस के एक्सपायर होने पर अगर सर्टिफिकेट लिया जाता था तो 1000 रुपये और 50 रुपये रोजाना था।जिसे घटाकर अब 300 रुपये और रोजाना 20 रुपये कर दिया गया है। इन सभी चीजों के कारण ऑटोवाले खुश थे लेकिन ऑटो स्टैंड नहीं होना उनकी बड़ी नाराजगी थी। उनका कहना था कि पुलिस वाले काफी परेशान करते हैं और चालान काटकर उनकी जेब पर बोझ डालते हैं।

दिल्ली के ऑटोवाले दिल्ली पुलिस से खासे नाराज़ हैं

आपको बता दें कि केजरीवाल सरकार ने ही ये आदेश दिया था की अब दिल्ली पुलिस ऑटो जब्त नहीं कर सकेगी बल्कि सिर्फ ट्रांसपोर्ट विभाग ही इन्हें जब्त कर पाएगा इसके अलावा ऑटो वाले काफी समय से किराया बढ़ाए जाने की मांग कर रहे थे।इनकी मांग को भी सुना गया और कुछ समय पहले किराया करीब 18। 75 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया था। इतना ही नहीं परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने 511 नए ऑटो स्टैंड बनाने का भी एलान किया था। लेकिन ऑटो स्टैंड की कमी से तो ये परेशान ही थे।

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दिल्ली के ऑटोवाले दिल्ली पुलिस से खासे नाराज़ हैं। केजरीवाल सरकार ने जो काम किया है उससे ऑटोवाले खुश तो थे लेकिन पूरी तरह संतुष्ट नहीं लेकिन हां बीजेपी और कांग्रेस से तो ये अभी भी आम आदमी पार्टी को अच्छा मानते हैं। ग्राउंड रिपोर्ट से इतना कहा जा सकता है कि भविष्य की उम्मीद भी इन ऑटोवालों को केजरीवाल में नज़र आ रही है।

Shivakant Shukla

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