TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

बाबरी मस्जिद पर कब्जा: ऐसे थे ये दिलेर साधु, बेखौफ उठाया था ये बड़ा कदम

5 अगस्त यानी कल अयोध्या में पीएम नरेंद्र मोदी रामजन्म भूमि मंदिर के शिलांयास कार्यक्रम में शामिल होंगे। ऐसे में आपको ध्यान होगा कि पूरे अयोध्या विवाद के चलते एक नाम बार-बार सुनाई दे रहा था, वो नाम है निर्मोही अखाड़ा।

Newstrack
Published on: 4 Aug 2020 4:29 PM IST
बाबरी मस्जिद पर कब्जा: ऐसे थे ये दिलेर साधु, बेखौफ उठाया था ये बड़ा कदम
X

लखनऊ : 5 अगस्त यानी कल अयोध्या में पीएम नरेंद्र मोदी रामजन्म भूमि मंदिर के शिलांयास कार्यक्रम में शामिल होंगे। ऐसे में आपको ध्यान होगा कि पूरे अयोध्या विवाद के चलते एक नाम बार-बार सुनाई दे रहा था, वो नाम है निर्मोही अखाड़ा। बता दें, इस अखाड़े के संतों ने साल 1853 में अयोध्या की विवादित भूमि को अपना बताते हुए, तब वहां बनी बाबरी मस्जिद पर कब्जा कर लिया था। तो चलिए बताते हैं कि आखिर ये अखाड़ा और राम जन्मभूमि से क्या संबंध है।

ये भी पढ़ें... बारिश ने मचाई तबाही: नाले में बह गए ये सभी, डूब गई सड़कें और घर

अखाड़े ने खुद को उस जगह का संरक्षक बताया

अयोध्या में निर्मोही अखाड़ा बीते सौ साल से इस जगह पर मंदिर बनवाने के लिए लड़ाई लड़ रहा है। वैष्णव संप्रदाय का ये अखाड़ा तब चर्चा में आया, उसने कोर्ट में विवादित ढांचे के बारे में अपना पक्ष रखते हुए दावा किया।

राम से जुड़ी ये बात है साल 1959 की। अखाड़े ने खुद को उस जगह का संरक्षक बताया जहां भगवान राम का जन्म हुआ था। सबसे पहली कानूनी प्रक्रिया भी इसी अखाड़े के महंत रघुवीर दास ने साल 1885 में शुरू की थी।

आगे उन्होंने एक याचिका दायर करके राम जन्मभूमि वाले स्थान के चबूतरे पर छत्र बनवाने की अनुमति मांगी। इसे फैजाबाद की जिला कोर्ट ने खारिज कर दिया। तब ये मामला उतना उछला नहीं था।

ये भी पढ़ें...शहर में लगा कर्फ्यू: आतंकी हमले को लेकर जारी हुआ हाई-अलर्ट, प्रशासन चौकन्ना

निर्मोही अखाड़े के अधिकार में रहा

इसके बाद तीसरी बार निर्मोही अखाड़े ने अर्जी डालते हुए कहा उसे राम जन्मभूमि के पूजा-पाठ और प्रबंधन की इजाजत मिले। उनके वकील का दावा था कि राम जन्मभूमि का अंदरुनी हिस्सा कई सौ सालों से निर्मोही अखाड़े के अधिकार में रहा।

इसके साथ ही बाहरी हिस्से के चबूतरा, सीता रसोई और भंडार गृह भी इसी अखाड़े के कंट्रोल में रहे। फिर बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा।

बता दें, यहां भी निर्मोही अखाड़ा एक पक्ष था। यहां पर उनका कहना था कि वे कारकून हैं, जिनका काम ही यहां का प्रबंधन है। हालांकि नवंबर सन् 2019 में दिए गए ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े के जमीन पर मालिकाना हक के एक्सक्लूजिव दावे को खारिज कर दिया। इस तरह से विवाद का अंत हुआ।

ये भी पढ़ें...सुशांत मौत का खुलासा: सामने आई ये बड़ी बात, रोते-रोते हो गए थे बेहोश

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Newstrack

Newstrack

Next Story