Ayodhya News: नहीं रहे वरिष्ठ पत्रकार व स्तंभकार शीतला सिंह, साहित्य जगत में शोक की लहर

Ayodhya News: अयोध्या के जिला अस्पताल में अंतिम सांस ली। 94 वर्ष के शीतला सिंह कुछ महीनों से बीमार चल रहे थे। वो सहकारिता पर आधारित व प्रकाशित ‘जनमोर्चा’ दैनिक अखबार के प्रधान संपादक रहे। शीतला सिंह के निधन के बाद पत्रकारिता जगत ही नहीं बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी शोक की लहर है।

NathBux Singh
Published on: 16 May 2023 9:48 PM GMT (Updated on: 16 May 2023 10:28 PM GMT)
Ayodhya News: नहीं रहे वरिष्ठ पत्रकार व स्तंभकार शीतला सिंह, साहित्य जगत में शोक की लहर
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(Pic: Newstrack)

Ayodhya News: वरिष्ठ पत्रकार व संपादक शीतला सिंह का मंगलवार शाम निधन हो गया। उन्होंने अयोध्या के जिला अस्पताल में अंतिम सांस ली। 94 वर्ष के शीतला सिंह कुछ महीनों से बीमार चल रहे थे। वो सहकारिता पर आधारित व प्रकाशित ‘जनमोर्चा’ दैनिक अखबार के प्रधान संपादक रहे। शीतला सिंह के निधन के बाद पत्रकारिता जगत ही नहीं बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी शोक की लहर है। लखनऊ से लेकर दिल्ली तक के राजनेताओं ने उनके निधन को अपूर्णीय क्षति बताया है। शासन के कई अफसरों ने भी शोक जताया है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर संपादक शीतला सिंह के निधन पर शोक जताया है।

उनके पुत्र व पत्रकार एसएन सिंह ने बताया कि पिता शीतला सिंह ने देहदान किया था, जिस कारण उनकी अंत्येष्टि नहीं होगी। मेडिकल कॉलेज से संपर्क किया जा रहा है। प्रेस काउंसिल के कई बार सदस्य रहे शीतला सिंह के निधन की खबर पर कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी वाड्रा ने लिखा कि ‘शीतला सिंह हिंदी पत्रकारिता के मजबूत स्तंभ थे। उन्होंने कभी अपने आदर्शों से समझौता नहीं किया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें।’

शीतला सिंह के निधन पर जनपद अयोध्या के कई पत्रकारों ने उन्हें पत्रकारिता क्षेत्र का एक स्तम्भ बताया। श्री सिंह को यश भारती पुरस्कार से सम्मानित भी हुए थे। वो भारत प्रेस परिषद के सदस्य भी रहे हैं तथा आजीवन जनमोर्चा के सम्पादक रहे। उन्होंने श्रमजीवी पत्रकार यूनियन उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष पद से सुशोभित किया था। अयोध्या में उनके साथ रहे लोगों ने बताया कि जीवन और सामाजिक मूल्यों के प्रति ग़ज़ब की प्रतिबद्धता और ग़ज़ब की यारबाशी की ऐसी मिसाल शायद ही जीवन में दोबारा देखने को मिले। शीतला सिंह के दोस्तों का दायरा इतना बड़ा था कि उम्र को उसमें हमउम्र की तलाश में परेशानी होती थी। कहा जाता है कि शीतला सिंह का न व्यक्तित्व इकहरा था, न उनकी पसंद, पत्रकारिता, साहित्य, कला, संगीत, राजनीति, समाज सेवा, कहीं भी जाइए, उनके पांवों के निशान वहां मिल जाएंगे।

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