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धर्म विशेष की सरकार की तरह काम कर रही है योगी सरकार: बाबरी एक्शन कमेटी
बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने डिप्टी सीएम केशव मौर्या तथा कुछ अन्य नेताओं के मंदिर निर्माण पर बयानों को असंवैधानिक बताते हुये कहा है कि मामला न्यायालय में होने पर सरकार मंदिर निर्माण की बात नहीं कर सकती है।
लखनऊ: बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने डिप्टी सीएम केशव मौर्या तथा कुछ अन्य नेताओं के मंदिर निर्माण पर बयानों को असंवैधानिक बताते हुये कहा है कि मामला न्यायालय में होने पर सरकार मंदिर निर्माण की बात नहीं कर सकती है।
एक्शन कमेटी ने योगी सरकार पर एक धर्म विशेष की सरकार की तरह काम करने का आरोप लगाते हुये कहा कि 16 अगस्त या उसके बाद किसी तारीख पर सुनवाई की उम्मीद है अगर उससे पहले यूपी सरकार ने मंदिर निर्माण सम्बन्धी किसी कार्रवाई को अंजाम दिया तो उसे तत्काल सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।
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यूपी के उप मुख्य मंत्री केशव प्रसाद मौर्या तथा अन्य नेताओं व विश्व हिन्दू परिषद आदि द्वारा अयोध्या में राम मन्दिर के निर्माण के संबंध में दिये जा रहे बयानों और समय-समय पर इससे जुड़ी घोषणाओं पर विचार करने और सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद के स्वामित्व से सम्बन्धित अपीलों की सुनवाई पर चर्चा के लिए बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी की एक अहम बैठक गुरुवार को लखनऊ में मौलाना यासीन अली उस्मानी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।
एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने बताया कि बैठक में इस बात पर चिन्ता व्यक्त की गयी कि मौजूदा प्रदेश सरकार 1950 में दाखिल मुकदमों में यूपी. सरकार व जिला मजिस्ट्रेट आदि की ओर से दाखिल किये जाने वाले लिखित बयान के अनुसार काम नहीं कर रही है।
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एक्शन कमेटी का कहना है कि पूर्व में दिये गये अपने जवाबों में यूपी सरकार और फैजाबाद के जिलाधिकारी यह मान चुके है कि बाबरी मस्जिद में मुसलमान सैंकड़ों वर्षों से नमाज पढ़ते रहे हैं और उसमें हिन्दुओं ने कभी पूजा नहीं की है।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के बयान के बाद अब फिलहाल केन्द्र सरकार के द्वारा राम मन्दिर निमार्ण से संबंधित कोई आर्डिनेंस जारी करना संभव नहीं है लेकिन फिर भी अगर ऐसी कोई कार्यवाही सरकार द्वारा की जाती है तो उसको शीघ्र ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर यथास्थिति कायम रखने की कोशिश की जायेगी।
बैठक में मुसलमानों की ओर से की जाने वाली पैरवी पर संतोष व्यक्त किया गया तथा भविष्य की रणनीति तय करने के लिए कमेटी के संयोजक जफरयाव जीलानी को अधिकृत किया गया।
कमेटी ने महसूस किया कि अपीलों की सुनवाई में विभिन्न दस्तावेजी सबूतों तथा विभिन्न कानूनी विन्दुओं पर चर्चा होनी है इसलिये किसी प्रकार की जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए तथा सभी पक्षकारों को बहस का पूरा अवसर देने के बाद ही निर्णय होना चाहिए।
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बैठक में हिसामुद्दीन सिद्दीकी, अरशद जमाल, इलियास आजमी, मुश्ताक अहमद सिद्दीकी एडवोकेट, मोहम्मद कमर आलम, अबरार अहमद, अयुवउल्लाह खां एडवोकेट, वसी अहमद एडवोकेट, नदीम सिद्दीकी एडवोकेट, डा. मतीन,मो. अहमद, मसूद आलम,सैय्यद कफील अहमद एडवोकेट, अफताब अहमद सिद्दीकी एडवोकेट, जाकिर अली एडवोकेट तथा सरदार अली एडवोकेट आदि शामिल थे।