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Gorakhpur: बाहुबली ही नहीं सियासत के भी महारथी थे हरिशंकर तिवारी, कई सरकारों में रहे मंत्री..2007 में यूं थमा जीत का सफर

Hari Shankar Tiwari Political Career : उत्तर प्रदेश में सरकार चाहे जिसकी भी सरकार रही हो, लेकिन पंडित हरिशंकर तिवारी के प्रभाव में कभी कमी नहीं आई। हर सरकार के मंत्रिमंडल में उनका नाम शामिल रहता था।

Purnima Srivastava
Published on: 17 May 2023 3:43 AM IST
Gorakhpur: बाहुबली ही नहीं सियासत के भी महारथी थे हरिशंकर तिवारी, कई सरकारों में रहे मंत्री..2007 में यूं थमा जीत का सफर
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हरिशंकर तिवारी (Social Media)

Hari Shankar Tiwari Political Career: यूपी में कई सरकारों में मंत्री रहे पंडित हरिशंकर तिवारी का आज (16 मई) को निधन हो गया। उन्होंने गोरखपुर स्थित अपने आवास पर देर शाम आखिरी सांस ली। बुधवार को बड़हलगंज स्थित मुक्ति पथ पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। वह 90 वर्ष के थे। हरिशंकर तिवारी बाहुबली ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश की सियासत के महारथी भी थे। अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत के बाद तिवारी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

यूपी के पूर्व मंत्री के निधन की सूचना के बाद उनके धर्मशाला स्थित आवास पर शुभचिंतकों का जमावड़ा लग गया। उत्तर प्रदेश और खासकर पूर्वांचल के बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी (Hari Shankar Tiwari) ने 1985 में जेल में रहकर गोरखपुर की चिल्लूपार विधान सभा से चुनाव लड़ा। उन्हें जीत मिली। इस तरह जेल से चुनाव जीतने वाले प्रदेश के वह पहले विधायक बने। कहते हैं कि इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ने उन्हें 'वॉक ओवर' दिया था।

बीजेपी-सपा-बसपा सभी सरकारों में रहे मंत्री

पहली चुनावी जीत के बाद हरिशंकर तिवारी यूपी के बड़े ब्राह्मण नेता के रूप में स्थापित हो गए। 1998 के बाद हरिशंकर तिवारी हर दल की जरूरत बन गए थे। यहां तक कि जब जगदंबिका पाल (Jagdambika Pal) सूबे के एक दिन के मुख्यमंत्री बने तो उनकी कैबिनेट में भी वह मंत्री रहे। 1998 में कल्याण सिंह की सरकार में मंत्री बने, तो बीजेपी के ही अगले सीएम राम प्रकाश गुप्त और राजनाथ सिंह सरकार में भी मंत्री रहे। इसके बाद मायावती और 2003 से 2007 तक मुलायम सिंह यादव की सरकार में भी मंत्री रहे।

2007 में थमा विजयी रथ

समय के साथ राजनीति ने भी करवट ली। साल 2007 में पत्रकारिता से जुड़े राजेश त्रिपाठी (Rajesh Tripathi) ने हरिशंकर तिवारी को चुनावी शिकस्त दी। इस साल हुए विधानसभा चुनाव में पहली बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2012 में दोबारा हार के बाद हरिशंकर तिवारी ने अपनी राजनीतिक विरासत बेटे विनय शंकर तिवारी (Vinay Shankar Tiwari) को दे दी।

सरकार कोई भी, मंत्रिमंडल में शामिल रहे हरिशंकर तिवारी

उत्तर प्रदेश में सरकार चाहे जिसकी भी सरकार रही हो, लेकिन पंडित हरिशंकर तिवारी के प्रभाव में कभी कमी नहीं आई। हर सरकार के मंत्रिमंडल में उनका नाम शामिल रहता था। बीजेपी के कल्याण सिंह ने 1998 में जब बसपा को तोड़कर सरकार बनाई तो उन्हें हरिशंकर तिवारी का भी समर्थन मिला। कल्याण सरकार में हरिशंकर तिवारी साइंस और टेक्नोलॉजी मंत्री थे। वहीं 2000 में जब रामप्रकाश गुप्त मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने हरिशंकर तिवारी को स्टांप रजिस्ट्रेशन मंत्री बना दिया। इसी तरह 2001 में जब राजनाथ सिंह ने बीजेपी सरकार की कमान संभाली तो, उन्होंने भी हरिशंकर तिवारी को मंत्री बनाया था। हरिशकंर तिवारी 2002 में बनी मायावती की सरकार में भी शामिल रहे। मायावती के इस्तीफे के बाद अगस्त 2003 में बनी मुलायम सिंह यादव की सरकार में भी हरिशंकर तिवारी मंत्री थे।



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Purnima Srivastava

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