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चीन को मुंहतोड़ जवाब देना चाहते हैं पूर्व सैनिक, कहा- युद्ध लड़ने को तैयार
चीन सीमा पर भारतीय सैनिकों के साथ बर्बरता पूर्ण घटना को लेकर चीन के प्रति बढ़ते जन रोष के मध्य भूतपूर्व सैनिकों ने भी चीन के विरुद्ध ताल ठोंकने का मन बना लिया है।
बलिया: चीन सीमा पर भारतीय सैनिकों के साथ बर्बरता पूर्ण घटना को लेकर चीन के प्रति बढ़ते जन रोष के मध्य भूतपूर्व सैनिकों ने भी चीन के विरुद्ध ताल ठोंकने का मन बना लिया है। भूतपूर्व सैनिक चीन को सबक सिखाने के लिए युद्ध लड़ने के लिए तैयार हैं ।
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चीन के प्रति आम जनमानस में दिन प्रतिदिन आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है । अपने क्रांतिकारी तेवर के लिए जाने जाने वाले बलिया की बागी धरती पर जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक प्रतिदिन प्रदर्शन हो रहे हैं तथा चीन निर्मित उत्पादों के बहिष्कार का संकल्प लिया जा रहा है । चीनी सैनिकों ने सीमा पर जिस तरह से कायरतापूर्ण कार्रवाई करते हुए भारतीय सैनिकों की हत्या की है, उसको लेकर भूतपूर्व सैनिक चीन के साथ निर्णायक युद्ध कर चीन को सबक सिखाने व मुहतोड़ जवाब देने के लिये न सिर्फ उद्दत हैं, बल्कि बुलंद हौसले के साथ चीन के साथ युद्ध में प्रतिभाग करने के लिए भी तैयार हैं।
टैंगोर नगर में रह रहे फौजी फागू सिंह ने चीन को लेकर कहा ये
जिला मुख्यालय के टैंगोर नगर में रह रहे फौजी फागू सिंह का ढ़लते उम्र के बाद भी राष्ट्र प्रेम का जज्बा देखने लायक है। सन 1965 व 1971 के युद्ध में पाकिस्तान से दो-दो हाथ कर चुके बुजुर्ग फौजी फागू सिंह की आवाज भले ही कांप रही हो, लेकिन चीन के साथ ताजा झड़पों में बीस जवानों की शहादत सुनकर उनकी भुजाएं फड़फड़ा रही हैं। वह कहते हैं कि इस उम्र में भी वह चीन के विरुद्ध युद्ध में भाग लेने के लिए शस्त्र उठाने के लिए तैयार हैं । मऊ जिले के कंसो गांव के मूल रूप से रहने वाले फागू सिंह वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के ठीक बाद 1963 में सेना के 46 एयर डिफेंस के रॉयल आर्टिलरी में भर्ती हुए थे ।
फागू सिंह को फिर से पुराने दिनों की याद दिला दी
समाचार माध्यमों में चीन के साथ तनाव की चल रही खबरों ने फागू सिंह को फिर से पुराने दिनों की याद दिला दी है। उनकी भुजाएं फड़क रही हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 1965 के मार्च महीने में पाकिस्तान से हुए युद्ध के दौरान वह सेना के कच्छ ऑपरेशन का हिस्सा रहे । उन्होंने बताया कि तब हमने दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए थे। वर्ष 1971 में फिर से पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में वह राजस्थान के भरतपुर में सेना के हवाई हमलों का साक्षी बने थे । पुरानी यादों को याद करते हुए उन्होंने बताया कि हमारी टुकड़ी ने पाकिस्तान के एयर क्राफ्ट मार गिराए थे। तकरीबन साढ़े तीन दशक पहले 17 जुलाई 1985 को सेवानिवृत्त हुए फागू सिंह की उम्र अब 76 साल हो चुकी है, लेकिन जब से उन्होंने सुना है कि चीनियों के साथ झड़प में देश के बीस जवान शहीद हो गए हैं।
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वह अत्यंत आक्रोशित व उद्वेलित हैं। चीन के प्रति निर्णायक युद्ध की आकांक्षा के साथ वह कहते हैं कि चीनी हमेशा से विश्वासघाती रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक चीन को करारा सबक नहीं मिलेगा, वह अपनी बेजा हरकतों से बाज नही आयेगा। उन्होंने कहा कि उनकी ढ़लती उम्र को न देखे। उनके अंदर इस कदर चीन के लिए गुस्सा भरा हुआ है कि सरकार का जब निर्देश हो वह वर्दी पहनने में तनिक भी नहीं हिचकेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के लिए प्राणों का उत्सर्ग करने में उन्हें आत्मिक प्रसन्नता की अनुभूति होगी ।
अनूप कुमार हेमकर
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