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बड़ी खबर: नोडल अधिकारी का दौरा, कई थानाध्यक्षों पर गाज गिरना तय
ऐसे में अब तक महत्वहीन थानों पर तैनात अन्य पिछड़ा वर्ग के पुलिस कर्मियों के दिन बहुर सकते हैं। इसको लेकर विभाग में चर्चाओं का बाजार गर्म है।
बलिया: प्रदेश शासन के निर्देश पर नोडल अधिकारी का दौरा जिले में तैनात थानाध्यक्षों के लिये परेशानी का सबब बन गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर अमल हुआ तो आने वाले समय में सामान्य वर्ग से जुड़े कई थानाध्यक्ष पर गाज गिर सकती है।
नोडल अधिकारी ने बैठक कर की समीक्षा
प्रदेश शासन ने पिछले दिनों सूबे के प्रत्येक जिले के लिए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। नोडल अधिकारी को नियुक्ति के साथ ही जिले में समीक्षा को लेकर दिशा निर्देश दिया गया है। शासन के दिशा निर्देश में पहले तीन बिंदु थानाध्यक्ष की नियुक्ति व उनके कामकाज को लेकर ही हैं। नोडल अधिकारी को सामाजिक समीकरण व शासनादेश के दृष्टिगत अधीनस्थ अधिकारियों व कर्मचारियों की थाना स्तर पर तैनाती, थानाध्यक्ष व अन्य कर्मचारियों की निर्धारित समयावधि के उपरांत भी नियम विरुद्ध तैनाती, खराब छवि वाले अधिकारियों तथा सक्षम अधिकारी से अनुमोदित सूची के अनुसार थाना प्रभारी की तैनाती की समीक्षा करने का स्पष्ट निर्देश दिया गया है।
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प्रदेश शासन ने अपर पुलिस महानिदेशक दूरसंचार डॉ सुनील गुप्ता को बलिया का नोडल अधिकारी बनाया है। नोडल अधिकारी डॉ गुप्ता ने कल उपर्युक्त महत्वपूर्ण बिंदुओं की समीक्षा किया। सूत्रों के अनुसार समीक्षा में स्पष्ट हुआ कि जिले में सामान्य वर्ग के तकरीबन 20 फीसदी, अन्य पिछड़ा वर्ग के 67 फीसदी व अनुसूचित जाति के 14 फीसदी पुलिस कर्मी कार्यरत हैं। अनुसूचित जनजाति व अल्पसंख्यक वर्ग के तकरीबन एक से डेढ़ फीसदी पुलिस कर्मी हैं।
सामाजिक समीकरण का ध्यान रखने का निर्देश
जिले में वर्तमान समय में सामान्य वर्ग के 17 तथा अनुसूचित वर्ग व अन्य पिछड़ा वर्ग के तीन-तीन थानाध्यक्ष कार्यरत हैं। जिले में अल्पसंख्यक वर्ग से कोई थाना प्रभारी नही है। नोडल अधिकारी डॉ गुप्ता ने तैनाती में सामाजिक समीकरण का ध्यान न रखने पर अप्रसन्नता जताई है। उन्होंने मुख्यालय से लेकर थाना स्तर तक सामाजिक समीकरण का ध्यान रखने का निर्देश दिया है।
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नोडल अधिकारी के गम्भीर तेवर के बाद यह माना जा रहा है कि आने वाले समय में सरकारी दिशा निर्देश के परिप्रेक्ष्य में सामाजिक समीकरण को ध्यान रखते हुए जिले के पुलिसिया ढांचे में बदलाव किया जाए। ऐसे में सामान्य वर्ग से जुड़े कई थाना प्रभारी पर इस बदलाव का असर पड़ना तय माना जा रहा है। ऐसे में अब तक महत्वहीन थानों पर तैनात अन्य पिछड़ा वर्ग के पुलिस कर्मियों के दिन बहुर सकते हैं। इसको लेकर विभाग में चर्चाओं का बाजार गर्म है।
रिपोर्ट- अनूप कुमार हेमकर