TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

कुशीनगर में 'बनाना फेस्टिवल' शुरू, ऐसे हजारों किसान बन रहे आत्मनिर्भर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर 2018 में प्रदेश सरकार ने पारम्परिक उद्यम को बढ़ावा देने के लिए ओडीओपी योजना शुरू की थी। कुशीनगर में केले की अच्छी खेती को देखते हुए केले के रेशे (फाइबर) से बने उत्पादों को जिले की ओडीओपी में चयनित किया गया।

Newstrack
Published on: 23 March 2021 4:19 PM IST
कुशीनगर में बनाना फेस्टिवल शुरू, ऐसे हजारों किसान बन रहे आत्मनिर्भर
X
कुशीनगर में शुरू हुआ 'बनाना फेस्टिवल', जानें कैसे 4000 किसान हो रहे आत्मनिर्भर (PC: social media)

गोरखपुर: झांसी में स्ट्राबेरी महोत्सव, लखनऊ में राज्य गुड़ महोत्सव, सिद्धार्थनगर में काला नमक चावल महोत्सव के बाद योगी सरकार की पहल पर कुशीनगर में बनाना फेस्टिवल (केला महोत्सव) सोमवार को शुरू हुआ। 25 मार्च तक कुशीनगर के बुद्धा पार्क में चार दिवसीय केला महोत्सव में 35 किसानों और उद्यमियों ने स्टाल लगाए हैं। ओडीओपी में शामिल केला से जुड़े उद्योग और फसल से 4000 से अधिक किसान आत्मनिर्भर हो रहे हैं।

ये भी पढ़ें:रेल यात्रियों के लिए बुरी खबर: होली से पहले ये सभी ट्रेनें रद्द, यहां चेक करें लिस्ट

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर 2018 में प्रदेश सरकार ने पारम्परिक उद्यम को बढ़ावा देने के लिए ओडीओपी योजना शुरू की थी। कुशीनगर में केले की अच्छी खेती को देखते हुए केले के रेशे (फाइबर) से बने उत्पादों को जिले की ओडीओपी में चयनित किया गया। बाद में इसमें केले के अन्य उत्पादों को भी जोड़ दिया गया। वर्तमान में जिले में 4400 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर केले की पैदावार हो रही है। 4000 किसान इसकी खेती से जुड़े हैं, तो ओडीओपी में शामिल होने के बाद करीब 500 लोग इसकी प्रोसेसिंग में रोजगाररत हैं।

gorakhpur gorakhpur (PC: social media)

बनाना फेस्टिवल से यह संख्या और बढ़ेगी

जिला उपायुक्त, उद्योग और उद्यम प्रोत्साहन सतीश गौतम आशान्वित हैं कि बनाना फेस्टिवल से यह संख्या और बढ़ेगी। प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने के लिए यहां एक सीएफसी (कॉमन फैसिलिटी सेंटर) की कार्य योजना भी अंतिम प्रक्रिया में है। जिले में अभी बनाना फाइबर प्रोसेसिंग की तीन यूनिट हैं और सीएफसी बनने से यह संख्या तेजी से बढ़ेगी। कसया के राकेश पांडेय बताते हैं कि महोत्सव में पहुंच रहे लोग यह देख उत्साहित हैं कि जिस केले को हम खाकर उसका छिलका फेंक देते हैं, उस केले के पौधे का तो हर भाग उपयोगी है। केले के रेशे से बनाए गए कपड़े, चप्पल, दरी और तमाम सजावटी सामान लोगों का मन मोह रहे हैं। फूड प्रोसेसिंग से तैयार केले के पापड़, चिप्स और आचार की भी इस फेस्टिवल में धूम है।

gorakhpur gorakhpur (PC: social media)

आर्थिक उन्नति का आधार बन रहा केला

बनाना फेस्टिवल से जिले में ओडीओपी योजना को भी धार दी जा रही है। आयोजन के जरिये केले के हर भाग के व्यावसायिक उपयोग से किसानों और इसकी प्रोसेसिंग में लगे उद्यमियों की आर्थिक उन्नति की राह प्रशस्त हो रही है। प्रदेश में किसानी के साथ उद्यमिता को बढ़ावा देने पर सरकार का विशेष ध्यान है। जिलों में पारम्परिक कृषि उत्पादों को नई प्रविधियों से प्रोसेस कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ा जा रहा है, इसकी बानगी लखनऊ के राज्य गुड़ महोत्सव और सिद्धार्थनगर में काला नमक चावल महोत्सव के बाद कुशीनगर के केला महोत्सव में देखने को मिल रही है।

ये भी पढ़ें:हजारीबाग में बड़ा हादसा: तालाब में डूबने से 5 बच्चों की मौत, चारों तरफ पसरा मातम

केले का हर भाग करा रहा कमाई

केला फल के रूप में एक सम्पूर्ण पोषक खाद्य सामग्री तो है ही, प्रोसेसिंग के जरिये इसका हर भाग उपयोगी है। सरकार द्वारा प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने से पहले फल का उपयोग कर बाकी हिस्से को फेंक दिया जाता था। अब केले से चिप्स, अचार और पापड़ बनाने के साथ इसके पत्तों ओर तने के रेशों का विभिन्न उत्पाद बनाने में इस्तेमाल हो रहा है, अपशिष्ट से जैविक खाद भी बनाई जा रही है। पत्तों से प्लेट बन रही है तो तने से निकाले गए रेशों से कपड़े, टोपी, फुटमैट और अन्य सजावटी सामान। बनाना फेस्टिवल में इन उत्पादों को स्टालों पर प्रदर्शित किया गया है। साथ ही किसानों को अधिक उत्पादकता के लिए प्रेरित करने को टिश्यू कल्चर से तैयार केले के पौधों के कई स्टाल लगाए गए हैं।

रिपोर्ट- पूर्णिमा श्रीवास्तव

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Newstrack

Newstrack

Next Story