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मौसम का कहर : बाढ़, बारिश और बेबस बनारस
आशुतोष सिंह
वाराणसी। आधे हिंदुस्तान में आफत की बारिश ने कहर बरपा रखा है। यूपी, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश सहित दर्जनभर प्रदेशों में बाढ़ से हाहाकार मचा हुआ है। पूर्वांचल भी इससे अछूता नहीं है। पूर्वांचल में भी हालात बिगडऩे लगे हैं। लगातार हो रही बारिश की वजह से नदियां उफान पर हैं। गंगा ने रौद्र रुप धारण कर लिया है। वाराणसी और उसके आसपास के जिलों में गंगा का पानी रिहाइशी इलाकों में घुसने लगा है। लोग घरों को छोड़कर सुरक्षित ठिकानों की ओर भाग रहे हैं।
सरकार दावा कर रही है कि बाढ़ पर उसकी नजर है। एनडीआरएफ को अलर्ट कर दिया गया है। बाढ़ चौकियां बनाने के साथ ही हेल्पलाइन नंबर खोल दिए गए हैं, लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि सरकार का ये दावा सिर्फ चंद इलाकों में ही सीमित है। यदि बनारस की बात करें तो गंगा घाटों को छोड़कर अधिकांश इलाकों में राहत के नाम पर सिर्फ दिखावा किया जा रहा है। बाढ़ राहत शिविरों में लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं तो वरुणा किनारे वालों को शिविर भी नसीब नहीं है।
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बनारस में गंगा का रौद्र रूप
बनारस की पहचान गंगा घाटों से होती है। यहां के विश्व प्रसिद्ध घाटों को देखने के लिए हजारों लोग प्रतिदिन पहुंचते हैं। आजकल राजघाट से लेकर सामने घाट तक बनारस के सभी 84 घाट पूरी तरह जलमग्न है। नावों के संचालन पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई है। गंगा में अब सिर्फ एनडीआरएफ के जवान दिखाई पड़ते हैं। घाटों पर पानी में डूबे छोटे-छोटे मंदिर गंगा के रौद्र रूप की गवाही दे रहे हैं। पिछले तीन सालों बाद ऐसा मौका आया है जब गंगा का पानी घाट से आगे बढ़ते हुए रिहाइशी इलाकों की ओर बढ़ रहा है। तटवर्ती इलाकों में लोग सुरक्षित ठिकानों की ओर जा रहे हैं।
सामने घाट, नगवा, मारुति नगर सहित कई तटवर्ती इलाकों में बाढ़ से लोग बेहाल हैं। कॉलोनियों में बाढ़ ने दस्तक दे दी है। सामने घाट से लेकर अस्सी घाट रमना तारापुर टिकरी तक बाढ़ का पानी भर गया है। नाले से होते हुए पानी मारुति नगर कॉलोनी में घुस गया है। सामने घाट स्थित साईं मंदिर और बाढ़ राहत पीएससी कैंप के पास पानी के बहाव से मिट्टी कटने लगी है। असि नदी का पानी रोहित नगर, कैवल्य धाम, साकेत नगर के निचले हिस्सों में भर गया है।
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आरती की जगह बदली, छतों पर जल रहीं चिताएं
विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती भी बाढ़ की वजह से प्रभावित हुई है। सुबह-शाम होने वाली आरती अब छतों पर हो रही है। लिहाजा श्रद्धालु इसमें शामिल नहीं हो पा रहे हैं। शवदाह करने वाले लोग भी परेशान हैं। मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट पूरी तरह गंगा में समा चुके हैं। लिहाजा अब घरों की छतों पर जैसे-तैसे अंतिम संस्कार किया जा रहा है। मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। आमतौर पर मणिकर्णिका घाट पर एक साथ पंद्रह से बीस से शवों का दाह संस्कार होता है, लेकिन अब एक साथ बमुश्किल पांच से आठ शवों का ही अंतिम संस्कार हो पा रहा है। बाढ़ की वजह से अंतिम संस्कार में इस्तेमाल होने वाले सामानों की कीमत में भी वृद्धि हो गई है। पहले लकडिय़ां 300 रुपए प्रति कुंतल बिकती थीं, लेकिन अब उसकी कीमत 500-600 रुपए हो गई है।
वरुणा भी खतरे के निशान के ऊपर
गंगा के जलस्तर बढऩे से सहायक नदियां वरुणा और अस्सी भी उफान पर हैं। इसके पानी निचले इलाके के घरों में भर गया है। वरुणा तट के 50 गांवों के करीब 5000 परिवारों ने अपना घर छोड़ दिया है। पुरानापुल, सलारपुर, पुलकोहना, नक्खी घाट, शिवपुर सहित आधा दर्जन क्षेत्रों में वरुणा नदी का पानी घरों में घुस गया है। यहां के लोग सामान समेट कर शिफ्ट हो रहे हैं। वरुणा कॉरीडोर पूरी तरह पानी में समा चुका है। जिला प्रशासन ने एहतियातन इन इलाकों की बिजली काट दी है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 27 बाढ़ राहत चौकी बनाई गई है। बाढ़ चौकियों पर राजस्व विभाग के कर्मियों के साथ-साथ अन्य विभागों के लोग भी तैनात हैं। उपजिलाधिकारी सदर महेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सदर तहसील में सरायमोहाना, मुस्तफाबाद, मोकलपुर, गोबरहां, रमचंदीपुर, भगतुआं और बर्थराकला सहित कुल 27 बाढ़ चौकियां बनाई गई हैं। पीएचसी प्रभारी चिरईगांव डॉ.अमित कुमार सिंह ने बताया कि विकासखंड की सातों बाढ़ चौकियों पर चिकित्सकों व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की तैनाती की गई है।
मंत्री रख रहे हैं निगरानी
प्रदेश के विधि-न्याय, युवा कल्याण, खेल एवं सूचना राज्य मंत्री डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने मंगलवार को बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र कोनिया एवं अन्य क्षेत्रों का दौरा कर जायजा लिया। उन्होंने बाढ़ प्रभावित लोगों को आश्वासन दिया कि उन्हें किसी भी प्रकार की समस्या नहीं आने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री का भी वितरण सुनिश्चित कराया जाएगा। बाढ़ पीडि़तों की सहायता में किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
बारिश के पानी ने रोकी शहर की रफ्तार
केंद्र और राज्य की सरकार बनारस को वल्र्ड क्लास शहर बनाना चाहती है, लेकिन भादो की पहली बारिश ने सरकार के सभी दावों की पोल खोल दी। पूरा शहर अस्त-व्यस्त पड़ा है। अधिकांश शहर वॉटर लॉगिंग से परेशान है। कुछ ही घंटों की बारिश ने सीवर सिस्टम की पोल खोल दी है, जबकि बनारस में सीवर सिस्टम को ठीक करने का काम पिछले कई साल से चल रहा है। ज्यादातर सड़कों को सीवर डालने के नाम पर नगर निगम और तार व पानी की पाइप डालने के लिए दूसरे विभागों ने खोद डाला है, जो अब बरसात के मौसम में बनारस के बाशिंदों के लिए मुश्किलें पैदा कर रहे हैं।