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आंकड़ेबाजी में उलझ गईं किसान सम्मान निधि योजना- अधिकारी बृजेश कुमार

सरकार का किसान सम्मान निधि योजना आकड़ों की बाजी गिरी में उलझा है। आंकड़े जितने आकर्षक बताये जातें हैं जमीनी हकीकत में इसके विपरीत बांसुरी बजती दिखाई देती है।

Roshni Khan
Published on: 17 Jun 2020 12:28 PM GMT
आंकड़ेबाजी में उलझ गईं किसान सम्मान निधि योजना- अधिकारी बृजेश कुमार
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बांदा: सरकार का किसान सम्मान निधि योजना आकड़ों की बाजी गिरी में उलझा है। आंकड़े जितने आकर्षक बताये जातें हैं जमीनी हकीकत में इसके विपरीत बांसुरी बजती दिखाई देती है। बांदा में तो गड़बड़ियों के चलते पंजीयन के बावजूद 66 हजार से अधिक किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लाभ से वंचित हैं। किसी की खाता संख्या गलत है तो किसी का पैसा दूसरे के खातों में भेज दिया गया है।

कई के आधार नंबर गलत फीड कर दिए गए हैं। त्रुटियों को ठीक कराने के लिए किसान तहसील और कृषि विभाग के चक्कर काट रहे हैं। यह तो सरकारी आंकड़े हैं। यंहा हजारों की संख्या में लंबी फेहरिस्त ऐसी है जो आनलाइन आवेदन ही नहीं कर पाये। साइड बंद रहती है।

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जिले में लघु व सीमांत किसानों की संख्या इतनी है

जिले में लघु व सीमांत किसानों की संख्या 3,39,645 है। पीएम किसान सम्मान निधि के लिए आकड़ों में पात्र 2,80,558 किसानों में 2,14,385 किसानों को प्रथम किस्त मिली है। 1,86,353 को द्वितीय, 1,56,926 को तृतीय और 1,22,727 को चौथी किस्त का लाभ मिला है। 66,173 ऐसे किसान हैं अब तक जिन्हें पंजीयन के बाद अभी तक एक भी किस्त का लाभ नहीं मिला है।

इस संबंध में पीएम किसान सम्मान निधि के जिला नोडल अधिकारी बृजेश कुमार ने बताया कि जिन किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ नहीं मिल पा रहा। उनके आधार कार्ड व बैंक खाता नंबर अथवा नाम आदि में कोई न कोई त्रुटि है। इसे ठीक कराया जा रहा है। त्रुटि सुधार के लिए जल्द अलग से एक साइट जारी की जा रही है। किसान कैफे अथवा मोबाइल से त्रुटियों को ठीक करा सकेगा।

उप निदेशक कृषि एके सिंह ने बताया

उप निदेशक कृषि एके सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लिए 3,39,645 किसानों ने आवेदन किया था। इसमें अभी तक 2,80,558 किसान पात्र पाए गए। लेखपाल की रिपोर्ट के आधार पर जिले के 59,087 किसानों को अपात्र घोषित किया गया है। यह सरकारी नौकरी में है या फिर पेंशनर हैं।

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लेकिन यहां यह बता दें कि किसान सम्मान निधि योजना में पहले लघु और सीमांत किसान लिए गये। बाद में यह प्रतिबंध समाप्त कर छोटे और बड़े सभी किसान शामिल कर लिये गये। लेकिन कृषि विभाग आय प्रमाण पत्र क्यों मांगता है। बुन्देलखंड में तो 50- 100 बीघे के काश्तकार तक पर्याप्त उपज न होने और प्राकृति आपदाओं के कारण बदहाली का जीवन जीते हैं। लेखपाल सुविधा शुल्क के लिये अपनी इच्छा अनुसार रिपोर्ट लगाते हैं। इस योजना में इतने कानूनी पेच फंसा दिये गये हैं की किसान सम्मान निधि पाना वास्तविकता के धरातल पर लोहे के चने चबाने जैसा हो गया है।

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