Barabanki News: यहां के आम अपने लजीज स्वाद से बने खास, न्यूजीलैंड और जापान में बजाया अपना डंका, महिलाबाद को भी छोड़ा पीछे

Barabanki News: बाराबंकी जिले के याकूती, दशहरी, गुलाबखास, हुस्नआरा और आम्रपाली समेत कई और खास रसीले आमों की खास डिमांड पर इस बार न्यूजीलैंड और जापान समेत खाड़ी देशों तक पहुंचाया जा रहा है।

Sarfaraz Warsi
Published on: 24 Jun 2023 10:54 AM GMT
Barabanki News: यहां के आम अपने लजीज स्वाद से बने खास, न्यूजीलैंड और जापान में बजाया अपना डंका, महिलाबाद को भी छोड़ा पीछे
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(Pic: Newstrack)

Barabanki News: फलों के राजा आम की बात हो, तो अब मलिहाबाद से भी पहले बाराबंकी का नाम लोगों की जुबान पर आता है। यहां लजीज आमों की 50 से ज्यादा किस्में पैदा होती हैं। जिसमें सबसे ज्यादा डिमांड हुस्नआरा, गुलाबखास, याकूति, दशहरी और आम्रपाली जैसे खास आमों की रहती है। यह आम इस साल खाड़ी देशों के साथ-साथ न्यूजीलैंड और जापान तक भेजे जा रहे हैं। वहीं इन आमों में सबसे सस्ता 30 रुपये किलो दशहरी है और सबसे मंहगा 300 रुपये किलो तक हुस्नआरा बिकता है। बागवानों और आम व्यापारियों का कहना है कि उन्हें काफी खुशी है कि उनके यहां के आमों का अब विदेशों में भी डंका बज रहा है।

दरअसल बाराबंकी जिले के याकूती, दशहरी, गुलाबखास, हुस्नआरा और आम्रपाली समेत कई और खास रसीले आमों की खास डिमांड पर इस बार न्यूजीलैंड और जापान समेत खाड़ी देशों तक पहुंचाया जा रहा है। इन आमों को जिले का उद्यान विभाग लखनऊ के रहमानखेड़ा स्थित मैंगो हाउस तक पहुंचा रहा है। फिर उसके बाद इन्हें वहां से ट्रीटमेंट कर सुरक्षित तरीके से विदेश भेजा जा रहा है। बाराबंकी के आमों की विदेशों से आ रही इतनी डिमांड से बागवानों, व्यापारियों के साथ-साथ जिले का उद्यान विभाग भी काफी उत्साहित है।

आपको बता दें कि बाराबंकी जिले में करीब 13,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम की बागबानी होती है। जिले में याकूती, आम्रपाली दशहरी, गुलाबखास, आम्रपाली, दशहरी, बनारसी लंगड़ा, चैसा, फजली, बंबई ग्रीन, बंबई, अलफांजो, बैंगन पल्ली, हिम सागर, केशर, किशन भोग, मलगोवा, नीलम, सुर्वन रेखा, वनराज, जरदालू, दशहरी, मल्लिका, आम्रपाली, रत्ना, अर्का अरुण, अर्मा पुनीत, अर्का अनमोल, गौरजीत, बांबेग्रीन, सफेदा, सुरखा, कपूरी और थाईलैंड के आम की कुछ किस्मों समेत करीब 50 प्रकार के आम की किस्में पैदा होती हैं।

बाराबंकी के जिला उद्यान अधिकारी महेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि यहां का मसौली, सतरिख और पूरेडलई क्षेत्र मैंगो बेल्ट कहा जाता है। जहां हर साल दो लाख मीट्रिक टन से ज्यादा आम की पैदावार होती है। यहां के हुस्नआरा, गुलाबखास और यकुति आम की मांग काफी है। अभी तक यहां के आमों की लखनऊ, गोरखपुर, अयोध्या और बहराइच के साथ नेपाल की मंडियों तक ही डिमांड थी। लेकिन इस बार यह थाइलैंड और जापान समेत खाड़ी देशों तक जा रहा है। जिससे बागबानों और व्यापारियों को काफी अच्छा मुनाफा भी हो रहा है। उनका कहना है कि यह उनके लिए गर्व की बात है कि जिले के आमों का डंका अब पूरी दुनिया में बजने लगा है।

वो कहीं और नहीं मिलेंगी

वहीं बाराबंकी में आम का कारोबार करने वाले नियाज अहमद ने बताया कि बाराबंकी में आमों की किस्में ज्यादा हैं। हम लोग मलिहाबाद के आमों को भी टक्कर दे रहे हैं। वहीं किसान मोहम्मद आलम शाह और मोहम्मद अनीस ने कहा कि अगर असली आम देखना हो तो वो बाराबंकी में ही मिलेगा। आम की जो वैराइटी यहां मिलेंगी वो कहीं और नहीं मिलेंगी।

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