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जानिए क्यों योगी के इस पूर्व मंत्री ने कहा- सरकार दोषी पाएं तो मुझे जेल भेज दें?

अगर मैं दोषी पाया गया तो विधायकी से भी मैं इस्तीफा दे दूंगा। मेरा सार्वजनिक जीवन बेदाग है।” बरेली पहुंचकर भावुक हुए धर्मपाल सिंह ने कहा कि बरेली में मेरी कोई कोठी नहीं है।

Aditya Mishra
Published on: 23 Aug 2019 3:49 PM GMT
जानिए क्यों योगी के इस पूर्व मंत्री ने कहा- सरकार दोषी पाएं तो मुझे जेल भेज दें?
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लखनऊ/ बरेली: मंत्रीपद जाने पर योगी आदित्यनाथ सरकार के पूर्व मंत्री धर्म पाल सिंह का दर्द छलक पड़ा है। इस्तीफा देने के बाद बरेली में पहली बार धर्मपाल सिंह ने यूपी के बरेली में सार्वजनिक रूप से कहा कि, “सरकार मेरे 2.4 साल के कार्यकाल की जांच करा ले, दोषी पाएं तो मुझे जेल भेज दे।

अगर मैं दोषी पाया गया तो विधायकी से भी मैं इस्तीफा दे दूंगा। मेरा सार्वजनिक जीवन बेदाग है।” बरेली पहुंचकर भावुक हुए धर्मपाल सिंह ने कहा कि बरेली में मेरी कोई कोठी नहीं है।

इससे पहले अपने पहले मंत्रिमंडल विस्तार के बाद विभागों के बंटवारे में भी मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने परफॉरमेंस को तवज्जो दी है।

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मंत्रीपद गंवाने के पीछे ये है वजह

मंगलवार को योगी कैबिनेट के चार मंत्रियों से इस्तीफा ले लिया गया है। इन मंत्रियों की छुट्टी के पीछे उनका परफॉर्मेंस मुख्य वजह बनी।

योगी सरकार पिछले काफी समय से इन लोगों के विभागों की समीक्षा कर रही थी और कई लोगों के कामों की लगातार शिकायतें मिली थीं। इसी के बाद इन मंत्रियों पर गाज गिरी है।

योगी कैबिनेट से इस्तीफा देने वाले मंत्रियों में वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल, सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री अनुपमा जायसवाल और भूतत्व एवं खनिकर्म राज्यमंत्री अर्चना पांडेय शामिल हैं।

इन चार मंत्रियों के अलावा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वतंत्र देव सिंह पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं।

जानें किन वजहों से गई 4 मंत्रियों की कुर्सी

अनुपमा जायसवाल:

योगी सरकार में बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री अनुपमा जायसवाल की मंत्रिमंडल से छुट्टी हो गई है। अनुपमा बेसिक शिक्षा अधिकारियों के तबादलों के साथ छात्रों के जूते-मोजे, स्वेटर और पाठ्य पुस्तकों के टेंडर को लेकर विवाद में रहीं।

पिछले साल विभाग में बच्चों को फरवरी तक स्वेटर वितरित नहीं हुए थे। इसके अलावा छात्रों के जूते-मोजे के वितरण में देरी से सरकार की काफी किरकिरी हुई थी।

अनुपमा के कार्यकाल में हुई 68,500 शिक्षकों की भर्ती में भी अनियमितताओं की शिकायतें आई हैं. यह भर्ती अभी तक उच्च न्यायालय में विचाराधीन है।

इसके इलावा अलावा एक स्टिंग ऑपरेशन में अनुपमा के दफ्तर का भी नाम सामने आया था। इसके बाद मुख्यमंत्री ने अनुपमा के दफ्तर में कार्यरत निजी सचिव को हटा दिया था।

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धर्मपाल सिंह:

बीजेपी के दिग्गज नेता और सिंचाई मंत्री रहे धर्मपाल सिंह पर भी गाज गिरी है। धर्मपाल सिंह ने मंगलवार को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है, जिसे स्वीकार कर लिया गया है।

सिंचाई विभाग में तबादलों में हुई गड़बड़ी और बढ़ती कमीशनखोरी की शिकायतें मिलने के बाद मंत्रिमंडल से उनकी छुट्टी हुई है। विभाग में कमीशनखोरी और दलालों का सक्रिय होना भी धर्मपाल सिंह को मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने की मुख्य वजह बनी।

राजेश अग्रवाल:

योगी सरकार में वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे राजेश अग्रवाल की मंत्रिमंडल से छुट्टी हो गई है। राजेश अग्रवाल और अपर मुख्य सचिव के बीच शुरू से ही तालमेल नहीं बैठ पा रहा था। अग्रवाल ने जिनके तबादले किए थे, अपर मुख्य सचिव ने उन फाइलों को मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दिया था।

इसके बाद वहां से नीति के अनुरूप प्रस्ताव बनाकर देने के लिए कहा गया तो स्पष्ट हो गया कि अग्रवाल के लिए सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को यहां तक लिखा था कि अपर मुख्य सचिव उन्हें बिना दिखाए फाइलें सीधे सीएम आफिस भेज रहे हैं। हालांकि वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल के इस्तीफे की वजह उनकी उम्र 75 वर्ष हो जाना बताया जा रहा है।

अर्चना पांडेय:

भूतत्व एवं खनिकर्म राज्यमंत्री अर्चना पांडेय की योगी कैबिनेट से छुट्टी हो गई है। एक स्टिंग ऑपरेशन में अर्चना पांडेय के निजी सचिव पर पैसा लेकर काम कराने का आरोप लगा था।

इसके बाद निजी सचिव को हटा दिया गया था। इसके अलावा सरकार और संगठन के कामकाज में निष्क्रियता का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा है, जिसके चलते उन्हें हटाए जाने की वजह मानी जा रही है।

स्वतंत्र देव सिंह:

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वतंत्र देव सिंह पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं। इस तरह से स्वतंत्र देव सिंह का कद घटने के बजाय बढ़ा है और पार्टी ने उन्हें सरकार के बजाय संगठन की कमान सौंपी है।

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