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ग्राहक उपभोक्ता को जानना जरूरी, धोखे से बचाएगा यह क़ानून
आज जिस प्रकार से उपभोक्ताओं को प्रलोभन देकर सामान बेचा जाता है प्रतिस्पर्धा में उसे मनगढ़ंत बातें कहकर सामान दे दिया जाता है या मूल्य ज्यादा लिया हो ,कुछ फीचर्स कम हो ,या वह माल उच्च गुणवत्ता का बता कर दिया गया हो।
लखनऊ। नक़लचियो से सावधान १०० वर्ष पुरानी असली बीयरिंग की दुकान| जी हाँ इस तरह के बोर्ड आप मार्केट में आमतौर पर पढ़ते होंगे| यह बोर्ड उपभोक्ता को सचेत करते हुए होते है फिर भी उपभोक्ता धोखा खा जाता है| जानते है कैसे उपभोक्ता अपने अधिकार की रक्षा कर सकता है। हम सभी जानते है जब हम कोई वस्तु खरीदते हैं तो हम ग्राहक कहलाते हैं |वस्तु बेचने वाला दुकानदार कहलाता है| ग्राहक जो वस्तु का उपयोग करता है वही ग्राहक उपभोक्ता भी कहलाता है|
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उपभोक्ता के साथ नाइंसाफी
आज जिस प्रकार से उपभोक्ताओं को प्रलोभन देकर सामान बेचा जाता है प्रतिस्पर्धा में उसे मनगढ़ंत बातें कहकर सामान दे दिया जाता है या मूल्य ज्यादा लिया हो ,कुछ फीचर्स कम हो ,या वह माल उच्च गुणवत्ता का बता कर दिया गया हो। लेकिन वस्तु उस पर खरी नहीं हो ,इन सभी परिस्थितियों को उपभोक्ता के साथ नाइंसाफी माना जाता है।
जब किसी उपभोक्ता के साथ इस तरह का नुकसान होता है तो वह अपनी शिकायत कंपनी या दुकानदार पर करता है लेकिन दुकानदार नही सुनता है इस प्रकार ग्राहक के साथ नाइंसाफी होती है तो दूसरी तरफ ग्राहक (उपभोक्ता )बहुत जागरूक हो गया है और वह अपनी जागरूकता के बल पर अपने मूल्य का पूर्ण लाभ लेने के लिए सक्षम होता जा रहा है|
यह सब उपभोक्ता सरंक्षण के तहत संभव होता है |कुछ अधिकार सरकार द्वारा प्रदत्त, वही सोशल मीडिया के माध्यम से और न्यायालय के माध्यम से अपने अधिकार लेने में पूर्ण तरह सक्षम हो गया है।
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फोटो-सोशल मीडिया
विधेयक पर अनुमोदन
वैसे तो उपभोक्ता अधिकार दिवस अमेरिका से उपभोक्ता आंदोलन से शुरू हुआ जिसके फलस्वरूप 15 मार्च 1962 को अमेरिकी कांग्रेस में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी द्वारा उपभोक्ता संरक्षण पर पेश किए गए विधेयक पर अनुमोदन दिया गया|
इस विधेयक में उपभोक्ता को सुरक्षित किया गया पहला अधिकार की सुरक्षा सूचना प्राप्त करने की सुरक्षा प्रोडक्ट को चुनने की व सुनाई का अधिकार शामिल था |अमेरिका के बाद भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत 1966 में मुंबई से हुई थी| 1974 में पुणे में ग्राहक पंचायत की स्थापना के बाद अनेक राज्यों ने उपभोक्ता कल्याण हेतु संस्थाओं का गठन किया।
परंतु 9 दिसंबर 1986 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पहल पर उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पारित किया गया ,जिसे राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद पूरे देश में ना केवल लागू किया गया बल्कि उपभोक्ताओं को उनका अधिकार दिलाया गया| इसके बाद से प्रति वर्ष 24 दिसंबर को भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण दिवस मनाया जाने लगा।
आज इस उपभोक्ता संरक्षण कानून की वजह से ही आज छोटे से छोटा बड़े से बड़ा दुकानदार निर्माता या सप्लायर किसी भी उपभोक्ता से अगर चीटिंग करता है तो वह दंड का व मुआबजे का भागी होता है| सोशल मीडिया के माध्यम से उसकी कंपनी की साख भी गिर जाती है |
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आजकल जिस तरीके से सरकार ने सभी निर्माताओं को वस्तुओं पर निर्देशों को लिखना अनिवार्य कर दिया है यह भी उपभोक्ता के संरक्षण का बहुत मजबूत स्तंभ है| जिस तरीके से उपभोक्तावाद बढ़ रहा है सभी उपभोक्ताओं को अपनी अधिकारों के प्रति वह अपने द्वारा उपभोग की जाने वाली वस्तुओं के प्रति न केवल सचेत रहना चाहिए, बल्कि दूसरे लोगों को भी जागरूक करना चाहिए।
फोटो-सोशल मीडिया
ग्राहकों के बीच मजबूत संबध
ताकि किसी भी प्रकार से निर्माता या सर्विस देने वाले उन्हें धोखा ना दे सके। व्यापार जगत के लिए व उपभोक्ताओं के लिए यह कानून एक औषधि के समान है| इसी कानून के माध्यम से हम अपने ग्राहकों के बीच में ना केवल संबध बनाते हैं बल्कि एक मजबूत ग्राहक श्रंखला भी बना सकती हैं।
उपभोक्ता अधिकार क़ानून द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा सभी उपभोक्ताओं को एक ब्रह्मास्त्र दिया गया है कहते हैं कि ब्रह्मास्त्र तभी इस्तेमाल करना चाहिए जब बहुत आवश्यकता हो कहने का तात्पर्य है कि निर्माता द्वारा उपभोक्ता को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में ही और उसकी बात ना मानने पर हमें उपभोक्ता न्यायालय की शरण में अवश्य जाना चाहिए ।
आज मैं सभी उपभोक्ताओं से निवेदन करूंगा कि वह सजग रहें सावधान रहें और अपने मूल्य का पूर्ण लाभ प्राप्त करें| सभी उपभोक्ताओं को राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार संरक्षण दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ|
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रिपोर्ट- राजीव गुप्ता जनस्नेही
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