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बड़ी कामयाबीः एटीएम कार्ड ‘क्लोन’ से रूपये निकालने वाला गिरोह एसटीएफ गिरफ्त में
‘क्लोनिंग मशीन(स्किमर)’, ‘ए0टी0एम0 मैगनेटिक कार्ड रीडर’, ’लैपटाप’, ‘27 ए0टी0एम0 कार्ड/डेबिटकार्ड’, ’एटीएम के कैश डिस्पेंसर में फॅसाने वाला हस्त निर्मित उपकरण’ व सात हजार छह सौ पैंतीस रुपए नकद बरामद।
लखनऊ। एसटीएफ फील्ड इकाई, प्रयागराज ने लखनऊ के थाना विभूतिखण्ड क्षेत्र से एटीएम कार्ड का ’क्लोन’ तैयार कर रूपये निकालने वाले अन्तरप्रान्तीय गिरोह के सरगना सहित चार सदस्यों को गिरफ्तार करके बड़ी सफलता पाई है।
पकड़े गए अभियुक्तों के कब्जे से लैपटाप, क्लोनिंग मशीन, कार्ड रीडर, कार्ड राइटर, पेन ड्राइव, 10 सफेद रंग के सादे क्लोनिंग कार्ड, 27 एटीएम कार्ड, दो साफ्टवेयर सीडी व सात हजार छह सौ पैंतीस रुपए नकद बरामद हुए हैं।
गिरफ्तार अभियुक्तों में मो. वसीम पुत्र मो. कल्लन, निवासी मोहनगंज, बाजार, पूरे खुशई लोका का पुरवा, थाना कोतवाली नगर, जनपद प्रतापगढ़, अजीज अहमद उर्फ मुन्ना पुत्र मो0सईद, निवासी पतुलकी, थाना अन्तू, जनपद प्रतापगढ़, आनन्द बहादुर सिंह उर्फ सोहन सिंह छोटू पुत्र श्याम लाल सिंह, निवासी दुजई का पुरवा, सुखपाल नगर, थाना कोतवाली नगर, जनपद प्रतापगढ़, संजय यादव पुत्र राधेश्याम यादव निवासी बैसन का पुरवा, सराय आनादेव, थाना मान्धाता, जनपद प्रतापगढ़ शामिल हैं।
ऐसे बुना गया जाल
विगत कुछ समय से एसटीएफ उप्र को शातिर अपराधियों द्वारा विभिन्न बैंकों के एटीएम कार्ड की क्लोनिंग करके खाता धारकों के खाते से पैसा निकाल लेने वाले गिरोहों के बारे में जानकारी मिल रही थी। इस सम्बन्ध में अमिताभ यश, पुलिस महानिरीक्षक, एसटीएफ, उप्र एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ, लखनऊ द्वारा एसटीएफ की विभिन्न इकाईयों/टीमों को अभिसूचना संकलन एवं ठोस कार्यवाही हेतु लगाया गया था। इस मामले में नीरज कुमार पाण्डेय, अपर पुलिस अधीक्षक व नवेन्दु कुमार, पुलिस उपाधीक्षक के नेतृत्व में एसटीएफ फील्ड इकाई, प्रयागराज टीम पड़ताल कर रही थी।
मुखबिर तंत्र काम आया
इसी दौरान गुरुवार को उप निरीक्षक धर्मेन्द्र कुमार सिंह व रणेन्द्र कुमार सिंह की टीम को मुखबिर से सूचना मिली कि एटीएम से ‘फ्राड’ करने वाले गिरोह के कुछ सदस्य जनपद लखनऊ के थाना विभूतिखण्ड क्षेत्र में वेव माल के समीप पराग डेयरी के पास खड़े हैं। यह भी बताया गया कि ये अभियुक्त क्षेत्र मे लगे एटीएम पर ‘यूजर्स’ को निशाना बनाकर ‘फ्राड’ करने की फिराक में हैं। सूचना पर विश्वास कर एसटीएफ टीम ने मौके पर पहुँचकर उक्त तीनों अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया गया, जिनसे उपरोक्त बरामदगी हुई।
अभियुक्तों ने बताया
अभियुक्तों ने बताया कि वह सभी जनपद प्रतापगढ़ के रहने वाले हैं। पिछले कई सालों से गिरोह बनाकर लोगों को झांसा देकर उनका एटीएम/ ‘डेबिटकार्ड’ हथियाकर, फर्जी तरीके से उसका ‘क्लोन’ तैयार कर लोगों के खाते से पैसा निकालने का काम कर रहे हैं।
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बिना गार्ड वाले बूथ की तलाश
अभियुक्तों ने बताया कि वह लोग ऐसे एटीएम बूथ की तलाश करते है, जहाँ पर ‘गार्ड’ नियुक्त न हो और पैसे निकालने वालों की भीड़ रहती हो। गिरोह के सदस्य ऐसे लोगों को निशाना बनाते है, जो देखने में कम पढे़ लिखे हों। गिरोह के सदस्य ऐसे व्यक्ति के पीछे खड़े हो जाते हैं ।
ऐसे तैयार करते हैं क्लोन
अभियुक्तों ने बताया कि मदद करने के नाम पर किसी तरह से एटीएम/‘डेबिटकार्ड’ हाथ में लेकर पहले से अपने पास छुपाए ‘एटीएम कार्ड स्किमर’ से उस ‘कार्ड’ को ‘स्कैन’ कर लेते हैं। गिरोह का दूसरा सदस्य इसी बीच ‘कार्ड’ का ‘पिनकोड’ देख लेता है। बाद में ‘स्किमर’ को लैपटाप से जोड़कर सम्बन्धित ‘कार्ड’ का ‘डाटा’ लैपटाप मे ‘ट्रान्सफर’ कर दिया जाता है।
ऐसे निकाल लेते हैं पैसा
तत्पश्चात् एटीएम ‘कार्ड रीडर’ को लैपटाप से ‘कनेक्ट’ कर किसी भी ‘कार्ड’ को ‘स्वैप’ करके ‘क्लोन’ तैयार कर लिया जाता है। लैपटाप में ‘कार्ड’ का ‘डाटा रीड’ करने और ‘क्लोन’ बनाने के लिए ‘साफ्टवेयर’ पहले से ‘इंस्टाल’ रहता है। इसके बाद गिरोह के सदस्य उक्त ‘कार्ड’ और ‘पिनकोड’ के माध्यम से किसी भी ए0टी0एम0 बूथ से पैसा निकाल लेते हैं। एक ही ‘कार्ड’ पर अलग-अलग बार कई एटीएम/‘डेबिटकार्ड’ का ‘क्लोन’ तैयार किया जा सकता है। ‘कार्ड’ पर असली खाता धारक का नाम व कार्ड नम्बर अंकित दिखायी देगा किन्तु ‘एटीएम मशीन’ में वह ‘कार्ड’ और उसका विवरण दिखेगा, जिसका ‘क्लोन’ तैयार किया गया है।
इस तरह कमा चुके हैं लाखों
अभियुक्तों ने बताया कि उक्त ‘स्कैनर, कार्ड रीडर’ व ‘साफ्टवेयर’ युक्त लैपटाप उन्होंने आन लाइन खरीदा है। हस्त निर्मित उपकरणों के सम्बन्ध में अभियुक्तों ने बताया कि इसका प्रयोग वह एटीएम मशीन के कैश डिस्पेंसर में कैश निकासी को बाधित करने के लिए करते हैं। कस्टमर जब मशीन में कार्ड लगाकर और पिन दबाकर कैश निकासी प्रक्रिया को प्रोसेस करता है, तो कैश-ट्रे से पैसा निकलकर डिस्पेंसर तक तो आता है किन्तु उक्त हस्तनिर्मित उपकरण फॅसे होने के कारण मशीन के बाहर नहीं आ पाता है। कस्टमर तकनीकी गड़बड़ी समझकर बाहर चला जाता है। इसके बाद अभियुक्त लोग सलाई को मोड़कर बनाये गए हुक के माध्यम से उक्त उपकरण को बाहर निकाल लेते है, साथ में फॅसा हुआ पैसा भी बाहर आ जाता है। अभियुक्तों ने स्वीकार किया की इस तरह‘ फ्राड’ करके वह लोग अब तक लाखों रूपए का अवैध धन कमा चुके हैं।
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गिरफ्तार अभियुक्तों को थाना विभूतिखण्ड, जनपद लखनऊ में मु0अ0सं0-42/2020 धारा-419/420/467/468/471 भादवि 65/66डी/72 आई0टी एक्ट में दाखिल किया गया है। अग्रिम विधिक कार्यवाही साइबरसेल व स्थानीय पुलिस द्वारा की जा रही है।