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बिकरू कांड: एसआईटी की जांच रिपोर्ट, यह आईपीएस अधिकारी आया शक के घेरे

अनंत देव कानपुर में एसएसपी थे और सीओ द्वारा चैबेपुर के थानाध्यक्ष की शिकायत करने पर उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की थी। यही नहीं सीओ ने बिल्लोर के अन्य इंस्पेक्टर और पुलिस कर्मियों के बारे में भी शिकायत की थी लेकिन एसएसपी ने कोई कार्रवाई नहीं की।

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Published on: 7 Nov 2020 3:56 PM IST
बिकरू कांड: एसआईटी की जांच रिपोर्ट, यह आईपीएस अधिकारी आया शक के घेरे
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बिकरू कांड: एसआईटी की जांच रिपोर्ट, यह आईपीएस अधिकारी आया शक के घेरे

लखनऊ। कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड की जांच के लिए गठित एसआईटी की रिपोर्ट में कानपुर के तत्कालीन एसएसपी अनंत देव तिवारी के पुलिस एनकाउंटर में मारे गए गैंगस्टर विकास दुबे के साथ सम्बन्धों की जांच कराने की सिफारिश की गई है। इस कांड में सीओ समेत आठ पुलिस कर्मी शहीद हो गए थे।

दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई

अनंत देव कानपुर में एसएसपी थे और सीओ द्वारा चैबेपुर के थानाध्यक्ष की शिकायत करने पर उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की थी। यही नहीं सीओ ने बिल्लोर के अन्य इंस्पेक्टर और पुलिस कर्मियों के बारे में भी शिकायत की थी लेकिन एसएसपी ने दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विकास दुबे के काउंटर के बाद पूरी घटना की एसआईटी से जांच कराने के आदेश दिए थें। एसआईटी को 31 जुलाई तक का समय दिया गया था हालांकि बाद में इसे बड़ा भी दिया गया था । इसकी जांच अपर मुख्य सचिव संजय आर भूसरेड्डी वाली तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) ने की है। इसमें पीएसी में डीआइजी के पद पर तैनात कानपुर के पूर्व एसएसपी अनंत देव तिवारी की विकास दुबे के साथ करीबी की जांच की सिफारिश की गई है।

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एसआईटी ने 3200 पन्नों की जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी है

उल्लेखनीय है कि एसआईटी ने हाल ही में करीब 3200 पन्नों की जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी है । रिपोर्ट में 700 पन्ने ऐसे हैं जिसमें दोषी पाए गए अधिकारियों और पुलिसकर्मियों की भूमिका के अलावा करीब 36 संस्तुतियां भी की गई है। इस जांच में कानपुर के तत्कालीन 80 अधिकारियों व कर्मचारियों को दोषी पाया गया है। साथ ही उन पर कार्रवाई करने की भी संस्तुति की गई है ।

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एसआईटी की रिपोर्ट में प्रशासन व राजस्व विभाग के अधिकारियों के स्तर से भी कुख्यात विकास दुबे को संरक्षण दिए जाने की बात कही है। इसके अलावा दागियों को शस्त्र लाइसेंस, जमीनों की खरीद-फरोख्त और आपराधिक गतिविधियों पर प्रभावी अंकुश न लगाए जाने के कई मामलों को रिपोर्ट में शामिल किया गया है।

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