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अर्श से फर्श परः कभी इशारे पर चलती थी सरकार, आज बांट रहे विज्ञप्ति

कभी पूरी भाजपा उनके इशारों पर चलती थी सड़क से लेकर सदन तक सत्ता पक्ष के नाक में दम किया करते थें लेकिन जब आज केन्द्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार है तो यह नेता जन समस्याओं को लेकर स्थानीय जिला प्रशासन के चक्कर लगाने को मजबूर हैं।

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Published on: 14 July 2020 1:28 PM GMT
अर्श से फर्श परः कभी इशारे पर चलती थी सरकार, आज बांट रहे विज्ञप्ति
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श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: कभी पूरी भाजपा उनके इशारों पर चलती थी सड़क से लेकर सदन तक सत्ता पक्ष के नाक में दम किया करते थें लेकिन जब आज केन्द्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार है तो यह नेता जन समस्याओं को लेकर स्थानीय जिला प्रशासन के चक्कर लगाने को मजबूर हैं।

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भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा लक्ष्मीकांत वाजपेयी

जी हां यहां बता हो रही भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और भाजपा सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे डा लक्ष्मीकांत वाजपेयी की, जो इन दिनों मेरठ जिला प्रशासन के समक्ष जन समस्याओं को लेकर आए दिन ज्ञापन आदि देने का काम करते रहते हैं। आज भी उन्होंने जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एवं मेरठ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को एक पत्र सौंपा जिसमें उन्होंने गरीब और कमजोर वर्ग की लाकडाउन होने से उत्पन्न समस्याओं का जिक्र किया गया है।

डा लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने मेरठ जिला प्रशासन से रेहड़ी पटरी दुकानदारों तथा वापस आए प्रवासी श्रमिकों के अलावा डेयरी वालों की समस्याओं को उठाने का मामला उठाया है।

जूनियर नेताओं को पार्टी हाईकमान ने सत्ता के शीर्ष सिहांसन पर बैठाया हुआ

बतातें चलें कि भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा लक्ष्मीकांत वाजपेयी भाजपा की सरकार होते हुए भी राजनीति के हाशिए पर है। उनसे जूनियर नेताओं को पार्टी हाईकमान ने सत्ता के शीर्ष सिहांसन पर बैठाया हुआ है पर उनकी उपेक्षा पार्टी में लगातार हो रही है। अक्सर उनका नाम कभी राज्यसभा तो कभी विधानपरिषद के लिए चलता है पर अंत में उनका नाम काट दिया जाता है। डा लक्ष्मीकांत वाजपेयी अप्रैल 2012 से अप्रैल 2016 तक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे।

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कभी भाजपा से विधायक रहे डा लक्ष्मीकांत वाजपेयी दुर्भायवश वोटों के साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के चलते 2017 का विधानसभा चुनाव हार गए थें जिसके कारण उनको प्रदेश सरकार में भी स्थान नहीं मिल सका। इसके बाद से वह लगातार मेरठ की जनता की सेवा में लगातार लगे रहते हैं। इसके लिए वह स्थानीय प्रशासन से लेकर शासन तक के चक्कर लगाने में कभी पीछे नहीं रहते हैं।

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