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UP Nikay Chunav 2023: निकाय चुनाव में इन तीन चुनौतियों से कैसे निपटेगी बीजेपी, विपक्ष के साथ ही 'अपने' भी दे रहे टक्कर

UP Nikay Chunav 2023: भारतीय जनता पार्टी के बागी नेता, पार्टी कैंडिडेट के लिए मुश्किल बढ़ा रहे हैं। पार्टी इस विरोध को शांत करने के लिए पार्टी के दिग्गज नेता उन्हें मना रहे हैं, जहां स्थिति हाथ से निकलती दिख रही है, वहां बागियों पर कार्रवाई का हंटर भी चल रहा है। यूपी बीजेपी भूपेंद्र चौधरी के निर्देश पर प्रदेश भर में 300 से ज्यादा बागियों को पार्टी से छह साल तक के लिये निष्कासित कर दिया गया है।

Hariom Dwivedi
Published on: 2 May 2023 7:34 PM IST (Updated on: 2 May 2023 4:33 PM IST)
UP Nikay Chunav 2023: निकाय चुनाव में इन तीन चुनौतियों से कैसे निपटेगी बीजेपी, विपक्ष के साथ ही अपने भी दे रहे टक्कर
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यूपी नगर निकाय चुनाव के पहले चरण का शोर कल यानी मंगलवार को थम जाएगा।

UP Nikay Chunav 2023: यूपी निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सामने दोहरी चुनौती है। एक तरफ सपा, बसपा, कांग्रेस और आप सहित कई विपक्षी दलों के प्रत्याशी बीजेपी को हराने के लिए जी-जान से जुटे हैं वहीं, 'अपनों' ने भी मोर्चा खोल रखा है। सरकार में सहयोगी होने के बावजूद अनुप्रिया पटेल की अगुआई वाली अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के कैंडिडेट बीजेपी की टेंशन बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा कई जिलों में टिकट नहीं मिलने से नाराज 'बागी' हुए नेता भी बीजेपी की राह में रोड़ा बन रहे हैं। इस सबको देखते हुए बीजेपी ने पूरी दम झोंक रखी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों डिप्टी सीएम (बृजेश पाठक, केशव प्रसाद मौर्या) और यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी पूरे यूपी में ताबड़तोड़ जनसभाएं कर रहे हैं। मंत्रियों के अलावा सांसद, विधायक भी निकाय चुनाव में कमल खिलाने के लिए रात-दिन एक किये हुए हैं। बागियों पर एक्शन लेकर बगावत करने वालों को सख्त संदेश भी दिया जा रहा है।

पूर्वांचल में सक्रिय बीजेपी के सहयोगी घटक अपना दल एस और निषाद पार्टी ने अपने वोट बैंक और जातीय समीकरण को देखते हुए नगर पालिका और पंचायत अध्यक्ष की कुछ सीटें मांगी थी, लेकिन भाजपा ने निषाद पार्टी को जहां मात्र एक नगर पंचायत अध्यक्ष की सीट दी है वहीं, अपना दल को दो नगर पालिका और दो पंचायत अध्यक्ष की सीटें मिली हैं। कम सीटें मिलने की वजह से सहयोगी दलों के कार्यकर्ताओं में असंतोष है। निषाद पार्टी ने तमाम सीटों पर अपने सिंबल पर ही प्रत्याशी उतार दिये, वहीं अपना दल के कई नेता जिन्हें पार्टी का सिंबल नहीं मिला वह निर्दलीय ही चुनाव मैदान में हैं। ये सभी बीजेपी कैंडिडेट की मुश्किलें ही बढ़ा रहे हैं।

निषाद पार्टी ने यहां उतारे कैंडिडेट

भारतीय जनता पार्टी ने समझौते के तहत निषाद पार्टी को एकमात्र सोनभद्र की चोपन नगर पंचायत अध्यक्ष की सीट दी है लेकिन पार्टी ने 11 पंचायतों में निषाद पार्टी ने अध्यक्ष पद के लिए अपने सिंबल पर प्रत्याशी उतारे हैं। इनमें देवरिया जिले की मदनपुर व कैंपियरगंज, गोरखपुर की पीपीगंज और गोलाबाजार, कुशीनगर की कप्तानगंज, चिटौनी व दुदही, जौनपुर की बदलापुर व जाफराबाद, प्रयागराज की सुबंसा की झांसी की इरैच पंचायत शामिल है। इसके अलावा करीब एक दर्जन से अधिक पालिका अध्यक्ष पदों के साथ ही 170 से अधिक पार्षदों को अपने सिंबल पर बीजेपी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है।

अपना दल के लोग भी बढ़ा रहे मुश्किल

भारतीय जनता पार्टी ने समझौते के तहत अपना दल एस के लिए रामपुर की स्वार और झांसी की मऊरानीपुर नगर पालिका परिषद के अलावा प्रतापगढ़ की मांधाता और कटरा गुलाब सिंह नगर पंचायत अध्यक्ष पद की सीटें दी हैं। बावजूद पार्टी से जुड़े तमाम लोग मिर्जापुर, प्रतापगढ़, वाराणसी, भदोही, बहराइच और फतेहपुर जिले में बीजेपी कैंडिडेट की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। हालांकि, अपना दल ने किसी को भी पार्टी का सिम्बल नहीं दिया है, लेकिन फिर माना जा रहा है कि ये नुकसान भाजपा को ही पहुंचाएंगे।

बागी ही बन रहे चुनौती

भारतीय जनता पार्टी के बागी नेता, पार्टी कैंडिडेट के लिए मुश्किल बढ़ा रहे हैं। विरोध को शांत करने के लिए पार्टी के दिग्गज नेता उन्हें मना रहे हैं, जहां स्थिति हाथ से निकलती दिख रही है, वहां बागियों पर कार्रवाई का हंटर भी चल रहा है। रविवार को यूपी बीजेपी भूपेंद्र चौधरी के निर्देश पर प्रदेश भर में 300 से ज्यादा बागियों को पार्टी से बाहर कर दिया गया, जो पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के विरोध में चुनाव मैदान में थे। बागियों के अलावा अपने रिश्तेदारों को चुनाव लड़वा रहे पदाधिकारियों को भी छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। इनमें मिरजापुर में भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य मनोज श्रीवास्तव सहित 14 भाजपाइयों को पार्टी से निकाल दिया गया है। इनमें मंडल अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, जिला कार्यकारिणी सदस्य और महिला मोर्चा की जिला महामंत्री गुंजन गुप्ता भी शामिल है। ऐसे ही लखीमपुर, गोंडा, उन्नाव, फतेहपुर, वाराणसी और सीतापुर सहित कई जिले को पदाधिकारी शामिल हैं। इसके अलावा कई और जिलों के बागियों पर भी एक्शन की तैयारी है।

दलीय निष्ठा पर निजी महात्वाकांक्षा भारी

सहयोगी दलों के अलावा बीजेपी के तमाम नेता बगावत पर उतर आये हैं। इनमें वे लोग शामिल हैं जो पिछले कुछ समय से खुद को पार्टी का उम्मीदवार मान रहे थे और अंदर ही अंदर चुनाव प्रचार में जुटे थे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है आजकल नेताओं की दलीय निष्ठा बदलने का का कारण उनका अपना अवसर है। अभी नहीं तो कभी नहीं की तर्ज पर उन्हें लगता है कि अगर अभी मैदान में नहीं गये तो पांच साल बाद क्या स्थिति होगी किसी को कुछ नहीं पता। ऐसे नेता जिन्हें लगता है कि वह अपने दम पर चुनाव जीतने में सक्षम हैं, वह चुनाव मैदान में हैं। उनकी निजी महात्वाकांक्षाओं के आगे दलीय निष्ठा कोई मायने नहीं रखती।

कल थम जाएगा पहले चरण का शोर

यूपी नगर निकाय चुनाव के पहले चरण का शोर कल यानी मंगलवार को थम जाएगा। पहले चरण में 04 मई को 37 जिलों में मतदान होना है। इनमें शामली, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, आगरा, फिरोजाबाद, मथुोरा, मैनपुरी, झांसी, जालौन, ललितपुर, कौशांबी, प्रयागराज, फतेहपुर, प्रतापगढ़, उन्नाव, हरदोई, लखनऊ, रायबरेली, सीतापुर, लखीमपुरखीरी, गोण्डा, बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती, गोरखपुर देवरिया, महाराजगंज, कुशीनगर, गाजीपुर, वाराणसी, चंदौली और जौनपुर शामिल हैं। दूसरे चरण में 11 मई को मतदान होगा। रिजल्ट 13 मई को आएगा।



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