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बीजेपी नेता ने धान खरीद के मामले में प्रशासन के आरोप को बताया झूठा

डीएम विशाल भारद्वाज ने 30 अक्टूबर को कई क्रय केन्दों पर धान खरीद की पड़ताल की थी। कई किसानों से सैकड़ों कुंतल धान खरीदा जाना पाया गया।

Newstrack
Published on: 9 Nov 2020 1:03 PM IST
बीजेपी नेता ने धान खरीद के मामले में प्रशासन के आरोप को बताया झूठा
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भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा है कि चांदनी चौक पुनर्निर्माण प्रोजेक्ट दिल्ली सरकार का है, ऐसे में वह शुरू से चाहती थी कि यह मंदिर यहां से हट जाए।

सीतापुर: धान खरीद अभियान में प्रशासन द्वारा कराई गई जांच को लेकर एक नया मोड़ आ गया है। एसडीएम अमित भट्ट ने जिन शिवेंद्र प्रताप सिंह को जांच में बिचौलिये की भूमिका निभाने का आरोप लगाया था, वह झूठ बताया जा रहा है। शिवेंद्र सिंह का कहना है कि जांच ठीक से नहीं की गई है। प्रशासन को भ्रम हुआ है।

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डीएम विशाल भारद्वाज ने 30 अक्टूबर को कई क्रय केन्दों पर धान खरीद की पड़ताल की थी

दरअसल डीएम विशाल भारद्वाज ने 30 अक्टूबर को कई क्रय केन्दों पर धान खरीद की पड़ताल की थी। कई किसानों से सैकड़ों कुंतल धान खरीदा जाना पाया गया। डीएम ने आदेश दिया कि जिन किसानों से 100 कुंतल से ज्यादा धान खरीदा गया उनकी जांच कराई जाए। यह जानने की कोशिश की गई कि वास्तविक किसान से खरीदा गया है अथवा बिचौलियों से।

sitapur-matter sitapur-matter (Photo by social media)

एसडीएम सदर ने जांच कर पांच किसानों को चिन्हित किया

एसडीएम सदर ने जांच कर पांच किसानों को चिन्हित किया। जिन पर आरोप लगाया गया कि जिस रकबे में धान उत्पादन दिखाया गया उसमें गन्ना की फसल है। इनमें से लोहारबाग निवासी शिवेंद्र प्रताप सिंह का नाम भी शामिल था। शिवेंद्र सिंह न केवल बड़े किसान हैं बल्कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता भी हैं।

सिंह ने मामले पर स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि लड़के ने जमीन का रजिस्ट्रेशन कराया था। चूक सिर्फ इतनी हुई कि जिस रकबे में धान की बोवाई की गई थी उतने रकबे के बजाए पूरी जमीन का रकबा रजिस्ट्रेशन करा दिया। जबकि धान उतना ही बेचा गया है जितना मेरे रकबे में पैदा हुआ।

शिवेंद्र ने बताया कि डीएम को सही जांच रिपोर्ट नहीं दी गई है।

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बहरहाल, इस मामले में डीएम ने खरीद एजेंसी के जिला प्रभारियों को केस दर्ज करने का आदेश दिया था। अब इस मामले हास्यास्पद स्थिति है। सवाल ये है कि क्या एसडीएम ने मौके पर गए बिना जांच रिपोर्ट डीएम को भेज दी। इसी तरह धान खरीद से पहले लेखपाल की भी संस्तुति ली जाती है। ऐसे में लेखपाल भी सवालों के घेरे में है।

रिपोर्ट: पुतान सिंह

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