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झारखंड में प्रचार वार में सबसे आगे निकली भाजपा

झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा जल्द होने की संभावना है। माना जा रहा है कि अक्टूबर के अंतिम या नवंबर के प्रथम सप्ताह में चुनाव की घोषणा हो सकती है। इस बीच सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं।

अंशुमान तिवारी
Published on: 1 Aug 2023 8:08 AM IST
झारखंड में प्रचार वार में सबसे आगे निकली भाजपा
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अंशुमान तिवारी

अंशुमान तिवारी

रांची: झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा जल्द होने की संभावना है। माना जा रहा है कि अक्टूबर के अंतिम या नवंबर के प्रथम सप्ताह में चुनाव की घोषणा हो सकती है। इस बीच सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। जहां तक चुनावी तैयारियों की बात है तो भाजपा इस मामले में विपक्षी दलों से आगे निकलती दिख रही है। हालत यह है कि भाजपा के आगे विपक्षी खेमा कहीं नजर नहीं आ रहा है। भाजपा के बड़े नेताओं से लेकर राज्यस्तरीय नेता पूरी सक्रियता से चुनाव प्रचार में जुट गए हैं। दूसरी ओर विपक्षी खेमा अभी तक सिर्फ बयानबाजी में लगा हुआ है। सिर्फ विपक्ष के नेता हेमंत सोरेन (झामुमो) भाजपा का कुछ मोर्चा लेते नजर आ रहे हैं। उनकी बदलाव यात्रा ने राज्य के लोगों का ध्यान जरूर खींचा है।

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राज्य की मशीनरी चुनावी तैयारियों में जुट गई है। मंत्रिमंडल निर्वाचन विभाग में भी चुनाव की तैयारियां तेज कर दी गई हैं। मतदाता सूची पुनरीक्षण का कार्य भी अंतिम चरण में है। मतदाता सूची में आई आपत्तियों का निष्पादन किया जा रहा है। संशोधित मतदाता सूची तैयार होने तथा इस पर भारत निर्वाचन आयोग की मंजूरी मिलने के बाद जल्द ही मतदाता सूची का प्रकाशन किया जाएगा।

मोदी-शाह समेत भाजपा के बड़े नेता सक्रिय

भाजपा चुनावी तैयारियों को काफी गंभीरता से ले रही है। भाजपा की सक्रियता का आलम यह है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह एक बार और कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा डेढ़ माह में तीन बार झारखंड का दौरा कर चुके हैं। पीएम मोदी ने भी पिछले महीने राज्य का दौरा किया था। हालांकि यह कार्यक्रम सरकारी था, लेकिन उनके दौरे का मतलब मतदाताओं को साधना था। झारखंड से पूरे देश को किसान मानधन योजना समेत कई सौगातें देने के स्पष्ट मायने थे। इसके जरिये भाजपा का मकसद लोगों को अपने पक्ष में मोडऩा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय झारखंड प्रवास पर 17 अक्टूबर को फिर रांची पहुंचने वाले हैं। वे 17 अक्टूबर को पलामू और संथाल परगना में जनसभा को संबोधित करेंगे। पलामू में चियांकी एयरपोर्ट पर पीएम का कार्यक्रम संभावित है, जबकि संथाल परगना में किस जिले में कार्यक्रम होगा यह अभी तय नहीं है। मोदी रात्रि विश्राम रांची स्थित राजभवन में करेंगे और 18 अक्टूबर को दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे।

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मतदाताओं को साधने में जुटे सीएम रघुवर

सीएम रघुवर दास भी पूरी सक्रियता से चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। उन्होंने जोहार जन आशीर्वाद यात्रा के रथ की कमान खुद संभाल रखी है। वे राज्य के विभिन्न इलाकों की यात्रा कर लोगों की साधने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इसके साथ ही भाजपा के विभिन्न मोर्चे भी पूरी तरह सक्रिय हो चुके हैं। बूथ इकाइयों की सक्रियता पर संगठन के स्तर से निगाह रखी जा रही है। मुख्यमंत्री रघुवर दास की अगुआई में सत्तारुढ़ भाजपा पांच साल की स्थायी सरकार का नारा बुलंद कर फिर से तख्त पर काबिज होने की पुरजोर कोशिश में है। अब तक झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए प्रभारी बनाए गए ओम माथुर और सह प्रभारी नंदकिशोर यादव ने 65 प्लस के टारगेट पर नेता-कार्यकर्ताओं को केन्द्रित कर दिया है।

विपक्षी खेमा पिछड़ा, सिर्फ हेमंत सक्रिय

दूसरी ओर भाजपा के मुकाबले विपक्षी खेमा काफी पिछड़ा हुआ है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को छोडक़र पूरा विपक्षी खेमा अभी तक चुनाव को लेकर जमीनी स्तर पर सक्रिय नहीं हुआ है। झामुमो नेता हेमंत सोरेने जरूर थोड़ा सक्रिय बने हुए हैं। वे मतदाताओं से सीधा संपर्क साधने में जुटे हैं। उनकी बदलाव यात्रा को नाकाम बनाने के लिए भाजपा पलटवार करने में जुटी हुई है। इससे साफ है कि भाजपा में हेमंत की बदलाव यात्रा से कुछ बचैनी तो जरूर है। झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के प्रमुख बाबूलाल मरांडी भी अभी तक लोगों पर उल्लेखनीय छाप नहीं छोड़ सके हैं। उनकी एक बड़ी जनसभा को छोड़ दें तो पार्टी पूरे प्रदेश में कहीं भी जमीनी स्तर पर सक्रिय नहीं दिखती। वैसे सोशल मीडिया पर पक्ष-विपक्ष के बीच जोरदार टकराव जरूर चल रहा है। विपक्ष की एक और कमी सीटों के तालमेल को लेकर दिख रही है। विपक्ष में सीटों का तालमेल भी अब तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सका है। वैसे सियासत के जानकारों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में सीधी जंग भाजपा-आजसू बनाम विपक्ष के साझा खेमे में होनी है। इसका मतलब साफ है कि हर विपक्षी दल की लड़ाई सीधे भाजपा से ही है।

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भाजपा के लक्ष्मण के मुकाबले कांग्रेस के राम

इस बीच देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने झारखंड को लेकर अपने पत्ते खोल दिए हैं। विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जोर-शोर से जुटी प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा की अगुआई वाली भाजपा को टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने अब रामेश्वर उरांव को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी है। बीजेपी के लक्ष्मण से मुकाबले के लिए कांग्रेस ने राम को मैदान में उतारा है। माना जा रहा है कि दूसरे दावेदारों को दरकिनार कर पार्टी ने आदिवासी कार्ड खेला है। भाजपा के आदिवासी अध्यक्ष के मुकाबले कांग्रेस ने भी आदिवासी को आगे कर चुनावों की अहमियत को लेकर अपनी मंशा साफ कर दी है।

हालांकि फिर से एक बार कांग्रेस ने कमान एक आईपीएस अधिकारी के बैकग्राउंड वाले नेता के हाथों में ही दी है, साथ ही उनके लिए पांच सिपाहसलार भी तैनात किए गए हैं। वहीं रामेश्वर उरांव को आगे कर कांग्रेस ने वन्य प्रदेश में आदिवासियों को रिझाने की कोशिश की है। उरांव पर पार्टी में गुटबाजी से इतर दिग्गज नेताओं को साथ लाने का दबाव रहेगा। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने जिस तरह से परिवारवाद को बढ़ावा देने और कुछ नेताओं पर अपने बेटे-बेटी के लिए टिकट मांगने का आरोप लगाया था, उससे निपटना नए अध्यक्ष के लिए बड़ी चुनौती होगी। कांग्रेस ने पांच सदस्यीय इलेक्शन स्क्रीनिंग कमेटी भी बनाई है। इस कमेटी को उम्मीदवारों के चयन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

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भाजपा ने किया जीत का दावा

इस बीच भाजपा ने विपक्ष को दिशाहीन बताते हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत का दावा किया है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि कांग्रेस ने राज्यसभा में वोट लेते समय हेमंत सोरेन के नेतृत्व को स्वीकार किया था, लेकिन अब वह पलट गई है। अब उनके प्रदेश अध्यक्ष और राज्य प्रभारी दोनों कह रहे हैं कि प्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा, यह बाद में तय होगा। झाविमो सभी सीटों पर चुनाव लडऩे की सोच रहा है। ऐसे भी जीवन भर झामुमो के विरोध में राजनीति करने वाले बाबूलाल मरांडी अगर सोरेन परिवार के नेतृत्व को स्वीकार लेते हैं तो ये नीचे गिरने की पराकाष्ठा हो जाएगी। राजद के इतने गुट हैं कि शायद उसके कार्यकर्ताओं को भी नहीं पता कि असली राजद कौन है। झामुमो में नेतृत्व का महासंकट है क्योंकि जब शिबू सोरेन ही चुनाव हार गए तो फिर पार्टी में कोई दूसरा नहीं बचता है।



अंशुमान तिवारी

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