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MLC चुनाव: वाराणसी में इसलिए हार गई BJP, ये है बड़ी वजह
रणनीति बनाने में बीजेपी का कोई तोड़ नहीं है। हाल के चुनाव में पार्टी के रणनीतिकारों ने साबित भी किया। एमएलसी चुनाव के लिए भी खूब तैयार की थी।
वाराणसी: एमएलसी चुनाव कई मायनों में राजनैतिक पार्टियों को संदेश दे गया। पंचायत चुनाव और 2022 के चुनाव की तैयारियों में जुटी बीजेपी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मिली दोहरी हार, एक बड़ा झटका है। इस दोहरी हार ने संगठन में जारी खींचतान और बूथ मैनेजमेंट की पोल खोल दी है। सवाल ये भी कि वो कौन कारण हैं, जिसकी वजह से अपने सबसे मज़बूत गढ़ में पार्टी की हार हुई।
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बूथ मैनेजमेंट हुआ फेल
रणनीति बनाने में बीजेपी का कोई तोड़ नहीं है। हाल के चुनाव में पार्टी के रणनीतिकारों ने साबित भी किया। एमएलसी चुनाव के लिए भी खूब तैयार की थी। सूत्रों के अनुसार हर 25 मतदाता को बूथ तक पहुंचाने की जिम्मेदारी एक वरिष्ठ नेता को दी गई थी। लेकिन मौजूदा चुनाव में बूथ मैंनेजमेंट फेल नजर आया। सपा के मुकाबले बीजेपी के समर्थक कम संख्या में घरों से निकले। संगठन की ओर से वोटर बनाने से लेकर बूथ कार्यकर्ता तक बनाने का निर्देश दिया गया था। मंडल से लेकर पोलिंग बूथ तक कार्यकर्ता और मतदाता सम्मेलन आयोजित करना था। बावजूद इसके नतीजों में पार्टी पिछड़ा गई।
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अति आत्मविश्वास के कारण तो नहीं डूबी लुटिया
एमएलसी चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत लगाई थी। पार्टी की ओर से प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल ने जगह-जगह दौरा भी किया। इसमें बनारस में भी दोनों नेताओं ने डेरा डाला था। प्रदेश सरकार के कई मंत्रियों की भी प्रचार में ड्यूटी लगाई गई थी लेकिन नतीजों ने पूरी कवायद पर पानी फेर दिया।एमएलसी के स्नातक को कोटे से तीन बार जीत चुके बीजेपी के अधिकृत प्रत्याशी केदारनाथ सिंह और शिक्षक कोटे से दो बार जीत चुके समर्थित प्रत्याशी चेतनारायण सिंह की तरफ से जीत का आत्मविश्वास अति पर पहुंच गया था। सब मान बैठे थे कि हर हाल में जीत मिल जाएगी। जानकार मानते हैं कि आत्मविश्वास के चलते जीत के लिए होने वाले अपेक्षित प्रयास को लेकर लापरवाही बरती गई। इसका परिणाम मतगणना के बाद सभी के सामने है।
रिपोर्ट- आशुतोष सिंह
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