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चीन की नई चाल: ब्रह्मपुत्र पर बनाएगा दुनिया का सबसे बड़ा बांध, भारत ने की ये तैयारी

चीन तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर अब तक का सबसे बड़ा बांध बनाने जा रहा है। अगले साल से इस परियोजना पर काम शुरू हो जाएगा। चीन की सरकारी मीडिया ने इसी सप्ताह इस परियोजना का ब्योरा देते हुए कहा था

Newstrack
Published on: 6 Dec 2020 9:05 AM GMT
चीन की नई चाल: ब्रह्मपुत्र पर बनाएगा दुनिया का सबसे बड़ा बांध, भारत ने की ये तैयारी
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चीन की नई चाल: ब्रह्मपुत्र पर बनाएगा दुनिया का सबसे बड़ा बांध, भारत ने की ये तैयारी (PC: social media)

नई दिल्ली: लद्दाख रीजन में नापाक हरकतें करने के बाद चीन ने अब अरुणाचल प्रदेश से सटे इलाके में ब्रह्मपुत्र नदी पर एक विशाल बांध बनाने के का फैसला किया है। इस नयी घटनाक्रम ने भारत की चिंताएं बढ़ा दी हैं। दरअसल, लद्दाख में गलवान के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच तनातनी के बाद चीन ने पूर्वोत्तर में कई परियोजनाएं शुरू की हैं। इनमें रेलवे समेत कई इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं शामिल है। अब इस विशालकाय बांध के निर्माण की उसकी योजना को भी भारत पर दबाव बनाने की उसकी रणनीति माना जा रहा है। ब्रह्मपुत्र को भारत के पूर्वोत्‍तर राज्‍यों और बांग्‍लादेश की जीवनरेखा माना जाता है। लाखों लोग अपनी आजीविका के लिए इस नदी के पानी पर निर्भर हैं।

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सबसे बड़ा बाँध

चीन तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर अब तक का सबसे बड़ा बांध बनाने जा रहा है। अगले साल से इस परियोजना पर काम शुरू हो जाएगा। चीन की सरकारी मीडिया ने इसी सप्ताह इस परियोजना का ब्योरा देते हुए कहा था कि बांध बन जाने पर बांध बनने से दक्षिण एशियाई देशों से सहयोग के रास्ते खुलेंगे। चाइनीज पॉवर कॉरपोरेशन के चेयरमैन यान झियोंग ने सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ से कहा कि यारलंग जोंगबो नदी के निचले इलाके में इस परियोजना के बन जाने से आंतरिक सुरक्षा मजबूत होगी. साथ ही पानी की उपलब्धता भी बढ़ेगी। तिब्बत में ब्रह्मपुत्र को इसी नाम से जाना जाता है।

इस बांध का निर्माण तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के मेडॉग इलाके में किया जाना है जो अरुणाचल प्रदेश सीमा पर नियंत्रण रेखा से सटा है। पावर कॉरपोरेशन ने बीते 16 अक्तूबर को ही तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र प्रशासन के साथ उक्त परियोजना के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। भारतीय सीमा से लगे तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में इंसानों की आखिरी बस्ती मेडॉग को हाल में ही हाइवे के जरिए देश के बाकी हिस्सों से जोड़ा गया था।

तिब्बत में बना है हाइड्रोइलेक्ट्रिक केंद्र

चीन 2015 में ही तिब्बत में 111 अरब रुपये की लागत से एक पनबिजली केंद्र बना चुका है। ये चीन का सबसे बड़ा बांध है। चाइना सोसाइटी फॉर हाइड्रोपॉवर की 40वीं वर्षगांठ के मौके पर पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन यान झियोंग ने कहा था कि यह बांध अब तक का सबसे बड़ा होगा और ये चीन के पनबिजली उद्योग के लिए भी ऐतिहासिक मौका होगा।

china-india china-india (PC: social media)

पड़ोसियों की चिंता

ब्रह्मपुत्र पर विशालकाय बांध की तैयारी ने भारत के अलावा बांग्लादेश की भी चिंता बढ़ा दी है। दोनों ही देश ब्रह्मपुत्र के पानी का इस्तेमाल करते हैं और इस नदी के बहाव में जरा भी छेड़छाड़ दोनों देशों को बहुत नुकसान पहुंचा सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के इस विशालकाय बांध की वजह से भारत के पूर्वोत्‍तर राज्‍यों और बांग्लादेश में सूखे जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। इसके अलावा इसके जरिए चीन पूर्वोत्तर राज्यों में बाढ़ के हालात पैदा कर सकता है। दरअसल, तिब्‍बत से निकलने वाली ब्रह्मपुत्र नदी भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्‍य के जरिए देश की सीमा में प्रवेश करती है।

अरुणाचल प्रदेश में इस नदी को सियांग कहा जाता है

अरुणाचल प्रदेश में इस नदी को सियांग कहा जाता है। इसके बाद यह नदी असम पहुंचती है जहां इसे ब्रह्मपुत्र कहा जाता है। असम से होकर ब्रह्मपुत्र बांग्‍लादेश में प्रवेश करती है। भारत ने चीन को अपनी चिंताओं से साफ अवगत करा दिया है हालांकि चीन ने इन चिंताओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह दोनों देशों के हितों का ध्यान रखेगा। लेकिन चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। यह बांध कितना बड़ा होगा कि इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चीन में बने दुनिया के सबसे बड़े बांध थ्री गोर्ज की तुलना में इससे तीन गुना ज्‍यादा पनबिजली पैदा की जा सकेगी।

भारत की तैयारी

तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाने के चीन के ऐलान के बाद भारत भी अरुणाचल में इस नदी पर एक बड़ा बांध बनाने की तैयारी कर रहा है। यह पूर्वोत्तर को पानी की कमी और बाढ़ जैसे खतरों से बचाएगा। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय में आयुक्त (ब्रह्मपुत्र और बराक) टी. एस. मेहरा कहते हैं कि राज्य में दस हजार मेगावाट की एक पनबिजली परियोजना लगाने पर विचार चल रहा है। चीनी बांध के प्रतिकूल असर को कम करने के लिए अरुणाचल में बड़े बांध की जरूरत है। यह प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। बांध बन जाने पर भारत की पानी भंडारण करने की क्षमता काफी बढ़ जाएगी।

सर्दियों में सियांग नदी का 80 प्रतिशत पानी ऊपरी जलधारा से आता है

मेहरा ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में अच्छी वर्षा के कारण मॉनसून के दौरान भारत में ब्रह्मपुत्र नदी का 90 प्रतिशत पानी उसकी सहायक नदियों से होकर आता है। सर्दियों में सियांग नदी का 80 प्रतिशत पानी ऊपरी जलधारा से आता है और हिमनद इसका मुख्य स्रोत हो जाता है। जलशक्ति मंत्रालय के एक और अधिकारी ने कहा कि परियोजना पर 1980 के दशक से ही चर्चा चल रही है।

विशेषज्ञों की राय में ब्रह्मपुत्र पर भारत की ओर से प्रस्तावित परियोजना चीनी बांध के असर को कम कर देगी। ट्रांस बॉर्डर नदी समझौते के मुताबिक, भारत और बांग्लादेश को ब्रह्मपुत्र का पानी इस्तेमाल करने का अधिकार है। भारत ने चीन के अधिकारियों से समझौते का पालन करने को कहा है जिसके जवाब में चीन ने हालांकि इसका भरोसा दिया है लेकिन इस मामले में उसका ट्रैक रिकार्ड ठीक नहीं है। इसलिए सरकार ने भी प्रस्तावित बांध से पैदा होने वाली चुनौतियों से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है।

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अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा है कि चीन सरकार को इस बात का भरोसा देना चाहिए कि चीनी इलाके में ब्रह्मपुत्र पर प्रस्तावित विशालकाय बांध का अरुणाचल व असम पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। यह भारत के साथ-साथ बांग्लादेश के लिए भी चिंता का गंभीर विषय है। ब्रह्मपुत्र के निचले इलाके में प्रस्तावित बांध इन देशों के लिए खतरे की घंटी है।

रिपोर्ट-नीलमणि लाल

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