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...तो सोनिया को उनके गढ़ से बेदखल करना चाहती है बीजेपी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कांग्रेस मुक्त भारत के लक्ष्य को पूरा करने राह पर चलते हुए अब भाजपा ने रायबरेली की लोकसभा सीट पर अपनी नजरें गड़ा दी है। बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के गढ़ रहे अमेठी पर कब्जा करने के बाद अब भाजपा किसी भी तरह से उसके दूसरे गढ़ रायबरेली में अपना परचम फहराना चाहती है।
मनीष श्रीवास्तव
लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कांग्रेस मुक्त भारत के लक्ष्य को पूरा करने राह पर चलते हुए अब भाजपा ने रायबरेली की लोकसभा सीट पर अपनी नजरें गड़ा दी है। बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के गढ़ रहे अमेठी पर कब्जा करने के बाद अब भाजपा किसी भी तरह से उसके दूसरे गढ़ रायबरेली में अपना परचम फहराना चाहती है। इसका काम बीते लोकसभा चुनाव से पहले ही शुरू हो गया था और इसी का नतीजा था कि रायबरेली में कांग्रेस के बडे़ नेता और विधान परिषद में कांग्रेस के संसदीय दल के नेता दिनेश सिंह को भाजपा ने बीते लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी के खिलाफ खड़ा कर दिया। हालांकि दिनेश सिंह लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी को हरा तो नहीं पाए लेकिन उन्होंने सोनिया गांधी के जीत के अंतर को जरूर कम कर दिया।
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दरअसल, भाजपा की रणनीति रायबरेली में कांग्रेस का मोह खत्म करने के लिए उसके मौजूदा क्षत्रपों को अपने पाले में लाने और आगामी विधानसभा चुनाव में रायबरेली की सभी सीटों पर कांग्रेस का सफाया करने की है। खबर है कि भाजपा, दिनेश सिंह के जरिये इस काम को बखूबी अंजाम दे रही है और कमजोर पड़ी कांग्रेस कुछ भी करने में असमर्थ नजर आ रही है।
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बताते चलें कि मौजूदा समय में रायबरेली की पांच विधानसभा सीटो में से दो पर भाजपा, दो पर कांग्रेस और एक सीट पर सपा का कब्जा है। अब अगर कांग्रेस के यह दोनो विधायक भाजपा के पाले में आ जाते है तो विधानसभा में रायबरेली से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व शून्य हो जायेगा। इसके अलावा लोकसभा में भी सोनिया गांधी जैसी वीआईपी श्रेणी की सांसद से रायबरेली की जनता का संवाद नहीं होने से वहां कांग्रेस का आधार धीरे-धीरे खत्म हो जायेगा। भाजपा यही चाहती है।
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अभी हाल ही में हुए विशेष विधानसभा सत्र में इसका नजारा देखने को भी मिला। कांग्रेस की सदर विधायक अदिति सिंह और हरचन्दपुर विधायक व दिनेश सिंह के भाई राकेश सिंह ने पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हुए कांग्रेस नेतृत्व को खुली चुनौती दे दी। अदिति सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि पार्टी को जो फैसला लेना हो वह उन्हे मंजूर होगा। इसी तरह राकेश सिंह ने नरेन्द्र मोदी और योगी आदित्यनाथ को असली गांधी बताते हुए कहा कि केवल गांधी सरनेम लगाने से कोई महात्मा गांधी नहीं हो जाता है।