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कौन हैं ये BJP महिला नेत्री: जो तेजी हो रही फेमस, कुछ ऐसी है इनकी कहानी
बीजेपी की महिला नेता व शाहजहांपुर लोकसभा सीट से पूर्व सांसद कृष्णाराज की। कृष्णाराज फैजाबाद जिले की रहने वाली है। उनका जन्म 22 फरवरी 1967 में हुआ था। उनकी शादी लखीमपुर खीरी जिले के मोहम्मदी के रहने वाले बैंक अधिकारी विरेंद्र कुमार राज से हुई थी।
आसिफ अली
शाहजहांपुर: आज हम आपको एक ऐसी महिला नेता के बारे बताएंगे। जिसने बहुत तेजी के साथ भाजपा में अपनी जगह बनाई थी। मोदी लहर में वह सांसद बनी और उसके बाद मंत्री भी बन गई थीं। मंत्री बनने के बाद उन्होंने काफी तेजी के साथ जनता के बीच जाना शुरू कर दिया था। जिससे उनकी पहचान लगातार बढ़ रही थी। लेकिन वही योगी के एक ऐसे कद्दावर मंत्री भी शाहजहांपुर से आते है। जिनसे महिला नेता की बिल्कुल भी बनती नही थी। बस यही कारण था कि 2019 के लोकसभा चुनाव मे महिला नेता गुटबाजी की भेंट चढ़ गई।
हालांकि काफी मजबूत प्रत्याशी होने के बाद भी महिला नेता का टिकट कट गया था। टिकट कटने के बाद पूर्व मंत्री व महिला नेता ने चुनाव से लेकर अभी तक जनता को शक्ल नही दिखाई है। खास बात ये है कि मीडिया तक से उन्होंने कोई बात नही की थी।
कृष्णाराज फैजाबाद जिले की रहने वाली है
दरअसल, हम बात कर रहे हैं बीजेपी की महिला नेता व शाहजहांपुर लोकसभा सीट से पूर्व सांसद कृष्णाराज की। कृष्णाराज फैजाबाद जिले की रहने वाली है। उनका जन्म 22 फरवरी 1967 में हुआ था। उनकी शादी लखीमपुर खीरी जिले के मोहम्मदी के रहने वाले बैंक अधिकारी विरेंद्र कुमार राज से हुई थी। उनका एक बेटा और एक बेटी है। कृष्णाराज का शुरू से ही झुकाव भारतीय जनता पार्टी की तरफ रहा है। उन्होंने पहला चुनाव सन 1996 मे मोहम्मदी विधानसभा सुरक्षित सीट से बीजेपी के टिकट पर लङा था। जिसमे उनको जीत मिली थी। उसके बाद वह उसी सीट पर 2002 तक विधायक बनी रही।
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उसके बाद सन 2007 से 2012 तक विधायक रही। उसके बाद जब मोहम्मदी विधानसभा सीट सामान्य हो गई। तब कृष्णाराज ने शाहजहांपुर लोकसभा सीट का रूख किया। सन 2009 मे शाहजहांपुर लोकसभा सीट पर उन्होंने बीजेपी टिकट पर अपनी किस्मत आजमाई लेकिन नया चेहरा होने के कारण जनता ने उनके ऊपर भरोसा नही दिखाया। तब वह सपा प्रत्याशी मिथिलेश कुमार से हार गई थी।
बीजेपी के कुछ कद्दावर नेताओं को हजम नही हुआ
लेकिन कृष्णाराज ने हार नही मानी और उसके बाद सन 2014 में फिर से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन इस बार मोदी लहर में उन्होंने जीत हासिल की। सांसद बनने के बाद मोदी कैबिनेट मे जगह मिली। लेकिन मंत्री बनने के बाद कृष्णाराज की पार्टी से लेकर जनता के बीच अपनी एक अलग पहचान बन चुकी थी। बस यही बीजेपी के कुछ कद्दावर नेताओं को हजम नही हुआ। जिसके बाद शाहजहांपुर मे तगड़ी गुटबाजी शुरू हुइ। जिसमे 2019 के लोकसभा चुनाव कृष्णाराज भेंट चढ़ गई।
शाहजहांपुर के राजनीतिक इतिहास मे पहली महिला नेता कृष्णाराज थी। जिनको मोदी कैबिनेट मे जगह दी गई थी। मंत्री बनने के बाद एक गुट कृष्णाराज का था तो दूसरा कैबिनेट मिनिस्टर सुरेश कुमार खन्ना का बन गया था।
ऐसा माना जाता है कि मंत्री बनने के बाद कृष्णाराज को खुद पर काफी अहम हो गया था। फिर चाहे कोई अधिकारी हो या फिर नेता या छोटा सा कार्यकताओं को सबके बीच बुरा भला कहने से गुरेज नही करती थी। बस यही कारण था कि बेइज्जती झेलने के बाद वह दूसरे गुट मे चला जाता और कृष्णाराज को कमजोर करने के लिए जुट जाता। लेकिन कृष्णाराज ने सूबे के कद्दावर मंत्री को भी हल्के मे लेना शुरू कर दिया था। बस यही से कृष्णाराज की उल्टी गिनती शुरू हो जाती है।
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2019 लोकसभा चुनाव से पहले अक्सर खुले मंच पर पूर्व मंत्री कृष्णाराज और कैबिनेट मिनिस्टर सुरेश कुमार खन्ना के बीच तल्खी देखी जाती थी। यहां तक कि मंच पर कई बार माईक पर बोलने को लेकर दोनो आमने-सामने आ चुके है। कई बार दोनो के समर्थक भी आपस मे भिङ चुके है। इतना सब हो जाने के बाद कृष्णाराज और सुरेश कुमार खन्ना एक दूसरे को बिल्कुल भी पसंद नही करते थे।
हालांकि सन 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कृष्णाराज केंद्रीय मंत्री थी। उस वक्त वह सांसद भी थी। इस लिहाज से कृष्णाराज एक मजबूत प्रत्याशी साबित हो रही थी। लेकिन सोशल मीडिया पर लगातार मैसेज वायरल हो रहे थे कि कृष्णाराज का टिकट कटना पक्का है। लेकिन इन सबको सिर्फ अफवाह माना जा रहा था। इधर कृष्णाराज लगातार जनता के बीच वोट मांग रही थी।
कृष्णाराज का टिकट कटने के बाद उनके समर्थकों में छा गई थी मायूसी
लेकिन तभी पता चलता है कि कुछ विधायकों ने कृष्णाराज का टिकट काटने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित को लेटर लिखे है। जिसमे उन्होंने कृष्णाराज को कमजोर प्रत्याशी साबित किया था। खास बात ये है कि कैबिनेट मिनिस्टर सुरेश कुमार खन्ना भी कुछ यही चाहते थे। चुनाव के काफी नजदीक आने बाद जब प्रत्याशियों की लिस्ट जारी हुई तो उसमे कृष्णाराज के नाम की जगह पर कैबिनेट मिनिस्टर सुरेश कुमार खन्ना के बेहद करीबी रहे अरूण सागर का नाम था। वही से कृष्णाराज ने जनता,पार्टी नेताओं और चुनाव से काफी दूरी बना ली थी।
कृष्णाराज का टिकट कटने के बाद उनके समर्थकों में मायूसी छा गई थी। उनके आवास पर कार्यकताओं ने जमकर हंगामा किया था। इतना ही नही उनके आवास के सामने रोड पर जाम तक लगा दिया था। हालांकि काफी समझाने के बाद समर्थक शांत हुए थे। जब कृष्णाराज दिल्ली से शाहजहांपुर वापस लौटी तब उन्होंने मीडिया से बात की थी।
जिसमे उन्होंने टिकट कटने का किसी पर कोई आरोप नही लगाया था। उन्होंने कहा था कि पार्टी का जो भी फैसला होगा। उन्हे मंजूर है। इसलिए वह पार्टी चुनावी रैलियों मे जाएगी। लेकिन उसके बाद कृष्णाराज शाहजहांपुर से लेकर प्रदेश तक मे चुनाव से संबधित किसी भी रैली मे शामिल नही हुई। यहां तक चुनाव के बाद उन्होंने जनता के बीच जाना ही छोड़ दिया।