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फिर से फ़्लैश बैक में जाने को तैयार BSP, 2007 की तरह तैयारियों में जुटीं मायावती

पिछले दो विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता हासिल करने में नाकाम बहुजन समाज पार्टी अगले विधानसभा चुनाव में अब कोई मौका गवाना नहीं चाहती है ।

Newstrack
Published on: 22 July 2020 10:52 AM IST
फिर से फ़्लैश बैक में जाने को तैयार BSP, 2007 की तरह तैयारियों में जुटीं मायावती
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श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: पिछले दो विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता हासिल करने में नाकाम बहुजन समाज पार्टी अगले विधानसभा चुनाव में अब कोई मौका गवाना नहीं चाहती है । इसलिए अब वह फिर 'फ्लैशबैक' में जाकर 2007 की तरह विधानसभा चुनाव तैयारियों में अभी से जुट गई है । पार्टी की रणनीति इसी तर्ज पर ब्राह्मणों के अलावा ठाकुर मुस्लिम और पिछड़ों को एक कर भाईचारा समितियों का गठन करने तथा उनके सम्मेलन करा कर सभी का वोट हासिल करने की है ।

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हुजन समाज पार्टी मुख्य रूप से दलितों को ही फोकस करती रही

दरअसल पिछले दो विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी मुख्य रूप से दलितों को ही फोकस करती रही। हालांकि उसने सवर्णों को भी टिकट दिए पर मुख्य रूप से उसका सारा फोकस मुस्लिम समाज और दलितों पर रहा । जिसके कारण उसे वह सफलता नहीं मिल पाई जो 2007 के विधानसभा चुनाव में हासिल हुई थी । इस चुनाव में उसने 206 सीटें हासिल कर स्पष्ट बहुमत पाया था और पहली बार बिना किसी अन्य दल के सहयोग के प्रदेश की सत्ता हासिल की थी । यही कारण है कि के बसपा सुप्रीमो मायावती ने विकास दुबे कांड के बहाने ब्राह्मण वोटों पर अपना निशाना साधना शुरू कर दिया है।

2007 की तरह चुनावी लाभ मिल सकता है

मायावती ने मंडल जिला व विधानसभा क्षेत्र स्तर पर जातिवाद भाईचारा कमेटियों का गठन शुरु कर दिया है । अपनी खोई हुई सियासी ताकत को फिर से हासिल करने के लिए बहुजन समाज पार्टी फिर से अपने पुराने सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर लौटने को तैयार है । हाल ही में मायावती ने अपर कास्ट तथा मुस्लिम व अन्य पिछड़े वर्ग की जातियों से जुड़े प्रभावशाली लोगों को मंडल स्तर पर सेक्टर संयोजक जिला संयोजक व विधानसभा क्षेत्र स्तर पर संयोजक ओके नियुक्त की है । उन्हें लग रहा है कि अगर सवर्ण जाति के लोगों को पदाधिकारी बनाकर भाईचारा सम्मेलन कराया जाए तो उन्हें 2007 की तरह चुनावी लाभ मिल सकता है ।

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जानकारों का कहना है कि बहुजन समाज पार्टी की नजर ऐसे लोगों पर हैं जो दूसरे दलों से नाराज हैं। और उनका क्षेत्र में प्रभाव है । इसलिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने पदाधिकारियों से कहा है कि वह उन दलों से नाराज पदाधिकारियों पर पैनी निगाह रख कर उन्हें बसपा में आने के लिए प्रेरित करें।

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