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बजट-2020: जिंस कारोबारियों को एसटीटी व सीटीटी में कमी की आशा
संकट में चल रही भारतीय अर्थव्यवस्था के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार-2 का दूसरा बजट पेश करने की तैयारी में हैं। इधर बजट से पहले देश के तमाम व्यापार संगठनों ने सरकार को बजट से अपनी उम्मीदों से वाकिफ करा दिया है।
मनीष श्रीवास्तव
लखनऊ: संकट में चल रही भारतीय अर्थव्यवस्था के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार-2 का दूसरा बजट पेश करने की तैयारी में हैं। इधर बजट से पहले देश के तमाम व्यापार संगठनों ने सरकार को बजट से अपनी उम्मीदों से वाकिफ करा दिया है। अब देखना यह है कि पहली फरवरी को वित्त मंत्री के लाल बस्ते से निकलने वाले बजट दस्तावेजों में व्यापार संगठनों की इन उम्मीदों में से कितनी पूरी होती है।
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बजट में कारोबार की ऊंची लागत को कम करने का अनुरोध
जिंस कारोबारियों के सबसे बड़े संगठन कमोडिटी पार्टिसिपेंट्स ऑफ इंडिया (सीपीएआई) ने सरकार से बजट में कारोबार की ऊंची लागत को कम करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि ज्यादा लागत के कारण व्यापार में बहुत गिरावट आई है। बजट से अपनी आस जताते हुए सीपीएआई ने वित्त मंत्रालय को बताया है कि प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) और जिंस लेनदेन कर (सीटीटी) ज्यादा होने के कारण भारत में विभिन्न परिसंपत्तियों में लेन-देन की लागत अमेरिका, चीन और सिंगापुर में लेनदेन की लागत से चार से 19 गुना तक ज्यादा है।
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सरकार से एसटीटी और सीटीटी को समाप्त करने का किया अनुरोध
व्यापार वृद्धि के लिए सीपीएआई ने सरकार से एसटीटी और सीटीटी को समाप्त करने या फिर इसकी दरों में कमी किए जाने का अनुरोध किया है। सीपीएआई ने एसटीटी में आयकर की धारा 88 ई के तहत छूट दिए जाने का निवेदन करते हुए कहा है कि सीटीटी लागू होने के बाद 2013 से जिंस बाजारों में जहां वर्ष 2011- 12 में 69 हजार 449 करोड़ रुपये प्रतिदिन का व्यापार हो रहा था तो वहीं वर्ष 2018- 19 में यह 61 फीसदी की कमी के साथ 27 हजार 291 करोड़ रुपये प्रति दिन हो गया।
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